मोनिका पार्ट 6
मोनिका पार्ट 6
दोस्तों अब तक आपने पढ़ा किस तरह अश्विन और मोनिका कुमार के दोस्त के सामान की तहकीकात करते है, और इस दौरान उनके हाथ एक सुराग लग जाता है जिससे पता चलता है ये शख्स कोई और नहीं वही राहुल शर्मा है जिसने बसुरियां गाँव में मोनिका का बेरहमी से अपने दोस्तों के साथ मिलकर कत्ल किया था, तो आईये चलते है एक नये सफर की ओर।
मैं और मोनिका उस आई.सी.यू रूम से जैसे ही बाहर निकल रहे होते है, कुमार मुझसे टकरा जाता है, और खुशी से मेरे गले लग कर कहता है,"फाइनली डॉक्टर कल सुबह मेरे भाई को डिस्चार्ज कर देंगे, यहां से और थेंक्यू सो मच अश्विन जी आपकी मदद के बिना मैं पता नहीं क्या करता?"
मैने पूछा-"पर ये आपका भाई कैसे हुआ? आपने तो बताया था ये आपका दोस्त है?"
कुमार-"नहीं नही अश्विन जी, ये मेरा दूर का रिश्तेदार है लेकिन इससे पहले ये मेरा बचपन का सबसे अच्छा दोस्त है। माफ कीजिएगा उस समय सबकुछ इतनी जल्दबाजी में हुआ कि मैं आपको बताना भूल गया।
तब ही मुझे वो सपने का एक भाग याद आता है, जिसमें मोनिका ने मुझे बताया था "राहुल मुंबई के लिये उसके गाँव की लोकल ट्रेन से अपने किसी रिश्तेदार के यहां निकल जाता है", मतलब वो रिश्तेदार कुमार और उसका परिवार ही है।
अब मेरा दिमाग पहले से ज्यादा खराब हो जाता है।
दूसरों से ज्यादा अब मुझे खुद की ग़लती पर अफसोस होता है, और ज़हन में हजारों सवाल एक साथ चिंगारी की भांती सुलग उठते है,
अगली सुबह राहुल शर्मा की एक प्लास्टिक सर्जरी होती है, जिसमें उसे पहले से अच्छा चेहरा मिलता है, और डॉक्टर सारे रूटीन चेकअप के बाद राहुल को डिस्चार्ज कर देते है, कुमार सारे बिल्स पे कर देता है और छोटी-छोटी सारी फॉर्मिलिटिज निभाता है, और राहुल का सामान पैक करता है, जिसमें उसके एक्सीडेंट वाले कपड़े और चैन अंगूठी जैसे छोटे-छोटे कीमती समान होता है।
इस दौरान कुमार के द्वारा समान पैक करते हुये राहुल के बेड के नीचे गोल गोल राउंड करते हुये कुछ चैन या अंगूठी जैसा कुछ ज़मीन पर गिर जाता है, फिर कुमार मुझसे गले मिलते हुये मुझे एक बार फिर शुक्रिया कहता है, और मेरा नंबर ले लेता है, और मेरा मोबाईल मेरे हाथों से लेकर उसमें खुद का और राहुल का नंबर सेव करता है, और फिर वापस मिलने के लिये बहुत ज्यादा एक्साईटेड दिखता है, तब ही राहुल भी धीरे -धीरे मेरे पास आकर मेरे गले लगता है। मुझे थेंक्यू बोलता है, और मैं झूठी मुस्कुराहट लिये उससे गले मिलता हूं। मोनिका ये सब देख बहुत हैरान होती है और मुझे बॉय बोल गुस्से में घर वापस चली जाती है।
मैं उस गिरी हुई चीज़ को उठाकर अपने जेब में रखकर, मैं भी टेक्सी करके घर चला जाता हूँ, और अपने कमरे की अलमारी में जा कर रख देता हूँ।
दो-तीन दिन तक मोनिका मुझसे बहुत अनमने ढंग से बात करती है। मैं भी बहुत निराश हो जाता हूँ, मैं बस किसी मौके की ही तलाश में होता हूँ कि कहीं से कोई उम्मीद मिल जाये तब ही मेरे फोन पर रिंग बजती है, मैं अनमने मन से फोन तो उठा लेता हूँ।
तब ही दूसरी तरफ से कॉल पर एक जानी पहचानी आवाज़ आती है,
वो एक्साईटेड होकर कहता है।
"हैलो अश्विन जी मैं कुमार कल मेरे और मेरी वाईफ की शादी की सालगिरह है, आप को कल रात की पार्टी में ज़रूर आना है, पर कल की पार्टी कपल थीम पर आधारित है, तो आप साथ में आये तो किसी फीमेल फ्रेंड या गर्लफ्रेंड के साथ ही आये,"
मैनें कहा - "माफ़ कीजिये कुमार जी मैं कल की कपल थीम पार्टी में नहीं आ पाउँगा क्योंकि मेरी एक बहुत ही खास दोस्त मुझसे नाराज़ है,"
इतना कहकर मैं फोन रख देता हूँ, और मेरे चेहरे पर उदासी छा जाती है।
मोनिका, मेरी और कुमार के बीच हुई बातचीत सुन लेती है, और मुझसे माफ़ी मांगती है।
" मुझे माफ़ कर दो अश्विन !! मैं तुम पर बेवजह नाराज़ हुई। मुझे नहीं पता था तुम्हारी लाईफ में मैं इतनी ज्यादा इंपोर्टेंट हूँ, एण्ड तुम कल पार्टी में ज़रूर जाओगे, तुम्हारी ये दोस्त तुमसे कभी नाराज़ नहीं होगी, इट्स प्रोमिस टू यू। " मैं उसके नज़दीक जाता हूँ और उसकी आँखों में मोटे मोटे आँसू जो कि उसके गालों को चूमते हुये लुढकते हुये उसके चेहरे पर मोती जैसे चमक रहे थे उन्हें अपनी हथिलियों से पोंछ देता हूँ।
और उसके गालों को अपने हाथों से पकड़कर कहता हूँ-" अरे बाबा कोई बात नहीं, मैं तुम्हारा साथ कभी भी नहीं छोडूंगा,
समझी पागल बुद्धु,ये सब छोडो सबसे पहले मैं तुम्हें से कुछ जरूरी बात कहना चाहता हूँ, देखो मोनिका अब हमें पहले से ज्यादा चौकन्ना और शातिर रहना होगा तब जाकर हम राहुल शर्मा के गुनाह का हिसाब किताब बराबर कर पायेंगे, आर यू श्योर तुम कल सबके सामने आ पाओगी, एक सामान्य इंसान की तरह पार्टी में खुद को प्रसेंट कर पाओगी,"
मोनिका हां मैं अपना सिर हिला देती है, और मेरा हाथ पकड़कर मुझसे पूछती है- "अश्विन एक बात पूछूं तुम इतना सब क्यों कर रहे हो मेरे लिये ??"
मैं मुस्कुराते हुये उसका जवाब सादगी से देता हूँ- "किसी खास की मदद करना कोई गुनाह है क्या मोहतरमा, और एक बात जान लीजिए मोहतरमा ये बंदा मरते दम तक तुम्हारा साथ नहीं छोडेगा,और तुम्हें इंसाफ हर कीमत पर दिलवा कर रहेगा, चाहे जान ही क्यों ना चली जाये।"
मोनिका तुरंत मेरे होठों पर अपनी नाज़ुक सी उंगलियां रख देती है और मुझे डांटती हुई कहती है- "मेरे रहते तुम्हें कुछ भी नहीं होगा खबरदार अगर इसके आगे एक लफ्ज भी मुंह से निकाला तो।"
इस दौरान ना जाने कैसे हम एक दूसरे के बहुत ज्यादा नज़दीक आ जाते है, मुझे मोनिका की आँखो में खुद के लिये बेहिसाब प्यार दिखाई देता है। उसके करीब होने का अहसास मेरे दिल में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था, एक बहुत ही मीठा मीठा सा एहसास था वो, मोनिका के गुलाबी लबों को देख मेरी सांसे ठहर सी गई, और अब मैं खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाया। और मैं अपने लबों को उसके नाज़ुक मुलायम होठों के पास ले गया, मोनिका की आँखें बंद थी, शायद वो भी इस पल में सारी शक्तियाँ नियम कायदे भूल चुकी थी इस पल में हम दोनो सिर्फ एक दूसरे में खोये हुये थे मानो दो दिल अपनी हसरतें पूरी करने को आतुर थे, इस दौरान मैने पहली बार महसूस किया मेरी सारी जन्नत मोनिका उस मुस्कुराहट में ही मुकम्मल हो गई थी, वो नाज़ुक पंखुडियों जैसे उसके शरबती होंठ और उनकी प्यारी मासूम मुस्कुराहट, वो हल्की पतली लाईनर वाला काजल सबकुछ किसी खूबसूरत सपने से कम ना था, मैं मोनिका के और करीब आ गया,और धीरे -धीरे मेरे होंठ ना जाने कब उसके लब को छू गये मुझे पता ही ना चला, बहुत ही खूबसूरत एहसास था वो मेरे लिये, पर ना जाने क्यों मेरे ज़हन में एक बात बार बार परेशान कर रही थी, इससे पहले मैं और मोनिका अपनी हदों से आगे बढते, मैं एक दम पीछे हट गया,क्योंकि इस दौरान मुझे मेरे सपने में अघोरी बाबा द्वारा मोनिका को दी गई चेतावनी याद आ गई थी,जिसमें उन्होंने साफ शब्दों में कहा था,"अगर तुमने किसी से इन शक्तियों और मेरे दिये हुये इस शरीर के साथ किसी और से संबंध स्थापित किया। तो तुम्हारी सारी शक्तियाँ खत्म हो जायेगी। और तुम जीवन मृत्यु के चक्र में फंसकर यही रह जाओगी।"
और फिर मैने मोनिका से माफ़ी मांगते हुये कहा-"माफ़ कर दो पता नहीं कैसे ये सब !! कहते कहते मेरी जुबान लड़खड़ा गयी,
मोनिका ने एक उदास नजर से मुझे देखा और फिर अपनी नज़रें झुका ली। और कहा- "बहक तो मैं भी गई, तुम बहुत अच्छे हो अश्विन।और यकीन मानो तुम से भूल से कोई ग़लती नहीं हो सकती।" कहते कहते वो मेरे सीने से लग गई।
उस समय मैने उसकी बांहो में महसूस किया, और मेरे मन में उस समय सिर्फ एक ही ख्याल गूँज रहा था,"मेरे लिये खुशी का मतलब, सिर्फ एक ही है और वो हो तुम, सिर्फ तुम। मैं तुम्हें नहीं तुम्हारी रूह को पाना चाहता हूँ, उसमें डूबना चाहता हूँ, इश्क की नयी इबारत लिखना चाहता हूँ, सच कहूँ तो जिस्मानी प्यार की हसरत नहीं है मुझे तुमसे, बस तुम्हें जी भर के प्यार करना चाहता हूँ, लेकिन मोनिका जब तक मैं तुम्हें इंसाफ नहीं दिला देता तब तक तुम से प्यार का इज़हार भी नहीं करूँगा।"
एकाएक मोनिका मेरे सीने से अलग होकर दूसरे रूम में चली जाती है, एक पल के लिये मुझे लगा जैसे मेरे दिल की आवाज़ उसने सुन ली हो, इसके बाद मैं वापस हमेशा की तरह हॉल में जाकर सो जाता हूँ।
अगला दिन घर के छोटे-मोटे कामों में निकल जाता है, फिर धीरे -धीरे एक हसीन शाम अंधेरे के आगोश में ढलने के लिये आतुर होती है,और मैं और मोनिका हॉल में बैठे राहुल को मारने की बहुत ही रहस्यमय योजना बनाते है, कि तब ही कुमार का दुबारा मेरे पास कॉल आ जाता है।
और वो फिर एक बार घर आने के लिये रिक्वेस्ट करता है, पहले तो मैं दिखावे के लिये ना नकुर करता हूँ, फिर जैसे तैसे उसकी बात से सहमत हो जाता हूँ, कुमार बोलता है- "थेंक्यू सो मच डियर। आप ठीक 8 बजे मेरे भेजे गये एड्रेस पर पहुंच जाना। आई विल वेट फॉर यू"
कुमार खुश होते हुये पार्टी के इंतज़ाम में दोबारा लग जाता है।
तब ही मैं पार्टी की शॉपिंग के लिये मार्केट जाता हूँ, और मोनिका के लिये एक बहुत ही खूबसूरत ड्रेस और खुद के लिये एक डेनिम ब्लू जींस और मोनिका का फेवरेट हल्की गुलाबी रंग वाला शर्ट और व्हाईट कोर्ट लेकर आता हूँ,
पार्टी के लिये तैयार होकर जैसे ही मोनिका वेस्टर्न ड्रेस में तैयार होकर मेरे सामने आती है, मैं उसके इस लुक को एक टक निहारे जाता हूँ, तब ही मोनिका मेरे पास आती है, और हल्की सी नर्वस होते हुये कहती है- "अश्विन मैं ठीक तो लग रही हूँ, ना कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है ना"
मैं मुस्कुराते हुये कहता हूँ- "नहीं बाबा कुछ गड़बड़ नहीं है, तुम सच में बहुत ज्यादा प्रीटी एण्ड गोर्जस लग रही हो"
"पर मोनिका तुम्हें अपना रूप बदला होगा। मैं नहीं चाहता तुम्हारे दुश्मन तुम्हें पहचान जाये, इसलिये क्या तुम अपनी शक्तियों से अपने आप की काया बदल सकती हो??"
मोनिका- "बात तो तुम्हारी बिलकुल सही है, पर अश्विन हमें रात के 12 बजे से पहले काम ख़तम करके घर लौटना पड़ेगा, क्योंकि सिर्फ 12 बजे के बाद मैं अपने असली रूप में आ जाऊंगी, और मेरी हकीक़त ना चाहते हुये भी लोगो के सामने आ जायेगी।"
मैं और मोनिका पार्टी में कार से पहुंच जाते है,
क्या मोनिका राहुल से अपना बदला ले पायेगी??
क्या राहुल मोनिका की असलियत जान जायेगा?? और क्या अश्विन अपने दिल की बात मोनिका को बता पायेगा??
क्रमशः