सुमिरन करिये नन्द के लाल।
सुमिरन करिये नन्द के लाल।
कैसी कैसी शरारत करे कन्हैया ,
चकित होकर निरखे यशोदा मैया !
बचपन में अपने बाल क्रीड़ा से ,
गोविन्द गोपाल ने बहुत सताया !
गिरधर को अतिशय प्रेम हैं करते ,
ग्वाल- बाल और नंदग्राम के लोग !
माखन मिश्री और दुग्ध , मिष्ठान ,
माधव मोहन रुचि से लगायें भोग !
कान्हा को देख रहे थे सब व्याकुल ,
नभचर थलचर भए त्रस्त आकुल !
छत्र बनाया गिरिधर ने जैसे हो भाल ,
एक उँगली पर उठाया गोवर्धन तत्काल !
जब- जब विपदा पड़ी सनातन धर्म पर ,
सदा बने रक्षक और की सबकी सुरक्षा !
सब मिल जुलकर गोवर्धन पूजा कीजिए ,
अपने नटवर कृष्णा करेंगे सबकी सुरक्षा !