बेटी बेटे से कम नहीं !
बेटी बेटे से कम नहीं !
अरी सुशीला , ये क्या सुन रही हूँ मैं ?
क्यों ,,,,,,,, क्या हुआ दीदी ?
वाह ,,,,, जैसे तुम्हें पता ही नहीं है ,,,, अरे करती जा रही है और भोलेपन से पूछती है - क्या हुआ दीदी ? दीदी की बच्ची तुम्हें कुछ भी लगता नहीं ? और ये चौथा अबाॅर्शन ,,,,,,, क्या लड़की है इसलिए ? अब बोल ना !
क्या बोलूँ दीदी ,,,,,, कहते-कहते सुशीला रो पड़ी ,,,,, कुछ देर यूं ही सिसकती रही और कमला ने कुछ नहीं कहा ,,,,, बस ,,,, रोने दिया । फिर खुद ही उठी , मुंह धोया और चाय भी बनाई । चाय-नाश्ते के दौरान कमला ने पूछा - अम्माजी वगैरह सब कहां हैं ?
अम्माजी मामाजी के यहां गई हैं , कल आएंगी , रीतू और नीलू स्कूल गई हैं नौ बजे से उनकी स्कूल बस आती है , ये ऑफिस गए हैं और हाँ दीदी ,,,,,, तुम्हें इतने दिनों बाद मेरी याद आई ?
नहीं रे पगली , आज कल थोड़ी बिजी होने के कारण आलस कर गई ,यह तो रजनी ने बताया तेरे बारे में । अरे पागल , तुम्हें पता भी है इस तरह बार-बार अबाॅर्शन कराना कितना हानिकारक है सेहत के लिए ,,,, वो भी तीन साल में चार अबाॅर्शन ? तू पढ़ी लिखी है तुम्हें कुछ समझ में नहीं आता ?
आता है दीदी ,,,,,, सब आता है लेकिन क्या करूं अम्माजी और इनको बेटा चाहिए इनके दोनों भाईयों के दो - दो बेटे हैं और मेरी दोनों बेटियां ,,,,,,,, तुम्हें तो पता ही है बात बात में अम्माजी ताने देती हैं , मुझे तो खैर जाने दो पर बेचारी बच्चियों को भी ,,,, है कितनी पांच साल , सात साल ? और आने वाली बच्चियां प्रताड़ित हो इससे तो अच्छा है आने से पहले चली जाय तो अच्छा है ना ! क्या दीपक को पता नहीं कि लड़का-लड़की तो मर्द पर निर्भर करता है फिर भी बेटियां पैदा करने का आरोप तो मुझी पर लगाते हैं
सब जानते हैं पर जानकार भी अनजान बनते हैं ,,,, फिर पढ़ा लिखा होने से सोच थोड़े ही बदल जाती है ,,,,,, खैर छोड़ो ,,,,, इस बार मैंने तय किया है अगर लड़की होगी और इन लोगों ने अबाॅर्शन की ज़िद की तो मैं ऑपरेशन ही करा लूंगी ,,,,,, न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी !
हां , यह ठीक है ,,,,,,, फिर लड़कियां लड़कों से बीस ही पड़ती है , उन्नीस नहीं !
लेकिन इन मां-बेटों को कौन समझाए !
वक्त आने दो मैं समझाऊंगी मेरी भी तो दो बेटियां हैं और एक ही बेटा ,,,,,,, सच कहूँ ,,,,,, मेरी दोनों बेटियाँ बेटे से होशियार है !
बेटे-बेटी का चक्कर छोड़ , अपनी सेहत का सोच ! अरे यार इतिहास गवाह अनेक बेटियों ने इतिहास रचे हैं हर क्षेत्र में समाज , राजनीति , धर्म , शिक्षा , चिकित्सा , खेलकूद इत्यादि क्षेत्रों में इन्हीं बेटियों ने ऐसे-ऐसे झंडे गाड़े हैं कि बेटों को पीछे छोड़ दिया ! खैर जो हो अब तू कभी अबाॅर्शन नहीं कराएगी ,,,,, मेरी कसम ! बचपन में जो हम साथ-साथ खेली ,रही ,,,,, उसी का वास्ता !
ओके दीदी , तुम अभी भी मेरा कितना ख्याल रखती हो ! आज बहुत ज्यादा मां की याद आ रही है कहते-कहते सुशीला का गला भर आया ,,,,,, कमला की आंखें भी भर आईं ,,,,, दोनों ने एक-दूसरे को बाहों में भर लिया ,,,,,,, साथ ही मानो एक मूक करारनामा था - अब अबोर्शन नहीं ,,,,, बस , अब बस !