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*मुंह दिखाई #10(लोक व्यवहार )

*मुंह दिखाई #10(लोक व्यवहार )

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नई-नई बहु घर में शादी हो कर आएं तो, तरह-तरह की रस्म अदाएगी होती हैं। आज हम एक रिश्ते में शादी में शरीक़ होने गए ,तो हमारे मुस्लिम फेमिली में दुल्हन की मुंह दिखाई की रस्म होती है ।वैसेनेग रिवाज़है रिश्ते की बड़ी-बूढ़ी जैसे दादी सास, ताई सास ,चाची सास , ननदें जेठानी, सब नई दुल्हन का मुंह देखकर जो भी नेग होता है दुल्हन को देतीं हैं और दुआएं देती हैं। 

  मुझे वो रस्म देखकर 40साल पहले हमारी शादी के वक़्त की कुछ रस्में हुई, वो आंखों के सामने घूम गई।

सारे बाराती रात भर का सफ़र करके बस से उतरे ही थे , मेरी शादीशुदा ज़िन्दगी की पहली सुबह थी। मैं दिल ही दिल में दुआ कर रही थी। ऐ परवरदिगार मेरी शादीशुदा ज़िन्दगी बहुत अच्छी गुज़रे बस मैंने ये दुआ की जैसे ही बस रुकी मुझे ननदों ने नीचे हाथ पकड़ कर उतारा , लम्बा सा घुंघट था तब ही किसी बारातियों में से किसी ने शगूफा छोड़ दिया के कोई ननद दुल्हन को गोद में उठा कर दरवाज़े तक लेकर जाए, पता नहीं कौन हटी-कटी ननद ने मुझे बताया भी नहीं और आव देखा ना ताव झट से मुझे गोद में उठा लिया, मैं अंदर ही अंदर डरी हुई थी कहीं खुद भी न गिर जाएं और मुझे भी न गिरा दें, जैसे तैसे दरवाज़े पर ननदों ने दरवाज़ा रोक लिया वहाँ रस्म थी भाई -भाभी को अदंर जब ही आने देती हैं। जब भाई बहनों को नेग दे देता है। तब ही दुल्हा-दुल्हन अंदर आते हैं। 

 अरे हां मै असल बात तो बताना ही भूल गई , हमारे यहाँ शादी के दो दिन बादवलिमा होता है उसकी सुबह घर की बड़ी-बूढ़ी औरतों से "मुंह दिखाई की रस्म होती है। मैं बहुत डरी हुई थी। सब बड़ी-बूढ़ी मुझे घूंघट में झांकती और नेग रिवाज़ के रूपये देती जा रही थी। 

  इतने में मेरी ताई सास जो शायद ख़ानदान में सबसे कंजूस थी वो कभी अपनी पाकेट ढीली नहीं करती थी। सारी ननदें और बड़ी जेठाऩियां उन ताई सास को नेग रिवाज़ के पांच रुपए दे रही थी सब ने मेरे हाथ में नहीं लेने दिया। मैनें भी घूंघट में से देखा ऐसी कौन है कंजूस है। ख़ूब हंसी मज़ाक़ चल रहा था। उन्हें परेशान कर रही थी ,आज तो नई दुल्हन को 100 रुपये देना पड़ेगा आप ख़ानदान की सबसे बड़ी ताई सास हैं। 

आखिर में उन ताई सास ने बड़ी मुश्किल से 11रुपए दिये। ऐसे लोक व्यवहार नेग रिवाज़होते हैं। 


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