नीला - शांति, आध्यात्मिकता और समर्पण
नीला - शांति, आध्यात्मिकता और समर्पण
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नीला अम्बर है अनन्त,
काले घने बादल कहाँ उसको ढक पाते हैं,
विस्तार करो इतना, हो अम्बर के जितना,
संकट के काले घन न तुमको ढक पायें,
समुन्दर है अथाह,
लहरें झकझोरती हैं उसको भी,
पर विचलित नहीं कर पाती हैं,
नीले पर्वत खड़े निडर,
लगते लम्बी साधना में रत,
शांति की खोज में,
हम उनसे मिलने जाते हैं,
नीला रंग है विशेष,
नीले हरि और नीले शिव हैं,
नीले राम और नीले कृष्ण हैं,
आकाश और जल तत्व के
सभी गुण,
इस नीले में समाहित हैं,
नव चेतन नव सृजन के रंग पर
मोहित हम हैं।।