आज फिर साथ अपने जीने दे
आज फिर साथ अपने जीने दे
आज फिर साथ अपने जीने दे ,दो घड़ी प्यास में मुझे पीने दे।
यूँ तो हम भूल चुके थे ....वो पुराने किस्से ,तूने एक आग जला दी ,आकर फिर से।
कैसे तब डूब तेरे संग ,मैं मचल जाती थी ,तेरी मीठी बातों में ,उलझ जाती थी।
आज फिर साथ अपने जीने दे ,दो घड़ी प्यास में मुझे पीने दे।
तेरा वो दिलों पे राज़ ,मुझे अच्छा लगता था ,सब वादों - कसमों का साथ ,सच्चा लगता था।
मूंद पलकें मैं तेरे साथ ,सिहर जाती थी ,बंद कमरे में तेरे साथ को ,जब पाती थी।
आज फिर साथ अपने जीने दे ,दो घड़ी प्यास में मुझे पीने दे ।
उन सतरंगी पलों को चलो ,फिर याद करें ,ओढ़ चादर गर्म बिस्तर पर ,खुद को बर्बाद करें।
ना जाने फिर कब ,अब अपनी मुलाकात होगी ?होने दे होता है जो अब ,आज चाँदनी रात होगी |
आज फिर साथ अपने जीने दे ,दो घड़ी प्यास में मुझे पीने दे।