Priyanka Kartikey

Tragedy Horror

3.6  

Priyanka Kartikey

Tragedy Horror

मोनिका द मिस्ट्री गर्ल पार्ट 7

मोनिका द मिस्ट्री गर्ल पार्ट 7

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दोस्तों कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा। मुंबई से कुछ किलोमीटर दूर स्थित कुमार के फार्महाउस में मोनिका रिया नाम की लड़की का रूप लेकर अश्विन के साथ एक इंसानी भेष में पहुँचती है। क्या मोनिका का इंतकाम आज मुकम्मल होगा ?? तो चलिये इस कहानी के आखिरी सफर पर कहानियों का सफर विथ प्रियंका कार्तिकेय।


फिर मोनिका अपनी शक्तियों से अपना रूप बदल लेती है। एक बहुत ही सुंदर काया के साथ में और वो उस पार्टी में पहुंच जाते है। पार्टी मुंबई शहर से कुछ 30-40 किमी की दूरी पर स्थित फार्म पर रखी थी। पार्टी की शाम में बहुत ही नायाब रौनके बिखरी थी।

पार्टी में हाई वाल्यूम म्यूजिक सिस्टम और ईंवेंट की लाजवाब डेकोरेशन अपनेआप में बेमिशाल थी। पार्टी नीचे बहुत बड़े हॉल में रखी गई। उपर साईड ऐसे 5-6 कमरे और थे। जिसे देखने पर मालूम पड़ रहा था मानो किसी आलीशान राजा का राजमहल हो। वो हल्की नीली रंगों की लाईट वाला झूमर उस पूरी पार्टी की शान जो कुमार के हॉल के बीचो बीच लगा हुआ। धीरे-धीरे मेहमानो का आना शुरू हुआ।

मुझे और मोनिका को देख कुमार मेरे गले लगा। और मोनिका की तरफ देख के बोला- "हैलो आई एम कुमार शर्मा और आप??"

मोनिका ने मुस्कुराते हुये हाथ मिलाते हुये कहा-" हैलो मिस्टर कुमार नाईस टू मीट यू एण्ड आई एम रिया मेहरा।"

कुमार हल्के से मेरे पास आकर कानो में फुसफुसाया- "वैसे आपकी पसंद बहुत ही अच्छी है अश्विन जी। मेरे ख्याल से यही है वो आपकी खास दोस्त। वैसे चलिये मैं अपनी वाईफ से मिलवाता हूँ।"

तब ही कुमार अपनी वाईफ सुरभि को आवाज़ देता है जो कि रिश्तेदार की आवभगत में लगी हुई होती है। सुरभि कुमार के बुलाने पर जैसे मेरी नजरों के सामने आती है। एक बार फिर वही कसक और दर्द उसकी आँखो में आ जाता है। वो कहते है ना पहला प्यार भुलाये नहीं भुलता। शायद यही वजह थी सुरभि आज भी कुमार को नहीं अपना पायी थी और यही वजह थी उनके बेमतलब के झगडों की। सुरभि के आँखों में नमी थी। सुरभि ने झूठी मुस्कुराहट कायम करते हुये।अश्विन के साथ एक अजनबी की तरह पेश आयी। जैसे ही उसकी नजर मोनिका पर पड़ी उसे उससे एक अजीब सा जुड़ाव महसूस हुआ। मानो वो उसे सालों से जानती है। जबकि मोनिका रिया के रूप में थी फिर भी सुरभि उसके साथ एक अजनबी की तरह ना पेश आकर एक जाने पहचाने दोस्त की तरह पेश आ रही थी। इस दौरान मैने देखा मोनिका भी सुरभि से मिलकर बहुत ज्यादा खुश थी।


मैं और कुमार दोनो को इस तरह देख हैरान थे। और कुमार से ज्यादा तो मैं हैरान था। क्योंकि पहले जब कभी सुरभि किसी भी लड़की को मुझसे बात करते हुये देख लेती थी तो कितना ज्यादा गुस्सा करती थी। आज वही सुरभि मेरे साथ आयी मोनिका से हँस हँस के बातें कर रही थी।

कि तब ही राहुल हम सभी के पास आया। जिसे देख मोनिका के ताशोरात कुछ पल के लिये हिकारत में तब्दील हुये जिसे शायद सुरभि ने नोटिस कर लिया था। राहुल की नियत रिया उर्फ मोनिका की खूबसूरती देख। फिर एक बार डोल गयी। और उसकी नजरों में वही हैवानियत की लहर फिर से एक बार दौड़ गयी। वो बस अजीब नज़रों से रिया को घूरे जा रहा था। मानो उसे जिंदा नोच के खा जायेगा।

सुरभि ने माहौल की नज़ाकत को समझते हुये अपने उपर वाले रूम में केक लेने का बहाना लेकर रिया को अपने साथ ले गई। और रिया का हाथ पकड़कर राहुल की सारी सच्चाई बता देती है और उससे दूर रहने के लिये रिया को हिदायत दी। और रोते रोते कहने लगी -" रिया। तुम नहीं जानती ये हैवान कितना खतरनाक है। इसने तो मुझे भी नहीं छोड़ा, और ना जाने कितनी बार मेरे साथ इसने दरिंदगी की है कुमार की गैर हाजिरी में, और मुझे बहुत बार ब्लैक मेल भी किया। मैने कुमार को बताने की कोशिश की पर वो तो राहुल की दोस्ती में अंधे हो चुके है। यहां तक कि इससे पहले इस हैवान ने और उसके दोस्तों ने मेरी कजिन सिस्टर का भी बेरहमी से कत्ल करके मार दिया। तुम ही बताओ मैं करूँ तो क्या करूँ वो हैवान तुम्हें भी बरबाद करना चाहता है। मुझे तुम में मेरी मोनिका की छवि जैसे दिखती है इसलिये मैंने तुम्हें यह सब बताया। मैं बस इतना ही कहूंगी रिया तुम जल्द से जल्द इस पार्टी से चली जाओ।"

तब मोनिका सुरभि को गले लगाते हुये कहती है- "सुर्रू दीदी आप परेशान मत होईये। आज मैं सारा हिसाब किताब बराबर करने ही आयी हूँ। आज १२ बजे से पहले आप खुद देख लेना, मैं इसके दो दोस्तों को मौत के घाट उतार चुकी हूँ। अब सिर्फ यही एक बचा है" इतना कहकर मोनिका जोर जोर से हँसने लगती है, और सुरभि के सामने अपने असली रूप में आ जाती है।

सुर्रू नाम सुन के एक पल के सुरभि चौंक जाती है-

"मोनिका तुम ???"

मोनिका - "हां दीदी मैं ही हूँ मोनिका। मुझे मरने के बाद भी मुक्ति नहीं मिली।"

कहते कहते उसके आँखों में आँसू आ जाते है। मोनिका की हालत देख सुरभि के आँसू गालों से लुढक कर मोनिका की हथेली पर आ जाते है। तब ही मोनिका खुद को संभालते हुये सुरभि के आँसू पोंछती है, और कहती है-

"कसम है दीदी मुझे आपकी। मैं आपके और अपने साथ हुई एक एक दरिंदगी का गिन गिन के हिसाब लूंगी।"

इस दौरान मोनिका ने महसूस किया मानो किसी ने उनकी सारी आपसी बातचीत सुन ली थी। क्योंकि सीढ़ियों से उपर से नीचे की ओर किसी के कदमों आहट सुनाई दे रही थी।

मोनिका वापस अपनी शक्तियों से रिया के रूप में आ जाती है। और जैसे ही बाहर जाकर देखती है। तो वहां कोई दिखाई नहीं देता।

सुरभि भी फ्रिजर में रखे केक को अपने हाथों में लेकर नीचे आ जाती है। और टेबल के उपर सजावट करते हुये केक रख देती है। और आस पास के गेस्ट जो पार्टी के केक कटिंग के इंतजार में इधर-उधर घुम रहे थे। टेबल के पास आ जाते है। और उन्हीं के साथ कुमार भी आ जाता है। सुरभि और कुमार केक कट करते है। फिर खाना होता है, और माहौल को रोमांटिक बनाने के लिये कलरफुल डिम डिस्को लाईट वाली थीम पर म्यूजिक और डांस शुरू होता है।डांस के लिये जैसे ही कुमार सुरभि के पास आता है। और उसे डांस के लिये कहता है, सुरभि बेमन से हां तो कर देती है, पर उसका ध्यान सिर्फ मेरी और ही होता है। मानो जैसे बहुत कुछ कहना चाहती थी वो मुझसे। और तब ही राहुल रिया के पास आकर बोलता है- "हे़य व्यबटीफुल गर्ल आई वाना डांस विद यू।"

रिया - "नो थेंक्स "

राहुल- "कम ऑन यार यू आर सो व्यूटीफुल सिर्फ एक डांस ही करने के लिये तो कह रहा हूँ। वैसे मुझे तुम से एक बहुत इंपोर्टेंट बात करनी है। सो विल यू डांस विद मी!!"

रिया इस बार कुछ सोच में पड़ जाती है। और मेरी तरफ देखती है। मैं उसे इशारे में राहुल के साथ डांस के लिये इजाज़त तो दे देता हूँ। पर अंदर से रिया ( मोनिका) के लिये असुरक्षा महसूस करता हूँ। और उन दोनो की हर मूवमेंट पर नजर रखता हूँ। डांस के दौरान मैं देखता हूँ। राहुल रिया के कान में कुछ धीरे- धीरे से फुसफुसाते हुये कहता है। खैर डांस जैसे जैसे खत्म होता है कुमार के सारे गेस्ट जाने लगते है। अब पार्टी हॉल में सिर्फ मैं और कुमार सुरभि और राहुल और रिया और कुमार का स्टॉफ रह जाता है ।तब ही कुछ देर बाद राहुल किसी को फोन लगाता है। इस दौरान मैं बस किसी मौके की तलाश में ही होता हूँ, कि तब ही अचानक लाईट चली जाती है जिससे पूरे घर में अंधेरा छा जाता है। कुमार हॉल के इनवार्टर के पास आउट हाउस में चला जाता है।तब ही सुरभि मेरा हाथ पकड़ कर एक कोने में ले जाती है। और कहती है- "थेंक्यू सो मच मेरी बहन की मदद करने के लिये और मैं भी तुम्हारे साथ हूँ।"

मैं- "देखो मदद के लिये शुक्रिया। तुम बस इतना करना, कि किसी को भी रिया ही मोनिका है, ये असलियत मत बताना। मैं बस इतनी सी मदद चाहता हूँ।"

कुमार मोमबत्ती हाथ में लिये, हॉल में आता है, और कहता है- "किसी ने जान बूझकर लाईट बंद करके मेन स्विच गायब कर दिया।"

तब ही कुमार देखता है। हॉल से राहुल ग़ायब था, और साथ ही रिया भी।

कुमार के पसीने छूट गये। और मैं ने भी महसूस किया रिया गायब थी। तब ही कुमार के कैंडिल की लाईट में मैने देखा रिया का पर्स ज़मीन पर पड़ा था।अब मैं रिया रिया चिल्लाते हुये उपर नीचे के सारे कमरों में पागलों की तरह छानबीन करने लगा। पर ना तो रिया मिली और ना ही राहुल अब मैं बहुत ज्यादा घबरा गया। क्योंकि १२ बजने में मात्र दस मिनट बाकी थे और मोनिका अब कभी भी अपने असली रूप में आ सकती थी। तब ही आउट हाउस के साईड वाले रूम से किसी के चिल्लाने की आवाज़ आयी। मैं और बाकी सब बाहर की तरफ दौड़ते हुये जैसे ही बाहर गये।

वहां का नज़ारा देख सब दंग रह गये।.मोनिका जो कि रिया के रूप में आयी थी अब वो अपने असली रूप में आ चुकी थी। और हवा उपर की तरफ किसी चीज से जकड़ी हुई थी उसके आस-पास किसी शक्ति का घेरा बना हुआ था।

और हैरतअंगैज बात तो यह थी अभी भी १२ बजने में ५ मिनिट कम थे तो ये कैसे संभव था । तब ही मैने देखा नीचे एक हवन कुंड में एक तांत्रिक अपनी काली पूजा के जरिये मोनिका की शक्तियों पर काबू कर लेता है। और उसको धोखे से काली शक्तियों में बांध देता है। तब सुरभि और मैं मोनिका को बचाने के लिये उस हवन की आग बुझाने के लिये जैसे ही उस हवन के पास जाते है तब हम दोनो को भी वो एक नजर गुस्से से देख अपनी शक्तियों से आस पास का घेराव बनाकर बांध देता है। और जोर जोर से हँसते हुये कहता है- "तुम तुच्छ मानव इस लड़की को नहीं बचा पायेंगे ।इसकी रूह को मैं तड़पा -तड़पा के जलाकर खाक करूंगा। इसे ना तो मुक्ति मिलेगी और ना दोबारा जिंदगी।"

तब ही राहुल भी मुस्कुराते हुये। तांत्रिक बाबा के पैर पड़ कर उनका आशीर्वाद लेता है। और मेरी तरफ मुड़कर देखते हुये कहता है- "तो मिस्टर अश्विन तुम्हें क्या लगा।! तुम मेरे गांव जाकर छानबीन करोगे और मुझे बिलकुल पता नहीं चलेगा। तुम इतने बेवकूफ़ कैसे हो सकते हो, और याद है वो एक्सीडेंट जो कुछ दिन पहले सड़क पर हुआ था। दरअसल मैंने जान बुझ के किया था क्योंकि मैं तुम्हें मारना चाहता था, क्योंकि तुम बारे में जरूरत से ज्यादा जान गये थे। पर ये तुम्हारी खुश किस्मती थी जो तुम बच गये, वो भी इस मनहूस मोनिका की शक्तियों की वजह से , और इसी की शक्तियों की वजह से मेरा और कुमार का एक छोटा सा एक्सीडेंट हुआ था पर फिर जब कुमार तेरे पास मदद के लिये गया और तब मैने ही प्लान बनाया था तुम दोनो से मिलने का और मैने अपनी ही गाड़ी के शीशे कार में रखी हॉकी स्टिक से तोड़ डाले और अपनी कार में रखी खून की बॉटल से अपने सिर पर और कार के ड्राईविंग सीट के आस पास फैला दिया और तुम्हारे और कुमार के आने के पांच मिनट पहले कार में जाकर बैठ गया और बेहोश होने का नाटक किया। और इसमें मेरे जाने माने दोस्त ने अपने पॉलिटिकल पॉवर का इस्तेमाल करके पूरे हॉस्पटिल को सर्जरी के नाटक में शामिल किया ताकि मैं मोनिका को तांत्रिक की दी हुई अंगूठी मैं कैद कर सकूँ। जो शायद तुम्हें मेरे हॉस्पटिल से डिस्चार्ज होते टाईम मिली थी। तब ही इस बेवकूफ़ कुमार की वजह से पूरा खेल बिगड़ गया। मैने फिर एक और प्लान बनाया और सबसे पहले मैने तांत्रिक बाबा मिला और फिर इसके बाद तुम्हें और मोनिका को पार्टी में बुलाया। और तुम लोग जैसे ही यहां आये मैने तुम्हारे घर जाकर छानबीन की। और वहां से वही अंगूठी लेकर आया, और मोनिका के कान में तांत्रिक बाबा का दिया हुआ एक ही मंत्र दोहराया "उँ हीं क्लीं चमुंडायै विच्यै नम।" जिससे कुछ देर के लिये मोनिका की शक्तियां कमजोर पड़ गयी, पार्टी में मौका पाकर लाईट गोल करवायी और इस दौरान उस मंत्र के उच्चारण के साथ उसको वो अंगूठी पहना दी जिससे ये कुछ देर के लिये बेहोश हो गई और फिर मैं इसे यहां ले आया।"

और मैने गुस्से से छटपटाते हुये कहा- "कमीने गलती की जो तुझे हॉस्पटिल में जिंदा छोड़ दिया। तुझे वही मार देना चाहिए था।"

राहुल( हँसते बोला)- "तू पहले खुद को तो बचा ले। फिर मेरी फिक्र करना। हाहा हाहा । हा हाहा हा "

तब राहुल सुरभि की तरफ बढते हुये कहता है- "तुमने बहुत ज्यादा होशियारी दिखाई मेरे बारे में, पार्टी केक ले जाने के बहाने रिया उर्फ मोनिका को ले जाकर सब कुछ बता दिया, तुम दोनो बहनों की सारी बातें मैने सुन ली थी, तुम भी मरोगी आज तो।"

फिर कुमार की तरफ बढते कहा- "और कुमार तेरी दोस्ती की दाद देनी पड़ेगी। मेरी दोस्ती में तू इतना अंधा हो गया कि तुझे ये तक पता नहीं चला मैने कितनी दफा तेरे ही घर में और तेरी बीबी के साथ बलैक्मेल कर कर के उसका भी भरपूर इस्तेमाल किया, और तुझे हर बार बेवकूफ़ बनाता गया। और तू बन भी गया, अब आज तुम सब मारोगे और तुम सबको पास के ही जंगल में दफ़न करूँगा। और अपने जैकेट से गन निकाल लेता है।"

कुमार गुस्से से आग बबूला होते हुये कहा- "कमीने तूने इतना बड़ा धोखा दिया।मैं तुझे नहीं छोडूंगा।"

राहुल गुस्से में कुमार के दहिने पैर में गोली दाग देता है जिसके चलते उसके पैर से बहुत ज्यादा खून बहने लगता है।


तब ही तांत्रिक अपने मंत्रोच्चारण पहले से ज्यादा गति से बोलने लगता है। इस दौरान मोनिका की तकलीफ़ और ज्यादा बढ़ने लगती है। मोनिका की चीखों से मेरा कलेजा मुँह को आ जाता है। तब मैं आँख बंद करके बार बार उसी अघोरी बाबा को पुकारने लगता हूँ। जिन्होंने मोनिका को अद्भुद शक्तियों प्रदान की थी। और इस दौरान मैं एक अलग ही दुनिया में पहुंच जाता हूँ । तब ही वो अघोरी बाबा मेरे सपने में आते है।

और एक दृश्य मेरे सामने दिखाते है। जिसमें मैं और मोनिका बसुरिया गांव के जंगल से गुजरते हुये सड़क की तरफ जा रहे थे। तब ही मोनिका 5 मिनट के लिये श्मशान के पास किसी से मिलने जाती है । तब अघोरी बाबा उसके हाथ में एक मंत्रउच्चारित करते हुये एक पुड़िया देते है और इसे सही वक्त आने पर इस्तेमाल करने की हिदायत देते है। उसके बाद मैं और मोनिका मुंबई की ओर कार से निकल जाते है।

तब ही अघोरी बाबा मुझसे कहते है- "अश्विन बेटा एक तुम ही हो, जो अब मोनिका की मदद कर सकते हो।"

मैने बेचैन होते हुये पूछा - "मुझे बताईये बाबा मैं किस तरह उसकी मदद कर सकता हूँ।"

तब अघोरी बाबा बोले - "मेरी बात ध्यान से सुनो बेटा तुम किसी तरह मोनिका ने अपने साथ मेरी दी हुई पुड़िया घर से निकलने से पहले अपने पर्स में रखी थी। तुम्हें बस उस पुड़िया को निकालकर मोनिका के उपर फेंकना है। और इसका कुछ भाग इस तांत्रिक के उपर और हवन में डाल देना। इस तरह मोनिका अपनी खोई हुई सारी शक्तियों प्राप्त कर लेगी और वो इन सबसे ज्यादा शक्तिशाली हो जायेगी, पर इसके साथ ही तुम्हें राहुल के गले से उसका लॉकेट किसी तरह निकालना होगा। ये वही चमकदार चीज थी जिसकी वजह से तुम उस दुष्ट को अस्पताल में नहीं मार पाये। इसी अभिमंत्रित लॉकेट की वजह से मोनिका की शक्तियों उस समय कम हो गयी। और उसके हाथ का धागा भी, काम बहुत मुश्किल है। पर तुम यकीनन इस काम को अपने अंजाम तक जरूर पहुंचाओगे मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।"

तब ही मुझे महसूस हुआ मेरे हाथ मुझे खुले महसूस हुये पैर पर लगी बंधिस हट चुकी थी। तब ही मैने देखा मोनिका का पर्स कुमार के जख़्मी पैर के पास पड़ा हुआ था। इस दौरान राहुल और तांत्रिक पूजा में बैठे थे और यही मेरे लिये सबसे अच्छा मौका था। मैनें कुमार को इशारा किया, तो उसने पूरा जोर लगा कर धीरे से वो पर्स मेरी ओर खिसका दिया।और मैने वो पर्स चुपके से उठाकर दोनो हाथ पीछे की ओर बांधकर खड़ा हो गया, और पर्स को खंगालने लगा। तब ही मेरे हाथ अघोरी बाबा की दी हुई पुड़िया लगी, फिर मैने किसी तरह राहुल को उल्टा सीधा बोलकर उकसाया और वो गुस्से तिलमिलाते हुये मेरे पास आया और उसने मेरी कनपटी पर बंदूक रख दी,और बोला- "क्यों बे साले तुझे बहुत जल्दी पड़ी है..मरने की रूक तुझे जन्नत की सैर करवाता हूँ।

तब ही मैं चालाकी उस पुड़िया का छोटा सा अंश हाथ में लेकर राहुल की आँखो पर फूंक देता है, राहुल को अपनी आँखो में बहुत ज्यादा जलन महसूस होती है, तब ही मैं उसके गले से लॉकेट निकालकर हवन में जला देता हूँ, राहुल का दाहिना हाथ पकड़कर हवन की अग्नि की तरफ कर देता हूँ । तेज आंच के चलते राहुल के हाथ का कुसुम हवन की अग्नि में जलकर गिर जाता है। इस दौरान मैं राहुल को दो -चार थप्पड़ रसीद देता हूँ। जिससे वो पीछे की ओर औंधे मुंह गिर जाता है, फिर इसके बाद मैं पुड़िया का एक भाग मोनिका की तरफ फूंकता हूँ। जिससे उसे अपनी शक्तियों मिल जाती है, और पुड़िया का दूसरा भाग हवन पर और तांत्रिक पर डाल देता हूँ, जिससे हवन की अग्नि बुझ जाती है।

और मोनिका तांत्रिक की मायावी शक्ति से आज़ाद हो जाती है, और साथ ही सुरभि और कुमार भी उसके मायावी जाल से आज़ाद हो जाते है।

अब मोनिका अपनी शक्तियों से एक बहुत ही भयानक और विकराल रूप में आ जाती है, उसके बाल हवा में उड़ रहे थे, उसकी आँखें और ज्यादा लाल रंग से गहराते जा रही थी, मानो उसकी आँखो में एक साथ कई चिंगारियां लावा के रूप में तब्दील हो गयी थी। तब ही अचानक से मोनिका ने एक भयंकर काले भयावह चक्रवाती तूफान का रूप लिया।

और इस तूफान के चपेटे में, राहुल और तांत्रिक बहुत बुरी तरह फँस गये, और मोनिका ने तांत्रिक को कमरे की दीवार से पटक पटक कर लहुलुहान कर दिया, जिसके कुछ समय पश्चात उस दुष्ट तांत्रिक ने वही दम तोड़ दिया। अब मोनिका का एक ही दुश्मन बाकी था, और वो था राहुल शर्मा । मोनिका बाहर ने राहुल को अपनी शक्तियों से आउटहाउस से लगे उसी जंगल की तरफ बाहर ला पटका जहां से उसके इंतकाम की कहानी शुरू हुई थी। मैं और बाकी सब (कुमार और सुरभि) मोनिका के तूफानी रूप के पीछे पीछे आउटहाउस से निकलकर उसी जंगल में पहुंच गये।

वहां का नज़ारा देख हम सब हैरान थे। और मोनिका की आँखों में इंतकाम का नशा एक बार फिर हावी था। उसकी मासूम सी दिखने वाली आँखें आज किसी के मौत का जायका चखना चाहती थी। किसी शायर ने क्या खूब कहा है- इस दुनिया में इंतकाम से बढ़कर कोई और नशा नहीं है।और अपने दुश्मन को अपने आँखो के सामने तडपते हुये देखने का जायका कुछ और ही है।

मोनिका ने राहुल को आसमान में एक बार उछालकर पत्थर पर ला पटका जिससे उसकी वजह उसके सिर में बहुत ही गंभीर चोटे आयी, वो दर्द से चीखने चिल्लाने लगा, और मोनिका के आगे गिड़गिड़ाने लगा और रहम की भीख मांगने लगा।

राहुल- "मुझे छोड़ दो, देखो मानता हूँ मैं तुम्हारा गुनाहगार हूँ, मुझे माफ़ कर दो, मैं कसम खाता हूँ, खुद को पुलिस के हवाले कर दूँगा।"

तब ही राहुल ने देखा सुरभि जोकि उससे कुछ दूरी पर ही खड़ी थी उसने मोनिका को बातों के जाल उलझाते हुये, धीरे -धीरे कदमों से पहुँचकर गर्दन दबोच ली और उसने अपने जेब से खंजर निकालकर सुरभि की गरदन पर रख दिया।

राहुल- "अब तू मेरा कुछ नहीं कर सकती। अगर तुम में से किसी ने भी एक भी कदम बढ़ाया तो मैं इसे मार डालूंगा।"

इस दौरान कुमार और मैने सुरभि को बचाने के लिये राहुल पर हमला किया, पर राहुल ने अपनी होशियारी से कुमार के कलेजे के आर पार खंजर उतार दिया, और मुझ पर भी हाथ पर हमला करके घायल कर दिया। कुमार की चीख आसमान को चीरते हुये गूंज उठी, सुरभि ने राहुल को धक्का देकर नीचे गिरा दिया और भागते हुये कुमार के पास पहुंची, और उसने कुमार का सिर अपनी गोद में ले लिया, कुमार अपनी आखिरी सांसे गिन रहा था, मैं जैसे तैसे गिरते पड़ते कुमार के पास आया।और कुमार ने सुरभि और मेरा हाथ आपस में रखकर हम दोनो की ओर देखते हुये कहा-"सुरभि मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं, यकीन मानो मुझे बिलकुल नहीं पता था राहुल ने अपनी हैवानियत तुम पर भी अजमायी थी, कहीं ना कहीं राहुल से बड़ा गुनाहगार तो मैं हूँ, पर मैं अब अपनी गलती सुधारना चाहता हूँ, सुरभि मेरी एक ही आखिरी इच्छा है, मेरे मरने के बाद तुम अश्विन से शादी कर लो और खुश रहो।"

वहीं दूसरी तरफ राहुल भागते भागते सड़क पर आ गया था। उसने किसी की बाईक ली और शहर की तरफ भागने लगा, तब मोनिका भी उसका पीछा करते करते सडक पर आ गई, और उसने देखा राहुल बाईक लेकर भाग रहा है, तो उसने सामने से आते ट्रक की स्टिरिंग को राहुल की तरफ मोड़ दिया।उस ट्रक का ड्राइवर घबराकर चलते ट्रक से कूद पड़ा, पर ट्रक फिर भी सड़क पर तेज स्पीड से बढ़ने लगा, और उसने राहुल की बाईक को जोरदार टक्कर मारी, जिससे राहुल सड़क पर गिर पड़ा।

और वापस से वही ट्रक यू टर्न लेकर राहुल की तरफ फिर एक बार मुड़ा, राहुल के पैर एक दम से जम गये, वो हिल डुल भी नहीं पा रहा था, तब ही वो ट्रक तेजी से उसका सिर कुचलता हुआ, सीधा निकल गया और तेज रफ्तार में होने की वजह से खाई में जा गिरा।

राहुल ने अपना दम वही तोड़ दिया, और उसकी लाश वही सड़क पर पड़ी रही, तब ही वो अघोरी बाबा सामने आये, और कहा - "बेटा तुम्हारी इंतकाम पूरा हुआ, अब तुम्हारे पास सिर्फ १ घंटे तक का समय है, सुबह की पहली किरण के साथ तुम इस संसार से मुक्त हो जाओगी, मैं तुम से मेरी दी हुई शक्तियां वापस लेता हूँ, अब तुम सिर्फ एक सामान्य रूह हो।"


अब मोनिका अपने सामान्य रूप में आ जाती है। और मोनिका किसी तरह वापस कुमार के आउटहाउस पहुंच जाती है।

वहां कुमार और सुरभि की हालत देख उसकी आँखो से भी आँसू निकल पड़ते है, तब मोनिका सुरभि के पास आती है, और उसके गले लगाकर दोनो बहने रोने लगती है, तब ही मोनिका जैसे तैसे खुद को संभालते हुये कहती है- "दीदी मुझे माफ़ कर दो मैं कुमार जी को नहीं बचा पायी, अब कुछ देर में मैं भी इस संसार से मुक्त हो जाउँगी, क्योंकि मैने अपने सारे कातिलों से बदला ले लिया।अब आपको ही अश्विन का ख्याल रखना है।"

सुरभि आँसू पोंछते हुये कहती है -"मोनिका इसमें तुम्हारी कोई ग़लती नहीं है, कुमार के साथ जो कुछ भी हुआ, सब नियति का खेल है, मैं वादा करती हूँ मैं अश्विन का एक दोस्त के रूप में हमेशा उसका ख्याल रखूंगी।" तब मैं मोनिका के गले लगकर रोने लगता हूँ, और काफी देर तक रोता हूँ। और उसकी आँखें भी नम हो जाती है।

मोनिका- "अश्विन तुम्हारा एहसान तो मैं अगले जन्म मैं भी नहीं चुका पाऊंगी, जितना तुम ने मेरे लिये किया शायद ही कोई और कभी नहीं कर सकता, पर मैं तुम से वादा करती हूँ, जब भी मैं इस दुनिया में इंसानी रूप में आउंगी, तुम्हारी हथिलियों पर ही अपना पहला कदम रखूंगी।"

मैं नम आँखो से हिम्मत करके अपने मन की बात जाहिर करते हुये उससे कहता हूँ- "आई लव यू मोनिका, मैं तुम्हारे बिना एक पल नहीं रह सकता, प्लीज मुझे छोड़कर मत जाओ, प्लीजजज, वरना मैं अपनी जान दे दूंगा।"

मोनिका मेरे होठों पर अपनी उंगली रखते हुये कहती है- "आई लव यू टू अश्विन मैं भी तुम से बहुत प्यार करती हूँ, प्लीज तुम ऐसा कभी मत सोचना मैं दोबारा तुम्हारी जिंदगी में वापस लौटकर ज़रूर आऊंगी, वादा करती हूँ अश्विन "

सुबह की पहली किरण जैसे ही मोनिका की रूह पर पड़ती है, मोनिका की परछाईं की भांति धीरे-धीरे ग़ायब होने लगती है और आसमान की ओर जाते हुये एक चमकती रोशनी में ग़ायब हो जाती है। और मैं आसमान की तरफ देखकर दर्द से चीखकर अपने घुटनो के बल बैठ कर बेहताशा रोने लगता हूँ।


आज मोनिका और कुमार को गये हुये पूरे ५ साल हो गये। और सुरभि ने कुमार की अंतिम इच्छा का मान रखते हुये मुझसे शादी कर ली। सिर्फ एक समझौते के तहत हमने शादी तो कर ली पर ना तो मैं मोनिका को भूल पाया और ना ही सुरभि कुमार को, पर फिर भी सुरभि ने कभी भी मुझसे किसी तरह की शिकायत नहीं की, पर वो जब भी मेरी बेटी और मुझे आपस में खेलते देखती तो उसके चेहरे पर सुकून की कुछ गहरी लकीरें सी खींच जाती।

मैं मोनिका को आज भी मैं उसके के फेवरेट व्हाईट फ्लॉवर की सौंधी मिट्टी में खिलते हुये व्हाईट लिली को देख मोनिका की मुस्कुराहट को बहुत याद करता हूँ। और कुमार का भी अंश उसकी एक 5 साल की छोटी सी नन्हीं गुड़िया के रूप में सुरभि और मेरे पास है, उसके हाव-भाव बिलकुल मोनिका की तरह ही है, या यूँ कह लीजिये मोनिका की हू-बा-हू परछाई है वो, इसलिये हम दोनो ने उसका नाम भी मोनिका ही रखा, और उसे हम सब प्यार से मोनू ही बुलाते है, पर आज भी मैं और मेरी रूह मोनिका को याद याद करके अकेले में बहुत रोती है, मोनिका आज भी मुझ में मेरे दिल में जिंदा है। शायद प्यार इसी को तो कहते है।

तब ही अचानक से एक नन्हीं हथिलियों का स्पर्श मुझे अपनी आँखो में महसूस हुआ। मानो वो दो नन्हीं हथेलियाँ मेरी आँखो के साथ लुका छुपी खेल रही थी।तब ही मैने उसके नन्हे हाथ अपनी होठों से चूमते हुये। अपनी नन्ही परी को गले लगा लिया।

मेरी आँखो से लगातार आँसू बहे जा रहे थे, और वो तुतलाते हुये बोली- "पापा अले आप क्यों लो लहे हो।!!"



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