आज की नारी
आज की नारी
थोड़ी तल्ख़, थोड़ी ख़ामोश हो रही हूँ
हाँ, मैं आज की नारी हूँ, मैं बदल रही हूँ।
नहीं होती परेशाँ ज़माने के तानों पर
आफ़तों का पुलिंदा रखती मैं सिरहानों पर।
थोड़ी अल्हड़, थोड़ी बेपरवाह हो रही हूँ
हाँ, मैं आज की नारी हूँ, मैं बदल रही हूँ।
चेहरे के दाग अब मुझे नहीं सताते
यादों के साए मेरे आज को नहीं चुराते।
झुर्रियों को ग़ज़ल में तब्दील कर रही हूँ
हाँ, मैं आज की नारी हूँ, मैं बदल रही हूँ।
अपनी ही धुन में रहती हूँ, गंगा सी बहती हूँ
बाहर से चाहे शांत दिखूँ, ज्वाला सी धधकती हूँ।
आँधियों को चोटी में गूंथ कर सँवर रही हूँ
हाँ, मैं आज की नारी हूँ, मैं बदल रही हूँ।
अपनी पसंद-नापसंद का ख़याल रखती हूँ
जवाब चाहे ना दूँ, सौ सवाल रखती हूँ।
एक अबला नारी थी, नारायणी हो रही हूँ
हाँ, मैं आज की नारी हूँ, मैं बदल रही हूँ।।
