दीपोत्सव - नयी दृष्टि से नयी सीख
दीपोत्सव - नयी दृष्टि से नयी सीख
हर्ष उमंग चहुओर उल्लास
शरद ऋतु अमावस की रात
दिवाली महापर्व मानेगा ख़ास
घरों घर हुई साफ़ सफाई सज्जा
पंचदिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत
दीपक रुपी ज्ञान का फैले प्रकाश
अनुपम विचारों का प्रचार प्रसार
द्वार सजे जैसे सुन्दर वंदनवार तोरण
मन में रहे सभी के संकल्पित विश्वास
आंगन बीचों बीच अल्पना रंगोली
भिन्न रंग लकीरें मिली जुली भरी घनी
संदेसे देती जैसे एकता और सौहार्द
खुशबू उड़ाते देसी घी तेल बघार
पक रहे विविध व्यंजन पकवान
प्रतीक जीवन में रहे सदा मिठास
लक्ष्मी संग गणपति पूजन विधिवत
समझो धन संग बुद्धि विद्या का महत्त्व
बिन बुद्धि प्राप्त धन नहीं आता रास
पटाखों फुलझड़ियों की रौशनी शोर
निराश मन में हो जाए उज्जवल भोर
सदस्य रहें किसी देश गावं शहर
दिवाली मानाने आते परिवार पास
त्यौहारों से लो जीवन के फ़लसफ़े
बढ़ाओ मनोबल साहस नितनई आस
हर्ष उमंग चहुओर उल्लास
शरद ऋतु अमावस की रात
दिवाली महापर्व मानेगा ख़ास।