आज के युवा
आज के युवा
युवा आजकल है बहुत तेज ,
पर हो जाते हैं कभी निस्तेज ,
कन्फ्यूजन में पड़े रहते हैं,
अच्छे बुरे का न जाने भेद।
भूल चुके हैं संस्कार अपने,
या फिर उन्हे बताया नही ,
मां बाप भी अपने कमाने में,
बच्चे अच्छे रहने के देखे सपने।
बच्चे पलते है,आया के दम से ,
संस्कार उनको मिले कहां से ,
पैसों का भरमार जो मिलता ,
फिर छोटे बड़े को कौन है गिनता।
गरीब तो वैसे ही है हलकान,
कैसे भी बुझती पेट की दुकान,
ऐसे युवा बन रहे है बच्चे ,
आज चल रहे हैं अपने मन से।