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भावना भट्ट

Children

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भावना भट्ट

Children

आज फिर...

आज फिर...

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आज फिर मुझे बचपन याद आया 

वो निश्छल, चंचल मन याद आया


याद आई वो बचपन की नादान बातें

कितनी प्यारी थी वो हमारी शरारतें


मस्त थे अपनी मस्ती में, न जिम्मेदारियों का भार था

इस अंधाधुंध दौड़ में शामिल होने का न ही भूत सवार था


अपने अंदर के बचपने को कहीं छोड़कर आगे बढ़ गए

हम क्या थे और बड़े होते-होते क्या से क्या बन गए


आज पीछे मुड़कर देखा तो स्वयं का वजूद न नज़र आया

ख़्वाहिशों के पीछे भागते-भागते मैंने खुद में ही खुद को न पाया


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