Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

निखिल कुमार अंजान

Tragedy

5.0  

निखिल कुमार अंजान

Tragedy

तेरा इश्क...

तेरा इश्क...

6 mins
774


वैसे तो इस जहाँ में अनेकों अनोखी प्रेम कहानियाँ है सब एक से बढ़कर एक, हाँ अपनी भी एक कहानी है ज्यादा रोचक नहीं है बस ऐसे ही है।  प्रेम था या नहीं पता नहीं, लेकिन वो अक्सर कहती थी कि तुम मेरे प्रेमी हो मैं तुम्हारी प्रेमिका उसकी बातें याद करते ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। थी वो थोड़ा फिल्मी टाइप लेकिन मजेदार थी कुछ भी कहो मेरे जीवन का अद्भुत हिस्सा बन गई थी वो...

पिता के स्वर्गवास के बाद मैं भी काफी अवसाद में था एकाकीपन और खाली खाली घर खाने को दौड़ता था, दिन तो कामकाज में जैसे तैसे गुज़र जाता था किंतु रात काटने को दौड़ती थी।  घर घर नहीं बियाबान जंगल लगता था सोशल मीडिया से दूर रहने वाला मैं अब अपने को व्यस्त रखने के लिए सोशल मीडिया में एक्टिव रहने लगा, लोगों को मित्रता का निमंत्रण भेजता और फिर उनसे मैसेज में बात कर अपना अकेलापन दूर करता । ऐसे ही एक दिन एक लड़की को मित्रता संदेश भेज दिया और भेज कर भूल गया किसी बदनियत के चलते रिक्वेस्ट नहीं भेजी थी, खैर लगभग यही कोई 15 से 20 दिन बाद उस लड़की ने मेरा मित्रता का निमंत्रण स्वीकार कर लिया।  उसके बाद हम लोगों के बीच मैसेज के जरिए संवाद होने लगा, हाय हैलो कैसे हो और क्या हो रहा है, खाना खाया कि नहीं जैसी औपचारिक बातें होती थी। फिर धीरे धीरे बातचीत का क्रम बढ़ गया एक दिन वो परेशान थी अपनी निजी जिंदगी को लेकर तो मैं उससे देर रात तक बात करता रहा और उसको समझाता रहा फिर पहली बार मैने उसे बिना मांगे अपना नंबर मैसेज किया और कहा कि परेशान मत हुआ करो जब भी कोई परेशानी हो बात कर सकती हो, यह मेरा नंबर है कॉल कर लेना जब भी कोई जरुरत पड़े मेरी फिर उस दिन के बाद महीने भर तक हम लोगों की कोई बात नहीं हुई मैं भी अपनी दुनिया मे मस्त हो गया...

शनिवार का दिन था और मौसम भी मेहरबान था हल्की हल्की बारिश हो रही थी मैं ऑफ़िस में बैठा हुआ था, तभी अचानक मेरा फोन बज उठा मैने देखा तो कोई अंजान नंबर था मैने फोन उठाया मैं कुछ बोलता उससे पहले ही दूसरी तरफ से आवाज़ आई,

हाय कैसे हो, मैने कहा जी माफ़ करें मैने पहचाना नहीं आप कौन बात कर रहे हैं? तो उसने कहा मेरी आवाज़ नहीं पहचानी मैं आपकी फेसबुक वाली दोस्त बात कर रही हूँ मैने कहा ओह अच्छा आप हो !

कैसे हो और काफी दिनों बाद याद आई, वो बोली हाँ घर गई हुई थी वहाँ समय ही नहीं मिलता था कल ही वापस लौटी हूँ, मैं ठीक हूँ, आप कैसे हो ? मैने कहा, मैं भी ठीक हूँ पहली बार आज मैने उसकी आवाज़ सुनी थी हम लोग काफी देर तक बात करते रहे फिर उसके बाद निरंतर बातों का क्रम शुरु हो गया, अब वो कहीं न कहीं मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुकी थी...

फिर एक दिन वो बोलती है कि मुझे तुम्हें देखना है, मैने कहा वो कैसे?

तो वो बोली विडियो कॉल करते हैं मैने कहा लेकिन मैं व्हॉटसएप्प यूज नहीं करता, तो वो बोली कर लो न, मैने कहा फिर किसी दिन करते हैं। ऐसे ही मैं उसे काफी दिनों तक टालता रहा उसके बार बार कहने पर फिर एक दिन हमने विडियो कॉल पर बात की उसके बाद लगातार हमारी बातें विडियो कॉल और फोन के जरिए होने लगी और हम दोनों को एक दूसरे की आदत सी पड़ गई... 

एक दिन रात को हम फोन पर बात कर रहे थे तब उसने कहा कि

मुझे तुम से कुछ कहना है मैने कहा हाँ हाँ बोलो मैं सुन रहा हूँ, उसने कहा मुझे तुमसे प्यार हो गया है, "आई लव यू यार" मैने कहा, ओ हैलो मैडम ये प्यार व्यार का खेल मुझसे न होगा यह सुनकर वो चुप हो गई।  फिर मैं ही बोला क्या हो गया चुप क्यों हो गई हो, वो बोली कुछ नहीं, मैने कहा फिर चुप क्यों हो? कुछ बोलो, वो बोली क्या बोलूं। उसके बाद मैने उसे काफी देर तक समझाया कि ये प्यार वाला सीन बीच में न ला हम अच्छे दोस्त हैं और मैं हमेशा तुम्हारे लिए खड़ा हूँ, वो चुपचाप सुनती रही और हाँ जी हाँ जी करती रही। 

उसके बाद फिर उसने मुझे दोबारा यह बात नहीं बोली और हमारे बीच सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा...

सोमवार का दिन था उसका फोन आता है वो कहती है,

मुझे तुमसे बहुत ज़रुरी बात करनी है मैने कहा हाँ बोलो, वो कहती है तुम मुझे आज यह बताओ तुम मुझसे प्यार करते हो कि नहीं ?

मैने कहा ये सुबह सुबह क्या शुरु हो गया है तुम्हारा, उसने कहा मैं जो पूछ रही हूँ सिर्फ उसका जवाब दो,

मैं भी गुस्से मे आ गया मैने कहा मैने तुम्हें कभी कहा है कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ, या तुमसे प्यार व्यार की बात की है, वो बोली मेरी शादी की बात चल रही है और मुझे तुम्हारे साथ जिंदगी बितानी है अगर तुम प्यार नहीं भी करते हो तो हम एक दोस्त की तरह साथ में जीवन बीता सकते हैं। 

मैने कहा मुझे थोड़ा टाइम दो सोचने के लिए, उसने कहा मुझे दो तीन दिन में घर पर बताना है, मैने कहा ठीक है मैं तुम से शादी करने के लिए तैयार हूँ।  यह सुन कर वो बहुत खुश हो गई और बोली, मैं तुम्हें हमेशा खुश रखूगीं मैं भी हल्का सा मुस्कुरा दिया उसके बाद वो बोली ठीक है मैं घर पर बात करती हूँ। 

मैने कहा ठीक है, और बॉय बोलकर फोन रख दिया फोन रखकर मैं सोचने लगा कहीं उसको शादी के लिए हाँ बोलकर कुछ गलत तो नहीं किया फिर दिमाग में आया शादी तो एक न एक दिन करनी है फिर ठीक है न प्यार नहीं है तो क्या हुआ ज़रुरी नहीं है तुम जिसको चाहो उसी के साथ दुनिया बिताओ कोई तुम्हें चाहे यह बड़ी बात है, इस टाइप का ख्याल आते ही मैं हँस पड़ा, क्या करूँ इसकी संगत का असर है मैं भी इसके साथ फिल्मी टाइप हो

गया हूँ...

उसने अपने घर वालों से बात कर उन्हें राज़ी कर लिया और हम दोनों का विवाह पूरे रिती रिवाज़ों के साथ संपन्न हो गया, शादी के बाद हम लोग बहुत अच्छे से रहने लगे, वो मेरा पूरा ध्यान रखती और घर को भी बखूबी संभाल लिया था उसने।  जब शाम को मैं ऑफ़िस से लौटकर घर आता तो उसकी छोटी छोटी शरारतें और रोमांटिक फिल्मी अंदाज़ में यह कहना कि हम दोनो प्रेमी प्रेमिका है मेरे चेहरे पर मुस्कान ले आता था और मैं अपनी सारी थकान भूल जाता था सब कुछ अच्छे से चल रहा था कि अचानक एक दिन सड़क हादसे में वो मुझसे दूर हो गई...

वो तो चली गई लेकिन उसका इश्क जो कि हमेशा मेरे साथ था वो उसके जाने के बाद भी मेरे साथ ही है।  लेकिन अफसोस मैं अपना इश्क जता नहीं पाया और वो हमेशा एहसास कराती रही सच में वो नहीं होकर भी है। कुछ कहानी ऐसी भी होती है.....

 "अंजान का अंजान इश्क"


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy