आत्म सम्मान
आत्म सम्मान
आत्म सम्मान की राह नहीं होती आसान,
चुनना पड़ता है सत्य की राह को, बनाना पड़ता है तन- मन को बलवान,
आत्मविश्वास की नींव पर खड़ा होता है भवन आत्मसम्मान का,
कभी विक्रय कर देता है मानव यदि,
झूठे सम्मान हेतु अपनी आत्मा को,
श्रेष्ठ स्वयं को सिद्ध करने के भ्रम में, दूसरों को नीचा दिखाता है जो,
सच में कमी होती है उनमें आत्मविश्वास की,चरित्र की उच्चता, रूढ़ियों के निम्नता, है आवश्यक,
महान विचारों को आत्मसात कर, सदैव कर्मशील बने रहे, स्वयं की ओर देखकर,
खुद के चरित्र को मजबूत बनाने के लिए रहें प्रयासरत ,
दृढ़ संकल्पों से सिद्धि पाकर ,
जीवन की चुनौतियों से ना घबराकर, जीवन जो जीता है ,
बढ़ती है सकारात्मक समाज में,
घटते हैं अपराध, बेईमानी और अहंकार समाज में,
ऐसी संतानों पर देश को भी होता है अभिमान,
अपने गौरवशाली इतिहास के लिए भारत को जाना जाता है,
उसकी संतानों के उद्दात चरित्र को दुनिया में पूजा जाता है।।