STORYMIRROR

Rashi Saxena

Abstract Children

3  

Rashi Saxena

Abstract Children

राम लला

राम लला

1 min
192

राजा दशरथ के आनंद भयो

अंगना में खेल रहे चारों भइया ,

दशरथ देख देख हर्षायें 

मारे खुशी के मोहरें लुटाये

रानी कौशल्या बलिहारी जावें 

राम लखन भरत शत्रुघ्न  

राज ऋषि ने नाम धराये 

मैया कैकयी ने करधन पहनाई 

पैर पैजनियां घुंघरू वाली

छुन छुन होय रही अंगना 

रुनक झुकन बाज रही

राम लला जी की पांव पैजनियां

सब नरनारी हंस हंस तारी बजायें

राजा दशरथ को भाग्य सराहें।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract