उम्र कम और इम्तिहान बहुत हैं
उम्र कम और इम्तिहान बहुत हैं
आज सुबह से बहुत काम है। शादी का सीजन है, लड़कियों की भीड़-सी है। मगर आज ब्राइडल का काम ज्यादा है, एक दुल्हन तैयार होने आई थी, उसका मेकअप कर रही थी बहुत सुंदर थी, वैसे मासूम खुश रहे जिस शहर में जा रही है, जिस कॉलोनी में जा रही है मैं वहीं की थी, मगर उसे यह बात नहीं बताई। हर लड़की कितने सपने संजोकर जाती है। कितनी खुशी से एक नया परिवार में जाती है मगर उसका स्वागत न जाने कैसे लोग और किस तरह होता है हा मगर माँ-बाप हर माँ बाप अपनी बेटी को हर खुशी मिले यही सोचकर शादी करते हैं। मगर कुछ चीजें किस्मत से ही मिलती हैं।
जब मेरी शादी हुई थी तब मेरे पापा ने भी यही सोचा कि मैं खुश रहूँगी, सास के रूप में मुझे एक माँ मिलेगी, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, पापा ने विदाई के समय कहा, "मैंने हमेशा हर खुशी तुम्हें देने की कोशिश की अगर मुझसे कोई कमी हो गई हो तो वह कमी पति पूरा कर देगा।"
पापा ने माँ की भूमिका भी निभाई उनके ऐसा कहते ही पता नहीं क्यों दिल से माँ की याद आ गई, मैं जोर-जोर से रोने लगी और पापा भी। बहुत लोगों ने हमदर्दी दिखाई मगर माँ तो माँ होती है मैं मेरे दो भाई थे परिवार में कोई महिला नहीं थी घर संभालने के लिए, हमारे साथ। जिसके चलते मुझे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ घर की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ती थी पिता ने हर काम में मदद की हमेशा साथ दिया। कभी कंप्यूटर तो कभी गाड़ी सीखने बोलते मैंने सीखी। आर्थिक स्थिति अच्छी हो इसलिए मैंने ब्यूटी पार्लर का कोर्स किया धीरे-धीरे मेरी कमाई भी होने लगी मगर परिवार भी बढ़ गया भाभी अभी आ गई शुरुआत तो अच्छी हुई मगर कभी पापा की तबीयत तो कभी भाभीयों की डिलीवरी मैं अपना काम नहीं कर पाती थी। उनके लिए मैं एक घर की मुखिया की तरह थी जो घर का हर काम संभालती थी।
मेरे लिए रिश्ते भी आने लगे पिता चाहते उनके रहते ही मेरी शादी हो जाए। उनकी खुशी में मैंने अपनी खुशी समझी बहुत कुछ नहीं मगर कुछ तो उम्मीद थी लेकिन किस्मत ने मेरा साथ नहीं दिया कुछ झूठ पर ही रिश्ते की बुनियाद खड़ी हो गई। पति ने साथ दिया मगर फिर भी परिवार का सुख मुझे नहीं मिला फिर कुछ जीवन में खुशी के मोड़ आए एक प्यारी-सी बेटी हमारी जिंदगी में आई जिंदगी कुछ बदल सी गई हर दिन एक नई मुस्कान से जीवन की शुरूआत होती है हजारों सपने प्यारी-सी बच्ची के लिए हम देखने लगे उसका नाम है खुशी रखा खुशी के आने से घर में खुशियाँ आ गई और हमारी आर्थिक स्थिति भी सुधर गई। मगर एक दिन अचानक ऐसा तूफान आया कि हमारी जिंदगी की बुनियाद नहीं रही, पति की एक्सीडेंट में मौत हो गई। वह हमेशा के लिए मुझे अकेला छोड़ कर चले गए, और मेरे साथ मेरी 2 साल की बेटी थी।
इसके बाद जीवन में एक अंधेरा-सा छा गया कुछ समय तक तो परिवार की सहानुभूति रही मगर धीरे-धीरे महसूस होने लगा कि शायद मैं बोझ-सी बन गई हूँ। पति के ना होने से एक अकेलापन-सा परिवार महसूस होता है घर से ज्यादा मैं दूसरों को घर में खटकती ताने प्रताड़ना चालू हो गई सास ससुर व देवर देवरानी ने हमें साथ रहने पर कुछ ना कुछ कहते रहते। कभी मैं किसी के लिए शुभ होती तो किसी के लिए कलमुंही ना जाने कैसे-कैसे शब्द कहें, जिसकी मौत जब लिखी होती है तब होती है मगर यह बात कुछ लोग नहीं समझते उन्हें लगा शायद मौत की जिम्मेदार मेरे अशुभ कदम है।
जीवन में ऐसे दुखद पल भी रहे लगता था बस अब और नहीं। अपनी मासूम बच्ची के लिए मुझे जीना पड़ा मुझे इस तरह दुखी देखकर पापा मायके ले आए मेरे लिए मेरे पिता ही सब कुछ है एक माँ की कमी को उन्होंने हमेशा पूरा किया मैं उन्हें हर बात बताती हूँ वह मेरे सच्चे दोस्त रहे वह अपनी जमा पूंजी मेरे हवाले कर देते हैं वह हर दिन मुझे खुश रखने के लिए कुछ ना कुछ करते हैं कभी मुझे घुमाने ले जाते हैं। तू कभी संतो के यहाँ ले जाते तो कभी पंडितों से मेरे उज्जवल भविष्य के लिए उपाय पूछते। तो कभी बच्ची के लिए घोड़ा बन जाते सच में मेरे पिता ही मेरे आदर्श रहे और एक सच्चे दोस्त मगर परिवार मे भाभियों का व्यवहार व जिम्मेदारी मुझे झनझोर कर रख दिया। कभी-कभी बच्चों के कारण कहासुनी होने लगी, तो कभी काम को लेकर तो कभी मुफ्त की रोटी मिल रही है सोचकर। मैं और ज्यादा टूट गई। मैंने अकेले रहने का फैसला किया क्योंकि साथ होकर भी हम अकेले ही थी कभी भाई भाभियों ने बैठकर ढंग से बात तक नहीं की उन्हें अपनी शॉपिंग, बच्चों से फुर्सत ही कहाँ थी।
लेकिन पिता ने मेरी दूसरी शादी करानी चाहिए मैं राजी नहीं थी मगर वह मुझे बार-बार कहते हैं तुम्हारी पूरी जिंदगी पड़ी है। और इस छोटी बच्ची के बारे में सोचो अकेले रहना ज्यादा तकलीफ देता है। कोई साथ हो तो जीवन की गाड़ी आराम से चलती है। मैंने उनकी हाँ में हाँ मिला दी, पिता के विश्वास व्यवहार के कारण मैं शादी के लिए तैयार हो गई, और मेरी दूसरी शादी हो गई। हमारी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी बड़ी सादगी के साथ मेरी दूसरी शादी हो गई। मगर जीवन में महिला व संघर्ष एक साथ रहते हैं, हमने एक ऐसे व्यक्ति से शादी की जिसकी बेटी और हमारी उम्र में मात्र साथ 8 साल का फर्क है फिर भी इतने समझौते के बाद हमें पति के रुप में एक शैतान इंसान ही मिला जो मुझे बहुत मारता था न जाने कितनी रातें मैंने रो-रो के गुजरी हर चीज के लिए सुनना पड़ता और अपनी बेटी को देखकर उसे सह लेती बड़ी मुश्किल से मैंने खुद को संभाला और परिवार में बहुत समझौते के साथ मन मार कर रहने लगी, गाड़ी धीरे-धीरे ही सही समझौते और मार के साथ चल रही थी लेकिन एक दिन अचानक पता चला कि पति को कैंसर है एक नशे के कारण न जाने व्यक्ति को कितनी बीमारियाँ और कितने जीवन गवाने पड़ते हैं फिर भी रे नशा लोग नहीं छोड़ते जिसके चलते मेरी सारी जमा-पूंजी लग गई समय पति की सेवा में चला गया मगर फिर भी कोई सुधार नहीं हुआ और एक दिन अपनी बीमारी के चलते पति हमें छोड़कर जिम्मेदारियों से आजाद हो गए।
कुछ महीनों के संघर्ष के बाद जिंदगी सामान्य होने लगीं मेरी दूसरी शादी भी सफल नहीं हुई मेरी बेटी मात्र 5 साल की है मुझे इस परिवार में भी वही तकलीफें मिली जिसे मैं छोड़कर मायके आई थी। लेकिन मैं टूटी नहीं और मजबूत बन गई किस्मत को कोसने से कुछ नहीं होता स्वीकार किया मैंने बहुत मेहनत की आज मैं बहुत अच्छे मुकाम पर हूँ। मेरा ब्यूटी पार्लर है बहुत लोगों से जुड़ी ,बहुत कुछ सीखा। जीवन आज तक न जाने कितनी दूल्हने सजाई मगर मेरी शादी सफल नहीं हुई लेकिन पता नहीं क्यों उस शहर की दुल्हन के साथ सहानुभूति होने लगती है।
जितने सावन देखे नहीं उससे ज्यादा पतझड़ जीवन में देखे।
जिंदगी के रथ में लगाम बहुत हैं,
अपनों के अपने ऊपर इल्ज़ाम बहुत हैं,
देखती हूँ शिकायतों का दौर तो थम-सी जाती हूँ,
उम्र बहुत कम और इम्तिहान बहुत है।।