संदली

संदली

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कहानी का प्रारंभिक भाग 

मेघा राठी 


तुम कब तक यूं अकेली रहोगी ? लोग उससे जब जब यह सवाल कर लेते हैं और वह मुस्कुरा कर कहा देती है," आप सबके साथ अकेली कैसे हो सकती हूं।

उसकी शांत आँखों के पीछे हलचल होनी बंद हो चुकी है। बहुत बोलने वाली वह लड़की अब सबके बीच चुप रहकर सबको सुनती ही है जैसे किसी अहम जवाब का इंतजार हो उसे।

जानकी ने दुनिया देखी थी उसकी अनुभवी आँखें समझ रही थी कि कुछ तो हुआ है जिसने चंचल गुड़िया को संजीदा कर दिया है लेकिन क्या?

" संदली ।क्या मैं तेरे पास बैठ सकती हूं।" प्यार भरे स्वर में उन्होंने पूछा।

" जरूर आंटी , यह भी कोई पूछने की बात है," मुस्कुराती हुई संदली ने खिसक कर बेंच पर उनके बैठने के लिए जगह बना दी।

"कैसी हो ? क्या चल रहा है आजकल ? जानकी ने बात शुरू करते हुए पूछा ।

"बस आंटी, वही रूटीन , कॉलेज - पढ़ाई...." संदली ने जवाब दिया।" आप सुनाइये।"

बस बेटा, सब बढ़िया है। आजकल कुछ न कुछ नया सीखने की कोशिश कर रही हूं।" चश्मे को नाक पर सही करते हुए जानकी ने कहा।

अरे वाह ।क्या सीख रही हैं इन दिनों ?" संदली ने कृत्रिम उत्साह दिखाते हुए कहा जिसे जानकी समझ कर भी अनदेखा कर गई।


लेकिन जानकी के मन को वही एक सवाल बार-बार कुरेद रहा था - आखिर ऐसा क्या हुआ होगा संदली के साथ? एक तरह से अपनी जिज्ञासा तो शांत करना चाहती ही थी पर संदली की भी मदद करना चाहती थी, उसकी उमंग भरी चंचलता के साथ उसके चेहरे की मुस्कान वापस लाना अपना नैतिक कर्तव्य समझती थी। उसकी कृत्रिमता भरी मुस्कान, दिखावे का उत्साह बखूबी समझ रही थी, कुछ देर दोनों यूं ही चुप रही फिर जानकी ने जवाब दिया - कंप्यूटर सीख रही हूं, यह मरा ओनलाइन, आफलाइन, सरवर, मेल करना वगैरह-वगैरह काॅमन चीजें भी पल्ले ही नहीं पड़ती, पता नहीं इसमें ऐसा क्या है....सच कहूं कुछ भी समझ में नहीं आता....हालांकि क्लास ज्वाॅइन की है लेकिन सब ऊपर से जाता है।

आंटी शुरू शुरू में थोड़ा कठिन लगता है....बाद में सब आसान हो जाता है।

एक महीना हो गया हैं सीखते हुए लेकिन अभी तक ज्यादा कुछ नहीं सीख पाई, कुछ देर संदली के चेहरे को देखती रही फिर बोली - तुम सिखाओगी मुझे ? मैंने अपने लिए लेपटॉप भी खरीद लिया है....सिखाओगी ?

ठीक है आंटी, टाइम एडजस्ट करके बताती हूं कहते हुए उठने लगी 

अरी, बैठ ना थोड़ी देर...फिर साथ ही चलते हैं। तुम्हारे गांव में सब कैसा चल रहा है ? और हां, मम्मी-पापा कैसे हैं ? कब आने वाले हैं? नहीं तो तू ही चली जा, मिलकर आएगी तो तुझे भी अच्छा लगेगा।

मुझे कहीं नहीं जाना, किसी को भी नहीं बुलाना और ना ही किसी से अभी मिलना है....मेरे एग्जाम भी होने वाले हैं....बाद में देखूंगी, जानकी को संदली का जवाब थोड़ा तल्खी भरा लगा जैसे टालना चाहती हो। 

मिसेज भल्ला के यहां संदली किराए पर रहती थी जो एक घर छोड़ कर था। जानकी को अच्छी तरह से याद है संदली आई तब कितनी जिंदादिली से भरी हंसमुख और खुशमिजाज लगती थी, हर एक के साथ प्यार से बात करती थी, हर वक्त हँसते हुए चेहरे के साथ मिलती और अब ? संदली से पूछा - कंप्यूटर सिखाने तू मेरे पास आएगी या मैं आऊं ?

मैं आ जाऊंगी, परसों मिलती हूं मेरी छुट्टी है।

तो ठीक है, मैं खाना बना लूंगी, हम साथ ही लंच करेंगे।

नहीं आंटी आप क्यों तकलीफ़ कर रही हैं ?

 इसमें तकलीफ़ कैसी....अपना खाना बनाऊंगी तो तेरा भी बना लूंगी, तुम्हारे अंकल तो टूर पर गए हुए हैं....निसंकोच आ जाना।

 ओके आंटी।

वादे के मुताबिक संदली आई, खाना भी उसकी पसंद का था मगर उसका खाना और उसकी प्रतिक्रिया वगैरह सब, जानकी को यूं ही बेमन सा लगा....खैर इधर-उधर की बातों में खाना खत्म हुआ, संदली बस हूं हां करती रही। थोड़ी देर चुप्पी छाई रही, जानकी सिर्फ संदली के चेहरे पर आते-जाते भावों को टटोलती रही। संदली को असज लगने लगा तो उसी ने कहा - चलिए आंटी, लेपटॉप कहां है ? 

लेपटाॅप को छोड़, बाद में करते हैं ना। अच्छा संदू, एक बात पूछूं ?

 जी पूछिए।

 तुम पहले कितनी हंसमुख, जिंदादिल, ऊर्जाभरी, चंचल हिरणी सी, कितना हँसती - खिलखिलाती रहती थी अब वो संदली कहां चली गई ? मैं तेरी माँ तो नहीं, माँ जैसी तो हूं, मुझे अपनी दोस्त समझो, जो भी होगा हम दोनों के बीच रहेगा....फिर तुम्हारी माँ ने मुझे तेरा खयाल रखने को कहा था। बेटा, जो भी परेशानी है अपनी इस मासी दोस्त को बता दे, प्लीज़ बेटा....स्पीक आउट हो सकता है मैं तेरी मदद कर सकूं। सुनते-सुनते संदली रो पड़ी, जानकी अपनी बाहों लेकर उसे सहलाती रही और कुछ नहीं कहा, रोने दिया। काफी देर बाद खुद ही संयत हुई, मुंह धोकर बोली - पहले चाय बना लूं, बाद में बात करते हैं।

ठीक है बेटा । 

कुछ देर में चाय लेकर आ गई।

कुकीज़ भी ले आ, तुझे पसंद है ना ! 

नहीं आंटी, मन नहीं, बस इसके अलावा कोई बात नहीं हुई, चाय के साथ भी फिर वही चुप्पी। तब जानकी ने फिर कहा - बोल ना बेटा, आखिर बात क्या है?

कुछ देर ज़मीन में नज़रें गड़ाए बैठी रही, जानकी ने ठुडी से चेहरा ऊपर उठाया, भरी-भरी आँखों ने जानकी तरफ देखा, आँखें झर-झर झरने लगी, जानकी ने भारी मन से कहा - बेटा रो ले बह जाने दे सब काफी देर तक यूं ही खामोशी बनी रही। फिर संदली खुद ही भरे गले से बोली - आंटी , मेरे साथ बहुत बुरा हुआ, दो महीने पहले की बात है, भल्ला आंटी तीन दिन के लिए अपनी बेटी के पास अंबाला गई हुई थी....भल्ला ने मेरे साथ जबरदस्ती की और मुझे धमकी दी अगर मैंने किसी से कुछ कहा तो यह वीडियो वायरल कर देगा, उसने मुझे बताया था वो वीडियो, बहुत गंदा है....मैं क्या करूँ आंटी....जब मौका मिलता है फायदा उठाता है....घर भी छोड़ने नहीं दे रहा है....बस....जब तब वीडियो की धमकी देता है। कहते-कहते फफक पड़ी, जानकी ने फिर उसे अपनी बाहों में लेकर सीने से लगा लिया, प्यार से सहलाने लगी,अब तू बेफिक्र रह, इस भल्ले को तो अब मैं देखती हूं....हम इसे सजा दिलाएंगे....तू तैयार है ? जी आंटी !

इसकी बेटी भी आज आई होगी ?

आई है, कल सुबह चली जाएगी ।

अभी बस थोड़ी देर में चलते हैं तू मुंह हाथ धो ले, व्यवस्थित हो जा, मैं अपने भाई कमिश्नर ऑफ पुलिस रजत सूरी को सारा माजरा बताकर आने के लिए कहती हूं....फिर बात करने लगी, कमिश्नर आने को मान गए ..बस दीदी, अभी दस मिनट में पहुँचता हूं....वर्दी में नहीं आऊंगा।

चंगा वीरे !

सूरी सर आपके भाई हैं ? लेकिन आंटी वो भल्ला का बच्चा कुछ गड़बड़ न करे।

कुछ नहीं करेगा और फिर मौक़ा मिलेगा तब ना। चलो चलते हैं भाई भी पहुंच ही रहा है। इतने में कमिश्नर सूरी भी आ गए....तीनों पहुंचे भला के घर आइए कमिश्नर साहब, आप यहां कैसे ?

दीदी के यहां आया था सोचा आपके भी दर्शन करता चलूं ! 

यह तो सौभाग्य हमारा जो आपके कदम इस गरीबखाने पर पड़े, घर पवित्र हो गया !

यह तो भल्ला साहब बड़प्पन है आपका जो खींच लाया हमें, कहते हुए जेब में हाथ डाला मगर खाली हाथ निकला....दीदी, मेरा मोबाइल शायद ऑफ़िस में रह गया एक अर्जेंट काॅल करना है !

मैं भी नहीं लाई वीरे, भल्ला भाईसाहब, आपका दीजिए ना !

मममेरा ?

हां - हां दीजिए ना जो बिल आएगा हमसे ले लीजिएगा कहते हुए हँस पड़ी ! 

मिसेज भल्ला बोली - अजी बिल की आपने भली कही, शर्मिंदा कर रही हैं आप। मैं क्या जी, तुसी दे दो ना, मेरा तो खराब पड़ा है, पिंकी भी बात कर रही हैलाइए दीजिए..मिसेज भल्ला ने मिस्टर भल्ला के हाथ से लेकर कमिश्नर को दे दिया ! 

लाॅक तो खोल दीजिए। मजबूरन भला को लाॅक खोलना पड़ा, कमिश्नर ने साइबर सॅल एक्सपर्ट इंस्पेक्टर शिरीष को काॅल किया वो भी बिना वर्दी गाड़ी में बैठा फोन का इंतजार ही कर रहा था...तुरंत आ गया, यार जरा भल्ला साहब का मोबाइल तो देख....खर - खर कर रहा है !

 कुछ नहीं जी मेरा मोबाइल एकदम ठीक है, आप प्लीज....मुझे वापस दीजिए ।

 मिलेगा जी वापस मिलेगा ? बस अभी दे देते हैं। वैसे भल्ला को तसल्ली थी सीक्रेट एप खुल नहीं पाएगा लेकिन दो-तीन मिनट में ही शिरीष ने वो वीडियो निकालकर कमिश्नर को मोबाइल दे दिया उन्होंने भल्ला की बीवी और बेटी को दिखाया... उन दोनों पर क्या गुजरी होगी....सोचिए....। भल्ला शर्म से पानी-पानी हो रहा था, दस मिनट में पुलिस फोर्स आ गई इंस्पेक्टर के साथ दो काॅन्स्टेबल भी थे। कमिश्नर के आर्डर पे भल्ला को हथकड़ी लगा दी गई। बेटी ने दुखी मन और भरे गले से कहा - पापा आय हेट यू, शेम ऑन यू....छि:....मेरे पापा। बीवी थप्पड़ लगाते - लगाते रुक गई, नहीं, तुम तो मेरी थप्पड़ के लायक भी नहीं... कभी सोचा -अगर यही सब हमारी बेटी के साथ हुआ होता....तो ? ले जाइए सर ! 

बेटा संदली, माफ करना मुझे, इतने दिनों से तू सहती रही और मैं समझ ही नहीं पाई, आज से तू भी मेरी बेटी है, मैं सबके सामने स्वीकार करती हूं। जानकी जी आपके साहस और हिम्मत को नमन करती हूं, आपने बच्ची की पीड़ा को महसूसा-समझा....धन्य हैं आप। भल्लाजी को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए....सूरी साहब, मैं गवाही दूंगी !

मॅडम, डोंट वरी....आपके भल्लाजी, ये तो गए लंबे। अच्छा बेटा संदली, रियली यू आर अ ब्रेव गर्ल....आय सेल्यूट यू एंड दीदी टू यू ऑलसो, यू सो हंबल....सो ग्रेट !

        



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