आज मिल गई

आज मिल गई

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अरररर क्या हुआ ? तंग आ गई हूं इन नासपीटों से खुद तो गई और मुसीबत मेरे गले छोड़ गई, दांत पीसती-बड़बड़ाती हुई कमला रसोई की तरफ लपकी। गुड़िया और बाबू दोनों लड़ रहे थे, मां को देखकर बाबू सातों सुरों में गला फाड़-फाड़कर चिल्लाया - मम्मी रेएएएए मेरा लड्डू खा गई रेएएएए, पर बेचारी गुड़िया सहम गई लड्डू का स्वाद कडुआने लगा, कमला ने आव देखा न ताव बेटे की फरियाद पर चूल्हे के पास पड़ा गर्म चिमटा उठाकर गुड़िया की पीठ पर दे मारा - मैंने तुझे किती बार मना किया है, ये तो छोटा है, तू तो इती बड़ी ढींग हो गई है, मानती नहीं कुछ समझ में नहीं आता ? छोरे के हाथ से छीनकर खा लेगी । कहां से आएगा इता सारा, सारी दुकानदारी माटी में मिलाके रख दी है।

अरे, सबेरे - सबेरे चैन से रोटी भी खाने नहीं देगी। साली छोरी को कच्चा खा जाएगी। गुस्से में खाना बीच में ही छोड़कर हाथ धोके उठ गया। कमला को लाल-लाल गुस्से-भरी आंखों से घूरता हुआ चंदू खोमचा उठाकर चल दिया और लड्डू है, पेड़ा है, बर्फी है की हांक लगाता हुआ। डीडवाणा इतना बड़ा शहर तो था नहीं इसलिए लगभग पूरे शहर के भीड़ भरे इलाकों में अपना खोमचा लेकर घूमता, माल अच्छा और ताजा होता था, रोज़ कमला खुद ही बनाती थी बस नमकीन बाजार से लाता लोगों में पैठ थी, सबसे पहले स्कूल के आगे खोमचा लगाता, रिसेस में बच्चे टूट पड़ते, आधा खोमचा खाली हो जाता। वहां से चौक पर बैठ जाता यह चौक बाजार और रहवासी एरिया के बीचों-बीच पड़ता था, वहां पर भी कुछ माल बिक जाता थोड़ा बहुत बच जाता सो कभी गली मोहल्ले वाले ले जाते, कभी यूं ही रह जाता। यूं तो चंदू स्वभाव से अच्छा था लेकिन शराब की बुरी लत थी, रोज़ पीकर आता फिर गाली-गलौज करता। कमला कुछ बोलती तो बेचारी पर पिल पड़ता, कमला गालियां देती - मुआ रोज-रोज मूत पीकर आता है, रोज़ सुबह बाबू की कसम खाता है रात को फिर पीकर आ जाता है इससे तो तेरा ना होना ही भला मर क्यों नहीं जाता। इस तरह कमला का मुंह चलता, चंदू के हाथ चलते ले और ले, मैं पीता हूं तो तू खा साली कुत्तिया...जीना हराम कर दिया है, तेरे बाप के पैसे की पीता हूं और फिर कमला बिना वजह गुड़िया पर पिल पड़ती। बेचारी बच्ची को नींद से उठाकर मारने लगती, मानो सब इसी के कारण हो रहा है, बाबू कुछ करे या फिर चंदू... गाज तो गुड़िया पर ही गिरती बेचारी दस साल की मासूम बच्ची, उसका दोष केवल इतना ही है कि एक तो लड़की ऊपर से सौतेली। चार साल की छोड़कर मां चल बसी इसका कारण भी चंदू की मार ही थी, एक बार सब्जी में नमक थोड़ा ज्यादा पड़ गया था, पहला कौर लेते ही बेचारी को जोर की लात मारी, चारों खाने चित...सिर दीवार से जा टकराया ऐसी जगह लगी बस उसी वक्त ढेर हो गई। कमला बाल विधवा थी उस पर चंदू की पहले से ही आँख थी, सुगना की मौत के एक महीने बाद ही शादी कर ली। कमला सुगना की फुफेरी बहन थी, कमला चंदू की हरकतों के बारे में सब जानती थी, उसने चंदू से कई बार कहा था - तुम्हारा शराब पीना मुझे पसंद नहीं तो उसका जवाब होता यह तो सुगना ने दिमाग़ खराब कर रखा था इसलिए और अब सब अकेले करना पड़ता है, गुड़िया भी कितनी छोटी है, तू आएगी तो इसे मां मिल जाएगी, मां क्या मिली, बाप भी छिन गया। छः साल हो गए कमला से शादी किए हुए, पांच साल का बाबू भी हो गया पर अब तक सुधरना तो बहुत दूर की बात रही और भी शराब पीना बढ़ गया, पहले तो हफ्ते में दो तीन बार पीता था मगर अब तो हर रोज़ पीता है, कई बहाने करता है, कसमें खाता है मगर बेटी को बहुत प्यार करता है लेकिन कमला को पसंद नहीं बल्कि वह तो गुड़िया को अनचाहा बोझ समझती।


ऐसे माहौल में पलते हुए पंद्रह साल की हुई ही थी कि पिता का साया भी उठ गया। बेचारी गुड़िया घर का तो सारा काम करती ही थी अब घर खर्च के लिए लोगों के घरों में भी काम करती। इन्हीं दिनों कमला का भाई रघु आया था..वह उसे छेड़ता, भद्दे मजाक करता जब मां से शिकायत करती तो मां का जवाब होता - तेरा मामा है, हँस -बोल लेता है कहकर अक्सर हल्के में ले लेती । 

एक दिन की बात है, कमला पड़ोस में गई हुई थी, रघु घर पर ही था, गुड़िया भी अभी अभी काम से लौटी थी, मां को न देख घबरा गई मगर अपनी घबराहट छुपाते हुए बोली - मामा मां किधर ? अरे मां का क्या काम जब मामा है तो...अभी आ जाएगी, चल मेरे लिए चाय बना, तेरे हाथ की चाय आहा बहुत मज़ा आता है और तुझे देखकर तो और भी ज्यादा। गुड़िया चाय बनाने लगी, वह पास में आकर खड़ा हो गया, लगा इधर-उधर हाथ फेरने साथ ही बकवास भी करने लगा डर के मारे थरथरा गई, हाथ हटाने की कोशिश की तो उसे पकड़कर ले जाके बिस्तर पे गिरा दिया। उसका विरोध अधूरा पड़ रहा था कि जोर से चिल्लाती दरवाजे की तरफ भागी लेकिन हवस के नशे में चूर इस बलशाली ने टांग से खींच लिया, बेचारी गिर गई। वो अपने कुकर्म में कामयाब होता तभी कमला आ गई, अच्छा हुआ दरवाज़ा ऐसे ही भिड़ा हुआ था सो आते ही आव देखा न ताव, मोरी के पास पड़ी सोटी उठाकर दे मारी भाई की पीठ पर वो एकदम चिल्ला पड़ा - क्या कर रही हो जिजी ? मैं तेरा भाई हूं, ये क्या लगती है तेरी ?

बेटी ! लेकिन सौतेली !

हां, सौतेली है तो बेटी ही, सबसे पहले एक औरत है जिसके मान-सम्मान को तू रौंदने चला था, तुम सारे मर्द साले एक जैसे होते हो किसी न किसी रूप में उसे इस्तेमाल करने का सामान समझते हो...इसका बाप भी, मेरा-तेरा बाप भी, सब साले निकल मेरे घर से अभी का अभी खोली के पास काफी लोग इकट्ठा हो गए थे आवाजें सुनकर। क्या देख रहे हो, तुम्हारे घरों में नहीं होता ? निकल अभी यहीं खड़ा है, धक्के देकर बाहर निकाल दिया और गुड़िया को गले से लगा लिया। मां से लिपटकर गुड़िया फफक पड़ी जिसे कभी मां की डांट-फटकार और मार से रोना नहीं आता था मगर आज प्यार में रोना आ गया। सच में उसने अपनी मां को पा लिया जो उस चार साल की बच्ची को इस दुनिया में अकेला छोड़कर गई थी आज मिल गई।

           


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