इंतजार
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प्यार एक खुबसूरत अहसास और वो भी पहला पहला तो पहला प्यार तो सबका ही खास होता है। बस फर्क सिर्फ इतना है कि पहला प्यार किसी का पूरा हो जाता है और किसी का अधूरा रह जाता है। चलिए आप लोगों का ज्यादा समय न लेते हुए हमारी आज की कहानी की शुरुआत करते है।हमारी आज की कहानी शुरू होती है ईशा से। ईशा दिल्ली की रहने वाली है और वहीं के काॅलेज से बी.काॅम की पढ़ाई कर रही है। उसका बी.काॅम का आखिरी साल है। ईशा खुद में मस्त रहने वाली एक सुलझी हुई लड़की है, जिसे प्यार जैसी चीजों में कोई दिलचस्पी नहीं है। पर कहते है ना कि प्यार के अहसास से कोई ज्यादा समय तक बच नहीं सकता और ऐसा ही ईशा के साथ भी हुआ।
एक दिन ईशा अपनी सहेली अंजलि के साथ काॅलेज के ग्रांउड में बैठी थी कि तभी उनका एक दोस्त विजय उनके पास आया और उसके साथ उसका एक दोस्त हितेश भी था। विजय ने उन दोनों से हितेश का परिचय करवाया और बस ईशा तो उसको देखते ही अपना दिल दे बैठी। ऐसा नहीं है कि हितेश दिखने में बहुत सुंदर था। बस वो कहते है ना कि दिल पर किसी का जोर नहीं चलता और वही ईशा के साथ भी हुआ।
हितेश एक साधारण सा लड़का था। आज कल के फैशन से कोसो दूर। बस यही बात ईशा को पसंद आ गई। जैसे तैसे उसने खुद को संभाला। अब ईशा का रोज़ का यही काम हो गया था हितेश को देखते रहना। पर हितेश उससे ज्यादा बात नहीं करता था। जब भी वो उनके पास आता तो सिर्फ ईशा की सहेली अंजलि से ही बात करता रहता। ईशा बीच में कुछ बोलती तो वो उसे नजर-अंदाज कर देता। ईशा को हितेश के इस व्यवहार से बहुत दुख होता। उसे अंजलि से भी जलन होती।
पर जब काफी दिन तक यही सब चलता रहा तो ईशा को भरोसा हो गया कि हितेश को उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। वो अंजलि को पसंद करता है। अब अंजलि ठहरी उसकी सबसे अच्छी दोस्त और हितेश उसका पहला प्यार तो उसने दोनों की खुशी के लिए खुद के प्यार के बारे में किसी को भी न बताने का फैसला लिया और हितेश से दूर रहने लगी।
कुछ दिन ऐसे ही बीत गए और कुछ दिनों बाद ईशा को हितेश की फ्रैंड रिक्वेस्ट आई फेसबुक पर। बस फिर क्या ईशा ने उसकी रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली और दोनों की फेसबुक पर बात होने लगी। एक दिन हितेश ने ईशा से कहा,"मैं किसी लड़की को पसंद करता हूं और उसे अपनी जिंदगी में शामिल करना चाहता हूं पर समझ नहीं आ रहा उससे कैसे कहूं।"ये बात सुनकर ईशा की आंखों से आंसू आ गए। वो समझ गई कि हितेश अंजलि की बात कर रहा है। फिर भी उसने हिम्मत करके उससे कहा,"इस काम में मैं आपकी मदद कर सकती हूं। मुझे उस लड़की का नाम बताइए मैं बात करूंगी उससे।"
इस पर हितेश बोला,"आज नहीं फिर कभी बताऊंगा।"
ईशा ने भी उस पर ज्यादा दबाव नहीं बनाया। क्यूंकि वो भी खुद को संभालने के लिए कुछ समय चाहती थी। पर एक दिन उसने अंजलि से बातों ही बातों में पूछ लिया कि तूझे हितेश कैसा लगता है।अंजलि ने भी कह दिया कि अच्छा लड़का है पर जैसा मुझे चाहिए वैसा नहीं है। ऐसे करते-करते काॅलेज पूरा हो गया। एक दिन फिर हितेश ने उस लड़की की बात चलाई तो ईशा ने उससे पूछ ही लिया कि क्या वो लड़की अंजलि है??
हितेश का जवाब सुनकर ईशा हैरान रह गई क्यूंकि वो लड़की अंजलि नहीं बल्कि ईशा खुद थी। फिर हितेश ने ईशा को परपोज कर दिया। पर ईशा ने तो तब तक ये मान लिया था कि हितेश अंजलि का ही है। इसलिए उसने मना कर दिया। हितेश ने जब इनकार की वजह पूछी तो ईशा ने उसे सब कुछ बता दिया। बस ये नहीं बताया कि वो भी उसे पसंद करती है।
हितेश ने उसे बहुत समझाया कि ये सिर्फ उसकी गलतफहमी है पर वो नहीं मानी। हितेश ने उसे ना जाने कितनी बार प्रपोज किया पर हर बार उसका वही जवाब होता। फिर ईशा की जिंदगी में कुछ मुश्किलें आईं जिस कारण उसने एक साल तक कोई भी सोशल साइट इस्तेमाल नहीं की और न ही उसकी हितेश से कोई बात हुई।
एक साल बाद ईशा को अपनी पढ़ाई के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए उसी शहर जाना पड़ा, यहां हितेश भी पढ़ाई कर रहा था तो ईशा ने हितेश से बात की। पर हितेश अपने घर गया हुआ था। ईशा को लगा बस अब हम नहीं मिल सकते। पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जिस दिन ईशा उस शहर गई कि तभी रात को खाना खाने के समय उसको एक अंजान नंबर से फोन आया। ईशा ने जैसे ही फोन उठाया तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्यूंकि वो कोई और नहीं हितेश था। हितेश अपने घर से वापिस आ गया था।
ईशा जितने दिन भी वहां रही तब तक रोज उसकी कितनी-कितनी बार हितेश से फोन पर बात होती और फिर वो दिन भी आया जब दोनों मिले। मुलाकात तो पांच मिनट की भी नहीं थी पर वो खुशी ऐसी थी कि लफ़्ज़ों में बयां नहीं हो सकती।
अगले दिन ईशा वापिस अपने घर आ गई पर दोनों की बात होने लगी। कुछ दिनों बाद हितेश ने उसे फिर से प्रपोज किया और इस बार ईशा ने उसका प्रपोजल स्वीकार कर लिया। दोनों बहुत खुश थे। अगर किसी कारण कुछ समय के लिए दोनों की बात न हो पाती तो दोनों का बुरा हाल हो जाता। ऐसे ही समय बीतता गया। पर कहते हैं ना कि प्यार करने वालों को लोगों की नजर जल्दी लगती है और वहीं उन दोनों के साथ हुआ।
हितेश ने धीरे-धीरे ईशा से बात करना कम कर दिया। हर समय सिर्फ लड़ाई। ईशा ने उसको बहुत समझाया पर कोई फायदा नहीं हुआ और वो ईशा को छोड़कर चला गया। जिस बात से ईशा को हमेशा से डर लगता था उसके साथ वही हुआ।
पर पहला प्यार सबके लिए खास होता है और ईशा के लिए भी उसका पहला प्यार बहुत ही खास है। उसने जितना समय हितेश के साथ गुजारा वो लम्हें उसके दिल के बेहद करीब है और वो आज भी अपने हितेश का इंतजार कर रही है।