दीपक दान
दीपक दान
आओ प्यारे हम मिल जानें, भारत संस्कृति ज्ञान को।
अपनी लंबी आयु बढ़ाने, करलें कर्म महान को ।
मृत्यु रचाते काल जीव की, दक्षिण जिनका वास है।
उनकी अनुकम्पा पर सबकी, चलती निश-दिन श्वास है॥१॥
कार्तिक कृष्णा चौदश तिथि में, करना यम का गान है।
पूज्य वही यमराज जगत के, जीवन शून्य वितान है ।
दक्षिण में मुख रखकर अपना, करते यम का ध्यान हैं।
भक्ति भाव से शीश नवाकर, करते दीपक दान हैं॥२॥
सूर्य तनय संतुष्ट हुए तो, मिटते तन के रोग हैं ।
निर्मल काया को जीवन में, मिलते बहुविध भोग हैं।
लक्ष्य साधता जीवन का नर,पाता जग में मान है।
देव कृपा के बल से मानव, बनता जग की शान है।
