श्री हरि के दोहे
श्री हरि के दोहे
(राजस्थान सहित पांच राज्यों में चुनावों के पर्व पर)
लोकतंत्र का पर्व है जो पांच साल में आय ।
मतदाता पहचान पत्र लीज्यो सब बनवाय ।।
सब कामों को छोड़कर पोलिंग बूथ पे धाय
अमिट स्याही लगवाय के नीलो बटन दबाय ।।
"मतदान" सों कोई दान नहीं लोकतंत्र सों राज
मरजी कौ राजा चुनो सुधरै काल और आज ।।
निर्वाचन रूपी यज्ञ में मत रूपी आहुति देय
घर में गंगा आई है तो मुफ्त में पुण्य तू लेय ।।
जब जाओ तुम बूथ पे तो इतनो रखियो ध्यान
सबका लेखा जोखा पढ ले, भला बुरा पहचान ।।
पांच पचास के मर्म कूं अब तो समझ ले यार
इन्सानों में भेद करे जो नहीं चाहिए सरकार ।।
खरी खरी "श्री हरि" कहे सुनियो चित्त लगाय
अब तो चेत ओ बावरे नहीं, फिर पाछै पछताय ।।