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DR MANORAMA SINGH

Abstract Action Inspirational

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DR MANORAMA SINGH

Abstract Action Inspirational

महाराणा प्रताप

महाराणा प्रताप

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मुगलों के पाश्विक अत्याचारों से 

 जब भारत माता मर्माहत थी,

देखकर अपनी संतानों के

 दुख को , हुई विदीर्ण और आहत थी,

अपमान देखकर देवों का,

हर हिंदू आस्था आहत थी,

 मंदिरों और भक्तों पर

 विध्वंसक हमले जारी थे,

खंडित प्रतिमाओं में जब

 सनातन छुपकर रोता था, 

हिंसा की मूल प्रवृत्ति से जन्मे 

नित नये गौरी और गजनी थे,

गद्दारों की कमी नहीं थी

हर काल और परिस्थितियों में,

 झुककर देते थे राजमुकुट

समर्पित कर, उनके चरणों में,

उन आक्रांताओं से भी,

रोटी - बेटी का रिश्ता जोड़ लिया,

 जिसने तुम्हारे धर्म, 

देवों और पूर्वजों को

खंड-खंड किया, 

हो गई दिशाएं अंधकारमय,

बिक गया भारत का स्वाभिमान,

 पुरु के पौरुष को भूल बैठे तब, 

कर्तव्य हीन हुआ तब हिंदुस्तान, 

 भारत की गौरव गाथा का

सूर्य लगता अब अस्ताचल को है,

 इस पुण्य भूमि की पुण्यता

 लगता अब खोने को है,

तभी भारत के भाग्य ने

ऐसी करवट बदली 

मुगलों का महाकाल बनकर, 

छा गया भारत का प्रताप बनकर,

इतिहास में अमिट - अमर कहानी का,

जन्म हुआ ऐसे महा बलिदानी का, 

वीरों से सूखी धरती में ऐसी बारिश मूसलाधार हुई,

वीर शिरोमणि के समक्ष जुगनू को पता उसकी औकात हुई,

भारत के भाग्य विधाता को पाकर

जन- जन ने किया तब यशोगान, 

चिंतित हो उठा उनका मन,

 कैसे लौटेगा अब स्वाभिमान, 

राम- कृष्ण की धरती पर,

जहां पूजा भी अब वर्जित है,

 यह एकलिंग की तपोभूमि है,

यह मां दुर्गा की रणभूमि है,

रक्षक जिसका त्रिशूल, तलवार 

और चक्र जिसका संहारक है,

 जहाँ पृथ्वी, कुंभा, सांगा ने

 अपने जीवनदान दिए,

 यह माटी नहीं, हवन कुंड की पावन भस्म कहो इसको,

 जहां चित्तौड़ की रक्षा के लिए पद्मिनी ने जौहर की लिखी कहानी है,

यह हल्दीघाटी नहीं शौर्य, पराक्रम की निशानी है,

जहाँ राणा के तलवारों की टंकार सुनाई देती है,

जहाँ राणा के भाले का हर वार दिखाई देता है,

जहाँ चट्टानी इरादे का जयघोष सुनाई देता है,

जहाँ भारत के स्वाभिमान का मुकुट दिखाई देता है

स्वरचित डॉ. मनोरमा सिंह


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