आज भी नहीं भूला पाए
आज भी नहीं भूला पाए
आज भी नहीं भुला पाए हम उनको, ना भूली हैं ये दीवारें,
कैद दिल में है उनकी मोहब्बत की खुशबू, हुस्न की बहारें।
वो तो खुद कायनात है, उनके हुस्न की, क्या तारीफ़ करें,
आज भी आंँखों में वो सूरत बसाकर, दिल थामकर हैं खड़े।
निगाह-ए-मस्त से उनकी, घायल हो चुके, हम इस कदर,
कि आज तक, इस दिल पर लगे हैं, उन्ही के हुस्न के पहरे।
बस एक नज़र में ही दिल में, धड़कन बन, उतर गए थे वो,
उनके हुस्न के किस्से आज भी दर-ओ-दीवार बयां करते हैं।
वो पास नहीं, वो साथ नहीं, वो तो रहते हैं हमारे तसव्वुर में,
मुकम्मल तस्वीर आंँखों में, जो मोहब्बत का एहसास देते हैं।
कभी चंचल चांँदनी सी खिली खिली, कभी खुशबू फूलों सी,
उनकी मीठी वो यादें,जीवन के हर लम्हें को महका जाते हैं।
झील सी गहरी आंँखें, और उनकी सादगी भरी शोख अदाएं,
आज भी डूब जाते हम उनमें जब वो ख़्वाब में चले आते हैं।
अंदाज़-ए-संवरना भी क्या कहें?, एक पल, दिल थम जाए,
जब भी देखते हम आईना, वो संवरते हुए हमें नज़र आते हैं।
तलाश हमें उन लफ़्ज़ों की, उनके हुस्न की तारीफ कर सके,
उनके महताब चेहरे की, एक झलक पाने को हम तरसते हैं।
चेहरे की खूबसूरती से खूबसूरत ,उनके दिल की खूबसूरती,
जिनके एहसास-ए-ख़्याल से ही हम सुकून महसूस करते हैं।
इज़्तिरार उनके दीदार की उनके आने की आस में आज भी,
मश अल ए महताब उनका हम दिल में संभाल कर रखते हैं।

