"परवरिश"
"परवरिश"
अमेरिका की एक टीम कनाडा के घने जंगलों में बॉटनी के प्रोफेसर की देख में एक रिर्सच टीम को जैनेटिक बीमारियों को ठीक करने की दवाई के लिए कुछ अलग किस्म के पेड़ों, से निकलने वाले रस की रिर्सच करने के लिए कनाडा के तलहटी में खोजना था। टीम बनाई और बहुत सर्च करके सारा इंतज़ाम करके कुछ अपने साथ के स्टूडेंट्स जो रिर्सच में साथ दे रहें थे उन्हें ही लेकर गए प्रोफेसर। वो बहुत अंदर चले गए और रास्ता भूल गए, कुछ लोग दलदली मिट्टी में फंस गए। बड़ी मुश्किल से एक बड़े से पेड़ टहनियों को पकड़ कर पेड़ पर चढ़ पाए। कई दिन हो गए जो पानी और खाने का सामान था ख़त्म हो गया। उनमें "जॉन" ने रास्ता बनाने की कोशिश की एक पेड़ से दूसरे पेड़ो की टहनियां से झूलते-झूलते दलदल से बचने के लिए कुछ तो जुगाड़ करना था, वहां पर खूब कीड़ों, मच्छरों की भी भरमार थी साथ ही सांप-बिच्छू, का खौफ। जैसे-तैसे एक निकल पाया तो "लूसी, निक" के लिए उसने अपने सामान में से कुछ रस्सी कपड़ो को बांध कर अपने साथियों को बचाने की कोशिश करने लगा। एक -दो दिन की कोशिश से तीनों लोग निकल आए।
अब उनको अपने प्रोफेसर एडविन और रॉफेल जो रास्ता भटक गए थे उन्हें ढूंढने लगे। अभी वो कुछ आगे गए थे कि एक मुसीबत फिर मिली। वहाँ गुरिल्लाओं का झुंड था बड़े ख़ूखार से दिख रहे थे। जॉन ने लूसी और निक को समझाया यहाँ से भागने की कोशिश मत करना वरना हम से ज़्यादा तेज़ दोड़ते हैं।
जॉन ,लूसी, निक ये देखकर हैरान थे के उनके साथ एक इंसानी शक्ल की लड़की भी थी मगर वो बिल्कुल गुरिल्लों जैसी ही रहती है वैसे ही हाव-भाव हैं। उनकी ही तरह पेड़ों पर छलांग लगाना ,वैसे ही जड-कंद मूल खाना ,वैसे ही पानी के पोखरों में मुँँह डाल कर पानी पीना। धीरे-धीरे गुरिल्लाओं को समझ आया कि ये हमें किसी तरह का नुक़सान नहीं पहुंचा रहें हैं। गुरिल्ला का झुंड फ्रेंडली हो गया। उन गुरिल्लाओं में उस लड़की गुरिल्ला को सबसे ज़्यादा ध्यान और प्यार से सहलाने वाली एक मादा गुरिल्ला थी।
ऐसा लगता था वो मादा गुरिल्ला ने ही उस लड़की को पाला हो अपने बच्चे जैसा ही संभलती थी। वो लड़की भी बड़ी ही चंचल उस झुंड में बहुत ही प्यार से रहती थी उनकी ही तरह की हरकतें करती थी।
जॉन,लूसी, निक अपने साथियों को ढूंढने के लिए आगे जाने लगे ,गुरिल्लाओं का झुंड भी इनके साथ बढ़ता रहा, आगे जाकर इन लोगों को और भी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
आखिर में प्रोफेसर एडविन और रॉफेल भी मिल गए और जिस रिसर्च के लिए गए थे उसमें भी सक्सेस मिली उस पेड़ों का रस और पत्तियों को संभल कर ले आए।
पूरी टीम जब जंगलों से बाहर आ रही थी तो,उस गुरिल्ला जो लड़की थी, इमोशनल होने लगी। उस टीम के साथ कई महीने रहने पर, उन्होंने उसका नाम "रोज़ी "रख दिया था ।गुरिल्लाओं को जो नर थे उन्हें अपने यहाँ किसी भी बाहरी नर हो या इंसान का दखल -अंदाजी पसंद नहीं थी।
"रोज़ी" भी टीम में से जॉन को बहुत पसंद करने लगी थी, ये पूरी टीम लौट आई....
अक्सर वो लोग गुरिल्ला झुंड को याद करते कभी-कभी जॉन को भी छेड़ते ...
जॉन अकेले में #रोज़ी के बारे में सोचता, प्लान कर रहा था के एक बार तो वहाँ जाकर देखना चाहिए फिर सोचता जंगलों में जाने कहाँ निकल गया होगा वो गुरिल्लाओं का झुंड इन बीते सालों में...
खैर यादें ही शेष रही.....!