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DR MANORAMA SINGH

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DR MANORAMA SINGH

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राम हमारी सांस्कृतिक चेतना हैं

राम हमारी सांस्कृतिक चेतना हैं

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कहना सुनना अब बहुत हुआ,

स्थितियाँ बदलें,अब वक्त हुआ,

सांस्कृतिक चेतना का 

जागरण अब फिर हुआ,

खण्डित मूर्तियों का करूण क्रंदन

अब बहुत हुआ,

उनकी पुकार से द्रवित,अब मन हुआ,

देश में त्रेता का आगमन 

अब फिर हुआ,

अवध में प्रभु राम का

आगमन अब फिर हुआ,

उस स्वर्णिम अवसर के साक्षी

 बने हम,

जीवन कृतार्थ अब हुआ,

है जिन्हें जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी,

करें देव स्तुति, गायें मंगलाचार सब,

अब हुई हरिच्छा गरीयसी,

धर्म और संस्कृति का तानाबाना

अब दृढ़ हुआ,

फिर यदि यह तानाबाना कृश हुआ,

समझो देश का पतन तब हुआ।।



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