मोनिका द मिस्ट्री गर्ल भाग-१
मोनिका द मिस्ट्री गर्ल भाग-१
दोस्तों आज की मेरी यह हॉरर प्रेम कहानी, एक खतरनाक मोड से लबरेज एक प्यारी सी प्रेम कहानी में तब्दील हो जाती है जो धीरे-धीरे आगे चलकर एक अजीब मोड लेती है जिसे मैं अविनाश नाम के किरदार के रूप में प्रस्तुत करूँगी...तो आईये चलते हैं एक नये सफर की ओर ..कहानियों का सफर विथ प्रियंका कार्तिकेय..
सर्द हवा की लहर बार-बार ग्राउंड फ्लोर के लिली के छोटे-छोटे पौधे से टकरा कर सड़क पर आने जाने वाले लोगों को ठिठुरने पर विवश किये जा रही थी..
ऊपर से धीरे-धीरे बढ़ते स्नोफॉल से ठंड की सिहरन अपने असीम चरम पर थी..मैं ग्राउंड फ्लोर के १२नं. स्थित खिड़की से बाहर की ओर एक सुकून भरी मुस्कुराहट लिये बेवाकी से उन लहराते फूलों को देखे जा रहा था| हालांकि बचपन से ही इस तरह के मौसम से मेरा कुछ खास लगाव था क्योंकि ये सर्द हवा अजीब-सा सुकून मेरे अंदर तक बिखेर देती थी|
खिड़की के बाहर की बालकनी में व्हाईट लिली को देख मैं मुस्कुरा रहा था | इस फूल की भीनी-भीनी खुशबू आज फिर एक किसी की याद में मुझे डुबोने के लिये आतुर था| मैं ना जाने क्यों इन खूबसूरत वादियों में अपनी खिड़की से उसका अक्स तलाश कर रहा था..या यूँ कहिए अपनी खोई हुई पहचान का धुंधला-सा अक्स जो मोनिका के जाने के बाद लगभग बिखर सा ही गया था क्योंकि मोनिका की अनगिनत बातों को ..उसकी प्यारी-सी मुस्कुराहट को मैं अपने दिल की गहराई में उतार चुका था..बहुत प्यार करता था मैं उसे और आज भी करता हूँ..
हां, मोनिका वही मोनिका जिसके दर्द की दस्तान आज भी मेरा दिल दहला उठती है| पर उसके दर्दनाक अतीत की वजह से कभी भी मेरा प्यार कम नहीं हुआ|
आज भी जब उसकी चीखें मेरे कानों में गूँजती है तो दिल बैठ सा जाता है| कुछ ही घंटो की मुलाकात ने उस अजनबी लड़की से बहुत गहरा और पाक सा रिश्ता जोड़ दिया था| याद है मुझे आज भी वो रात जब मेरी कार सुनसान से जंगल को धीरे-धीरे अंधेरे को चीरते हुये अपनी एक अलग ही रफ्तार से बढ रही थी|
उस दिन मैं बहुत ज्यादा परेशान था क्योंकि आज ही के दिन मैं अपना सब कुछ गवाँ बैठा था|
अपने प्यार को किसी और का होता हुआ देखना मुझे कतई ही गवारा नहीं था| आखिर कर भी क्या सकता था, सुरभि ने अपनी कसम देकर मुझे तिल-तिल मरने के लिये जो छोड़ दिया था|
इसी के चलते मैंने थोड़ी से ज्यादा शराब पी रखी थी, तब ही शराब के नशे में धुत मेरी कार की रफ्तार से किसी चीज़ के टकराने की आवाज आयी| मैंने हड़बड़ाहट में अनबैलेंस कार को कंट्रोल की कोशिश की तो
मेरी कार सीधे जाकर एक बरगद के पेड में जाकर धडडडडडडाम!! की आवाज करके भिड गयी|
जिसके चलते मेरे माथे पर हल्की सी चोट आयी पर मैंने जैसे तैसे खुद की फिक्र ना करते हुये सबसे पहले कार की टक्कर से किस चीज़ या इंसान से हुई देखने के लिये अपनी गाड़ी से उतरा और बाहर जाकर देखा तो एक काली बिल्ली खून से लथपथ सड़क पर पड़ी थी, तब जैसे तैसे मैं उस काली बिल्ली के पास गया तो देखा वो मृत हो चुकी थी पर उसके गले पर एक अजीब तरह का सफेद रंग का गहरा निशान था| फिर जैसे ही मैं उठकर पीछे मुड़ने के लिये उठा ही था कि एक सुंदर-सी हल्की बादामी कलर की कुर्ती वाली और बड़े-बड़े सुंदर नैयनों वाली लड़की ने मुझे अजीब तरह से घूरा| उसकी सूरत कुछ जानी पहचानी सी लग रही थी| मैंने अपने दिमाग पर बहुत जोर डाला पर फिर भी ये समझ से परे था मैंने उसे कहाँ देखा था| फिर वो मुझ पर ऐसे बरस पड़ी जैसे मैंने किसी इंसान का बेरहमी से कत्ल कर दिया हो|
"तुम समझते क्या हो खुद को!
तुम रहीसजादों के लिये किसी की भी जान बहुत सस्ती होती है ना|"
तब मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ और मैंने उससे माफी मांगते हुये कहा- "देखिए ये एक्सीडेंट मुझसे अनजाने में हुआ, आप मुझे माफ कर दीजिए| प्लीज, मुझे इस सुनसान जंगल से बाहर निकलने का रास्ता बताईये|"
उस लड़की ने पहले तो अपनी नाक सिकुडी फिर जंगल की ओर मुड गयी और कुछ बुदबुदाते हुये आगे बढ़े चले जा रही थी|
मैं बिना कुछ कहे ही उसके पीछे हो लिया| मैंने फिर एक बार उससे मदद की दरख्वाश्त की|
इस बार उसने हामी में सिर हिलाया और कहा- "ठीक, मैं तुम्हारी मदद करूँगी पर इसके बदले मुझे क्या मिलेगा?"
मैंने कहा- "जो आप चाहे! बस मुझे जंगल से बाहर निकलने का रास्ता बताईये!"
उस लडकी ने कहा- "ठीक है, सही समय आने पर इस मदद के बदले जो मुझे मुनासिब लगेगा, तुम से मांग लूंगी|
इस घने जंगल में ज्यादा रुकना, मतलब जंगली जानवरों को दावत देना है| पास ही में एक लीना कोटेज है, बहुत दिनों से खाली पड़ा है| वहाँ तुम सुरक्षित रहोगे| आज रात वहाँ रुक जाना फिर सुबह होते ही वहाँ से पैदल १० किमी दूर हाईवे रोड है, वहाँ से तुम्हें घर जाने का कोई ना कोई साधन मिल ही जायेगा|"
मैंने हामी में सिर हिलाया और उसके पीछे पीछे चल पड़ा|
मैं जंगल की तरफ जैसे जैसे बढ़ रहा था, धीरे-धीरे जंगल का घनघोर अंधकार भी बढ़ता ही जा रहा था|
कभी चमगादड़ की डरावनी आवाजें आती तो कभी अंजान सरसराहट की दस्तक होती पर वो लड़की बेखौफ-सी आगे बढ़ती चले जा रही थी| डर का तो जैसे उसके चेहरे पर नामों निशान नहीं था पर मैं अंदर ही अंदर काफी हद तक डरा हुआ था पर उस लड़की के सामने खुद को निडर साबित करने की जद्दोजद में अपने डर को मन के किसी कोने में दफन सा कर दिया था|
मैंने उस लड़की से आगे बात बढ़ाते हुये कहा- "जी मैं अविनाश, एक पत्रकार हूँ और मैं मुम्बई से हूँ और आप?"
लड़की ने मेरी तरफ देखते हुये अपनी काली घनी भौहें सिकुडी पर मुझे भयभीत देखकर उसने सामान्य लिहाजे में कहा- "मेरा नाम मोनिका त्रिवेदी है| पास ही के एक गरीब किसान की बेटी हूँ| मेरे मां बाबा मुझे पढ़ा लिखाकर एक अच्छी जिंदगी देना चाहते थे..पर!!"
कहते कहते मानो उसकी जुबान को ताला सा लग गया|
मैं- "पर?? आगे क्या हुआ!"
मोनिका(बनावटी मुस्कान लिये)- "कुछ नहीं, चलो लीना कोटेज आ गया| तुम आराम कर लो| मैं तुम्हारे खाने-पीने का कुछ इंतजाम देखती हूँ," कहते हुये वो उस कोटेज के अंदर चली गयी|
वो कोटेज दिखने में बहुत ही डरावना और भयानक सा लग रहा था|
मकडियों के अनगिनत जालें, टूटी कुर्सी और पूरे कमरे में जमी धूल; उस कोटेज की तंगहाली बयाँ करने के लिये काफी थी|
उसकी हालत देख ऐसा लगा जैसे सालों तक इंसान तो क्या किसी जानवर ने भी वहाँ कदम नहीं रखा होगा|
पर मोनिका तो जैसे उस कोटेज के चप्पे-चप्पे से वाकिफ थी, वो तुरंत किचन की तरफ मुड गयी और बेतरती से कुछ खाने पीने का सामान तलाशने लगी पर सिवाय मटमैले बर्तन और पुरानी चायपत्ती और शक्कर के उसे कुछ ना मिला| कुछ देर खटर-पटर करने के बाद उसने एक कड़क चाय मेरे हाथ में थमा दी| वो और मैं कोटेज के हाल में चुपचाप खमोशी से चाय पी रहे थे तभी अचानक किचन में से किसी चीज़ के गिरने धडडडडडाम से आवाज आयी| देखा तो वहाँ एक और वही सफेद दाग वाली बिल्ली मृत अवस्था में पड़ी थी|
और उसका खून पूरे किचन में पानी की तरह फैल गया था|
इस तरह का दुबारा मंजर देख मेरे तो पसीने छूट गये|
तभी अचानक पूरे घर की लाईट जल बुझ होने लगी, मैंने जैसे ही पीछे मुडकर देखा तो मोनिका गायब थी| उसको पूरे हाल में ना पाकर मैं पसीने से बुरी तरह तरबतर हो गया|
जैसे ही कोटेज के ऊपर के रूम की तरफ गया मैं, वहाँ का नजारा देख दंग सा रह गया| मेरे पैर वहीं जम से गये|
एक लड़की की चीखने चिल्लाने की दर्द भरी पुकार उसके कानो में पड रही थी|
और वो तीन लड़के एक-एक करके उसकी तरफ गंदी नीयत से उसकी तरफ बढ रहे थे...
आखिर कौन थी वो लडकी?? और क्या था इसके पीछे का रहस्य? जानने के लिये इंतजार कीजिए, इसके अगले भाग का; जल्द से जल्द लेकर आउँगी..िया हो..