STORYMIRROR

ARVIND KUMAR SINGH

Tragedy

3  

ARVIND KUMAR SINGH

Tragedy

आ गई तेरी बातों में

आ गई तेरी बातों में

1 min
240

सोच के तू खेलेगा होली

मैं आ गई तेरी बातों में,

पर छुपा के रखा था तूने

रंग कैसा अपने हाथों में.


होली का था इंतजार तुझे

अपनी मनमानी करने को,

मेरी मति क्‍यों मारी गई जो

आ गई यहां पर मरने को।


हर अंग हाथ लगाया तूने

होली का करके बहाना,

तू कितना चालू निकला

मैंने देर से अब ये जाना।


रंगो के बहाने हाथ लगायेे

तूने मेरे अंग अंग में ऐसे,

भीतर तक मैं सिहर उठी

मुझे करेंट लगा हो जैसे।


जा रे हरजाई छोड़ मुझे

तू अब पास न मेरे आना,

जब तेरे रंग में रंग ही गई

फिर काहे को रंग लगाना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy