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Vimla Jain

Abstract

4.5  

Vimla Jain

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आईना झूठा है

आईना झूठा है

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आईना झूठा है क्योंकि

वह खाली भौतिक चेहरा दिखलाता है।

आपके मन में क्या चल रहा है।

अंतरात्मा कैसी है वह कभी नहीं दिखलाता है।

जो अपनी सुंदरता पर हो मोहित

देख आईने में अपना अक्स मन ही मन इतराते हैं ।

वही जब समय ढल जाता है अपनी सुंदरता को कोसने लगते हैं।

क्या रे हम पर उम्र का साया चढ़ रहा है।

कर लीपापोती क्रत्रिमसौंदर्य प्रसाधन अपने आप को जवां दिखलाते हैं

मन में कितनी कलुषिता भरी है

कितना विद्रोह, कितना दुश्मनी, कितना झूठ, कितनी बेईमानी भरी है।

वह आईना नहीं दिखलाता है ।

क्योंकि आईना खाली भौतिकता दिखलाता है ।अंतर्मन नहीं दिखलाताहै।

कहती विमलाअरे इंसान

जितना तेरा अक्स सुंदर उतना ही सुंदर कर अंतरमन ताकि यह आईना कभी झुठा ना कहलाए।

कभी यह कहावत ना बने कि हम सूरत पर गए,

सूरत इतनी प्यारी पर सीरत खराब है।



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