Priyanka Kartikey

Horror

3.3  

Priyanka Kartikey

Horror

मोनिका द मिस्ट्री गर्ल पार्ट २

मोनिका द मिस्ट्री गर्ल पार्ट २

9 mins
2.1K


दोस्तो अब तक आपने इस कहानी के पहले भाग में पढ़ा-

घने डरावने जंगल में अश्विन और मोनिका की मुलाकात एक कार एक्सीडेंट के चलते हो जाती है..दोनों आपस में बात करते-करते एक कोटेज तक पहुंच जाते हैं जहां अश्विन के साथ बहुत अजीबो गरीब घटनायें घटित होती है..

उसकी नजरों के सामने कोई तीन लड़के एक अनसुलझी लड़की की तरफ गंदी नीयत से बढ़ते हैं..

किचन में से किसी चीज़ के गिरने धडडडडडाम से आवाज आयी ..देखा तो वहां एक और वही सफेद दाग वाली बिल्ली मृत अवस्था में पडी थी..

और उसका खून पूरे किचन में पानी की तरह फैल गया था..

इस तरह का दुबारा मंजर देख मेरे तो पसीने छूट गये..

तब ही अचानक पूरे घर की लाईट जल बुझ होने लगी ..मैंने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा तो मोनिका गायब थी उसको पूरे हॉल में ना पाकर मै पसीने से बुरी तरह तरबतर हो गया..

जैसे ही कोटेज के उपर के रूम की तरफ गया..मैं वहां का नजारा देख दंग सा रह गया..मेरे पैर वहीं जम से गये ..

एक लड़की की चीखने चिल्लाने की दर्द भरी पुकार उसके कानो में पड़ रही थी..

और वो तीन लड़के एक-एक करके उसकी तरफ गंदी नीयत से उसकी तरफ बढ़ रहे थे..

उस कमरे के बाहर से गुस्से से भरे लिहाजे में उस लड़की की मदद के लिये जैसे ही आगे बढ़ा वहां का दरवाजा अचानक से मेरे मुंह पर बंद हो गया..वो लड़की का चेहरा उसके बालों की वजह से और कमरे का रूम अपने आप बंद होने की वजह से मैं ठीक तरह से नहीं देख पाया था पर वो मुझे जानी पहचानी सी लग रही थी ..मैंने बहुत कोशिश की और बहुत हाथ पैर भी पटके किसी तरह उस लडकी की जिंदगी बचा लूँ पर दरवाजा तोड़ने की सारी कोशिश नाकाम सी होती जा रही थी..फिर मैंने वही के पुलिस थाने में फोन पर ही उन तीनो लडकों के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज करायी और फिर पुलिस से जल्द से जल्द लीना कोटेज में आने के लिये मिन्नतें करने लगा..पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुये अगले १० मिनिट में वहां आने का आश्वासन दिया..पर इतने सब देखने और उस लड़की की चीख सुनने के बाद मुझे एक पल भी सुकून नहीं था..

मैं उन तीनों लड़कों को बेहताशा गालिये बके जा रहा था पर उन्हें तो जैसे कुछ सुनायी ही नहीं दे रहा था..या शायद वो मेरी आवाज नजरअंदाज कर उस लड़की के जिस्म को नोचने में मशगूल थे..

और तीनों ठहाके मार-मारकर हंस रहे थे..वो लड़की बार-बार उनसे मिन्नतें कर रही थी पर उनके कानों पर तो जैसे जूँ भी नहीं रेंगी..वो तीनों आपस में बातें कर रहे थे-

"सालों तुम लोग क्या तो भी माल पकड़ कर लाये हो बे ..शराब और कबाब क्या बात है आज तो सोने पर सुहागा हो गया

तब ही दूसरा बोला - "समीर कर लेना यार सोने पे सुहागा वैसे भी आज तक हमने हर चीज आपस में मिल बांटकर खायी है..इसे भी बांट लेंगे।"

तब ही तीसरा दोस्त बोला- अबे सालो गौरव और समीर तुम दोनो सिर्फ बातें ही करोगे या अपना टैलेंट भी दिखाओगे..

तीनों कुटिल मुस्कान लिये उसकी तरफ किसी गिद्ध की भांति झपट पड़ते हैं..

और फिर एक-एक करके तीनों ने उसके पूरे बदन को किसी भेेडिये की भांति नोच डाला ..वो लड़की मुंह छुपाये उस बंद कमरे में रोये जा रही थी ..और उनमें से एक ने इस करतूत का पूरा बकाया अपने कैमरे में कैद कर लिया..

उनमें से किसी एक ने कहा-"भाई आज तो शाम बन गई ..दिल खुश कर दिया तूने कहां से पकड़कर लाया था ऐसा जबरदस्त माल।"

तब ही दूसरे ने कहा- अरे ये लड़की मुझे पास के मंजीत के ढाबे पर दिखी थी और इसकी सुंदरता देख मेरा तो इसे वही दबोचने का मन हुआ पर किसी तरह खुद को संभालते हुये मै सड़क किनारे पहुँच इससे पता पूछने के बहाने रस्सी से बांधकर जबरदस्ती कार में बिठा लिया..और तो और दो चार थप्पड भी लगाये फिर कार में रखी नशे की सीरींज इसके रगों में लगा दी तब जाकर यहां तक लाया और फिर तुम तीनों को यहां बुलाया.."

ये सब देख मेरा तो खून खोल उठा मन तो किया उन तीनों को वही ही गोली मार दूँ ..पर इन सबसे ज्यादा मुझे उस लड़की पर दया आ रही थी..और उसकी दयनीय हालत देख मेरी आंखों से आंसू फूट पडे..मन तो किया जाकर उससे अपनी नाकामी कोशिशों की माफी मांगू और पर मेरी हिम्मत नहीं हुई..क्योंकि उन तीनो लड़को ने मर्द जात को ही शर्मसार कर दिया था..

फिर कुछ ही देर में उन तीनों ने लड़को ने अपनी हवस की प्यास बुझाकर एक-एक करके अपने कपड़े पहन उस लड़की को बदहाली स्थिति में छोड वहां से चलने की फिराक में रूम से बाहर निकलें और तब ही दरवाजा अपने आप खुल गया.. मैं उन तीनों को मारने के लिये उनके पीछे लपका तो वो पकड़ में ही ना आये वो किसी परछाई की भांति लग रहे थे..और मै उनको पकड़ने की नाकाम सी कोशिश में जमीन पर आ गिरा ..

फिर भागते हुये उनके पीछे पीछे गया तो तीनों का नामो निशान तक नहीं मिला ..ये सब देख मेरा एक दम से दिमाग चकरा गया ..क्या वो एक सच था या सिर्फ एक वहम..मैं दौडकर कोटेज के उसी कमरे की तरफ भागा तो देखा वो लड़की अभी भी मुंह छुपाये रो रही थी ..मैंने डरते-डरते जैसे ही उससे पूछा कौन हो तुम ?

उसने नम आंखो से अपना सिर उठाकर मेरी तरफ देखा मै उसका चेहरा देखते से ही एक करंट सा मेरे पूरे शरीर में दौड़ गया..और मैं हतप्रभ होकर उस लड़की का चेहरा देखे जा रहा था ..क्योंकि ये लड़की कोई और नहीं मोनिका ही थी.. मेरी मानो जैसे पैरो तले जमीन ही खिसक गयी थी..

मैने जैसी ही उस लडकी की तरफ सहानुभुति भरा हाथ बढ़ाया ..

तब ही कोटेज के मेन डोर की बेल बजी शायद किसी की दस्तक हुई थी..तब मेैने डोरबेल की आवाज सुन मेनडोर खोला ..तो देखा एक हट्टा कट्टा पुलिस वाला मुझे सवालिया नजरों से मुझे घूर रहा था

"क्या आप ही मि.अविनाश है ? अपने ही किसी लड़की के गैंगरेप की कंपलेन लिखवाई थी..! वैसे क्या मै अंदर आ सकता हूँ।"

मैने हकलाते हुये कहा-हां.. ससससरररर क्यों नहीं

पुलिसवाला- तो बताईये कहां देखा था आपने उस लड़की को !तब मैने उपर की कमरे की तरफ इशारा किया ..

वो उपर के कमरे की तरफ सीढ़ियों से तेज कदमों से बढ़े जा रहा था..और उसके पीछे मै भी डरा सहमा सा धीरे-धीरे उसी दर्दनाक मंजर के खौफ से चुपचाप चले जा रहा था..

तब ही अचानक वहां का हाल देख मै शॉक हो गया ..वहां कुछ भी नहीं था सिवाय टूटी कुर्सी के जिस पर ना जाने कितने महीनों से धूल साफ नहीं हुई थी.. और ना ही वो लड़की थी..

जिसके गैंगरेप की मैने कंपलेन लिखवाई वो लड़की परछाई की भांति गायब सी हो गयी..

और मै उसे पागलो की तरह इधर-उधर डूंढे जा रहा था..और डर से मेरा शरीर थरथर कांप रहा था..

वहीं दूसरी तरफ पुलिसवाला मुझे बडी हैरतअंगैज नजरों से देख रहा था..

मैं-नहीं सर वो लड़की यही थी ..और वो तीनों लड़के भी अभी अभी इसी रूम से बाहर निकलें थे आप मेरा यकीन कीजिए..

पुलिसवाला (मुझे थोडा घूरते हुये)- मि.अविनाश अपने जैसी कॉल पर इन्फोर्मेशन दी उसके अकारडि्ंग तो ना तो यहां कोई लड़की है और ना ही वो तीन लड़के !..वैसे उस लड़की का नाम पता कुछ मालूम है ? या उन तीन लड़कों का नाम ?

मैं (दिमाग पर जोर डालते हुये) -हां सर उस लड़की का नाम मोनिका त्रिवेदी था और उन तीनों लड़कों में से एक का नाम समीर और दूसरे का नाम गौरव था बस इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं जानता उनके बारे में..

पुलिसवाला- ओके इतनी इंफोर्मेशन काफी है मैं जल्द से जल्द इस केस की तहकीकात शुरू करूँगा ..लेकिन तब तक आप यहां से कहीं नहीं जा सकते ..कम से कम १ हफ्तें तक तो आपको यहीं रूकना पडेगा क्योंकि आप इस केस के मैन विटनीस है ..और आपका नाम और पता मेरे पास नोट करवा दीजिए..

इतना कहकर वो पुलिसवाला मेरा नम्बर लेकर वहां से चलते बना ..और मेरे जहन में उस कोटेज में सुबह से हो रही एक-एक घटनाओं को याद करके एक अनसुलझी गुत्थी और उलझ जाती है ..तब ही अचानक किसी का हाथ मुझे अपने कंधों पर महसूस होता है जैसे कोई मेरी हालत देख मुझपर तरस खा रहा था..मैने जैसे ही पीछे मुडकर देखा तो ये लड़की कोई और नहीं मोनिका ही थी..

वही मोनिका जो किचन में घटी मरी बिल्ली घटना के बाद से गायब थी ..या फिर ये वही मोनिका थी जिसका मैने खुली आँखों से गैंगरेप होते देखा था..

वो महज एक वहम था या एक अनसुलझा सा रहस्य सब कुछ मेरी समझ से परे था..

अब चाहे जो भी हो मैंने अपने मन में दृढ़ निश्चय कर लिया था ..मैं इस रहस्य के पीछे की सच्चाई की तह तक जरूर पहुँचूंगा..

इतने में मोनिका मेरे तरफ तरफ खाने का पार्सल बढ़ाते हुये कहती है..

"ये मैं तुम्हारे लिये पास के ढावे से पैक करवा के लायी हूँ..सॉरी वो मैं तुम्हें बिना बताये कोटेज से बाहर निकल गई थी तुम्हारे लिये खाने पीने का इंतजाम भी करना था.."

मैं- कोई बात नहीं (मैंने ऐसे रिएक्ट किया जैसे वहां कुछ हुआ ही नहीं) थेंक्यू सो मच ..तुम भी मेरे साथ खाना खा लो !

मोनिका (मुस्कुराते हुये)- जी नहीं ये सिर्फ तुम्हारे लिये है..मैं पहले ही ढाबे से खाना खा कर आयी हूँ..

मोनिका का अचानक से मेरी तरफ बदला हुआ व्यवहार मुझे आशांकित कर रहा था जो लड़की कुछ समय पहलें मुझपर गुस्सा कर रही थी अब वही लडकी प्यार से मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी..

उसने कहा-अगर आपको परेशानी ना हो तो क्या मै कुछ दिन के लिये यही रह सकती हूँ क्योंकि मेरे माता-पिता गांव गये हुये यही कोई 8-10 दिन में लौटेंगे..

मैंने कहा-हां क्यों नही..भला मुझे क्या परेशानी होगी..

मैंने जैसी ही खाने के लिये पार्सल का उपरी भाग खोला उस पर मंजीत ढाबा का नाम देख सकपका सा गया..ये वही नाम था जिसके बारे में मैंने उसने तीन लड़कों में से किसी एक के मुंह से सुना था..उस डिब्बे पर उस ढाबे का नाम और पता था..

एक पल के लिये ऐसा लगा..मानो अब तो जैसे बाल की खाल हाथ आ गई हो..मैंने मोनिका के सामने जल्दी जल्दी खाना खा लिया और सोने का बहाना करके कोटेज के नीचे की तरफ किचन से सटे हुये रूम में चला गया और मोनिका उपर वाले रूम में चली गई..जाते टाईम मैने उसकी फोटो खींची जो उसके बारें में पूछताछ के लिये काफी थी ..

मैं अपने कमरे में टिफिन का वो डिब्बा लेकर आ गया था जिसमें मंजीत ढाबे का सिर्फ पता लिखा हुआ था..मैंने बिना किसी देरी के अपने रूम का लाईट बंद करके चुपचाप से किचन के रास्ते कोटेज के बाहर निकल गया..आस-पास से बहुत डरावनी आवाजें आ रही थी..कभी किसी के रोने की तो कभी किसी के जोर जोर से बिलखने की..मेरे लिये उस समय तय करना मुश्किल हो रहा था..क्या सच है और क्या झूठ मैं बस खामोशी से आगे बढ़ता चला जा रहा था..तब ही पीछे से किसी ने मेरा पैर पकडा..और मै ओंधे मुँह एक लड़की की लाश पर जा गिरा। गौर से देखा तो पता चला ..उसकी गर्दन पर हाथ के निशान थे जिससे साफ पता चल रहा था उसका बुरी तरह शोषण करके किसी ने बेरहमदिली से उसका गला दबा दिया और उसका चेहरा सिर पर घने बाल की वजह से ढका हुआ था ..मैंने जैसे ही उसके बालों को कांपते हाथों से हटाया उसका चेहरा देख सन्न रह गया..

अब ये दूसरी लड़की कौन थी जिसकी लाश से टकरा कर अश्विन जमीन पर गिर पडा था..क्या यह कोई मायाजाल था या फिर कोई दर्दनाक हकीकत जो कोई अश्विन के सामने लाना चाह रहा था..इसके अगले भाग में आपके सामने लेकर आऊँगी..


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror