आई दीवाली
आई दीवाली
आया कार्तिक पावन मास, लाया त्योहारों का मेला।
सजनी पूजे साजन कर सोलह सिंगार,
मृगांक भरदे घर आंगन खुशियों से।
आयी दीवाली संग लाती खुशियां ही खुशियां।
आओ अबकी दीपावली ऐसे दीप जलाएं
अंधियारा कहीं रह ना जाए ।
जिनका कोई नहीं उनको गले लगाएं और खुशियां बांटे।
आओ एक दीप जलाएं, कुछ अच्छा करने की खुद से होड़ लगाएं ।
एक दीप प्रज्वलित उनके लिए जो थे खड़े साथ,
जब अपनों ने भी साथ था छोड़ा।
यूं ही नहीं कहलाते वो धरती के भगवान!
हैं योगदान कोविड-काल में चिकित्सकों का अमूल्य।
देश को निकाल लाए इस महा संकट से ,
किया निज सुख को बलिदान।
एक दीप जलाएं हम उनके नाम , जो लाए अनगिनत जीवन में खुशियों का उजाला।
आया प्रकाश पर्व हम सबको बतलाने की,
है हित हमारा तुम्हारा घर की सफाई संग कर लो निज मन की भी सफाई।
मेरे राम खाऊं मिठाई इस बार कुछ ऐसी की जीवन में मिठास घुल जाए,बोलूं मीठे स्वर में वाणी में ऐसी मिठास भर जाए।
तन वसन ऐसा सजे की तन संग मन का अहम भी ढ़क जाए मेरे राम।
जीवन में शोर खुशियों का हो पटाखे जैसा, फुलझड़ी ऐसी की जीवन में उजाला भर दें।
देश की माटी के दीये, खिलौने हम घर लाये,
उनके घर भी खिलखिला उठे।
आयी दिवाली हम सबको बतलाने एक एक दीप जलाएं हम खुशियों के नाम।
रंगोली अल्पना के रंग ऐसे दो मेरे राम,
सब मिलकर एक हो जाए। शुभ हो यह दीप उत्सव।
पाँच दिवसीय पर्व लाए राष्ट्र में खुशियां ही खुशियां।
हर ले हर मन का तम
हर उर उजियारा घर कर ले मेरे राम।
एक दीप जलाएं कुछ ऐसा सद्गुणों को जो प्रकाशित कर जाए।
ना दुखाएं किसी का ह्रदय अनजाने में भी ,
उजियारा खुशियों का फैलाएं इस प्रकाश पर्व में।
मेरी भी तेरी भी दीवाली आलौकिक प्रकाश और
खुशियों के रंग में रंग कर जगमगा उठे।
जीवन का हर तम इस प्रकाश पर्व में मिट जाए।
आओ मिलकर हर बार ऐसी ही ,
सद्भावना और सौहार्दपूर्ण दीवाली मनाएं।