रेप विक्टम
रेप विक्टम
रेप विक्टम, हाँ यही नाम तो बन गया था मीना का, पूरी अदालत उसे इसी नाम से जानती है, करीब चार महीने से उसका केस चल रहा था। आज फैसला हो जाएगा।
पार्लर में तैयार होते हुये, कितनी खुश थी मीना। आज राहुल से उसकी शादी हो जाएगी, मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। कॉलेज का गुंडा रघु कब से उसकी निगाह मीना पर थी, उसने पार्लर में घुसकर, बंदूक की नोक पर सबके सामने उसकी अस्मिता को तार तार कर दिया, कितनी गिड़गिड़ाई थी वो मगर कमीने ने एक ना सुनी। उसके बाद राहुल ने भी शादी से मना कर दिया। सच्चा प्यार करता था राहुल उससे। यही था उसका सच्चा प्यार।
तब उसने ठानी की वह रघु को सबक सीखा के रहेगी, पार्लर में से गवाह भी मिल गये थे, सब सही चल रहा था मगर उसने कल पापा और वकील की बात सुनी पापा कह रहे थे कि फैसले से मेरी बेटी को न्याय मिल जायेगा मगर, उसका भविष्य क्या होगा, आप ऐसा कुछ करो कि रघु ही शादी करने को तैयार हो जाये, वकील ने कहा हाँ मेरी उनके वकील से बात हुई वे लोग तो कब से इस के लिये तैयार है। मुझे ही आपसे कहने में संकोच हो रहा है। मीना ने इसकी तो कल्पना भी नहीं की थी, उसे रघु से घृणा थी वह कैसे उसके साथ जीवन गुजारेगी, और उसने मन ही मन निश्चय किया।
कोर्ट की पूरी कार्यवाही हो गई। वकील ने अपना पक्ष भी रख दिया और जैसे ही जज फैसला सुनाने वाले थे तो मीना ने कहा ठहरिये जज साहब मैं कुछ कहना चाहती हूँ। मेरे माँ-बाप और वकील साहब मेरे हितेषी है और वे चाहते हैं, मेरा घर भी बस जाए पर में इस व्यक्ति के साथ घर नहीं बसा सकती। आप इसे इसके कृत्य की कठिन से कठिन सजा दीजिए। इस आदमी ने मेरे शरीर को ही नहीं मेरी आत्मा को छलनी कर दिया है। मैं इससे शादी नहीं कर सकती और हाथ जोड़ लेती है।
जज साहब फैसला देते हैं- आजीवन कारावास की सजा दी जाए।