दिमाग़ के पिंजरे
दिमाग़ के पिंजरे
कॉलेज की छुट्टी हुई तो लड़कियों के समूह पाश्चात्य, भारतीय, ब्रांडेड फैशनेबल, सस्ते-मंहगे अपनी हैसियत के हिसाब से कपड़े पहने, तन ढके बाहर निकले; तो एकल, समूह में पुरुषों की निगाहें उन्हें ओझल होने तक छोड़ने निकल पड़ी और होठ आपस में भिड़कर अपनी-अपनी मानसिकता के हिसाब से शब्दों का उत्पादन करने लगें।