आज की रात खुद को सँभाला जाये
आज की रात खुद को सँभाला जाये
एक अरसे से बिखरा है वो
कुछ करके उसको सँवारा जाये ,
टूटा दिल है जो रस्ता भटक गया है
फिर से उसको सँभाला जाये ।
ये रास्ते आम नहीं अकेले चलने के लिये
फिर भी इरादों में कुछ ज़ोर लाया जाये ,
आओ दो कदम मिलकर चले साथ हम तुम
और घने जंगल से खुद को निकाला जाये ।
हाथ पकड़ोगे तो ज़रा बहक जाओगे
काले बादलों के तले खता कर बैठोगे,
हमनशीं दिल को तुम भी सम्भालो, हम भी सम्भालें
और दो रूहों को खता करने से बचाया जाये ।

