अपशगुन
अपशगुन
रात के एक बजे घड़ी की सुई टिक-टिक करते हुए शहर के पॉश कॉलोनी की खामोशी को चीरने का अथक प्रयास कर रही थी। तभी हाई हील सेंडिल से ठक-ठक करते हुए एक लड़की कॉलोनी से गुजरती है।अँधेरे की इस गहराई में ठक-ठक की आवाज सुन कॉलोनी का लावारिस कुत्ता भौंकने लगता है। लड़की को कुत्ते का भौंकना अच्छा नहीं लगता है, वो अपने सेंडिल की हील से कुत्ते पर वार करती है। चोट खा कर कुत्ता कु-कु करने लगता है। वो लड़की कुत्ते की तरफ हिकारत से देख कर आगे बढ़ने लगी।
आगे जाती है तभी दो बाइक पीछे से तेजी से आते हुए उसे घेर लेते हैं। वो लड़की घबरा के उन युवकों को देखती है। वे नशे में धुत युवक लड़की पर फब्तियां कसते हुए उसके तरफ बढ़ते हैं। लड़की उनके तेवर देख घबरा जाती है, फिर भी हिम्मत करके पूछती है-कौन हो तुम लोग ? क्या चाहिए तुम्हें ?
लेकिन वो मनचले वैसे ही आगे बढ़ते रहे। लड़की ने घबरा के कहा- चले जाओ यहाँ से नहीं तो मैं शोर मचा के सबको बुला लूँगी। तभी एक मनचला आगे बढ़ कर अपने दोस्तों को बोलता है- भाई यहाँ सेफ नहीं है, इसे उठा कर कहीं और ले चलते हैं। लड़की उनके गंदे इरादे देख बचाओ-बचाओ चिल्लाते हुए एक घर का दरवाजे पर घण्टी बजाती है, कोई बाहर नहीं आता है तो दूसरे दरवाजे को खटखटाती है। वो कुत्ता भी अचानक के इस शोर से भौंकते हुए भागता है। वो भौंक-भौंक कर उन गुंडों को भगाने की कोशिश करता है।
वे गुंडे पत्थर मार कर कुत्ते को घायल कर देते हैं। और लड़की को पकड़ कर जबरन बाइक पर बैठने की कोशिश करते हैं।लड़की बेतहाशा बचाओ-बचाओ चिल्लाती है, पर उस कालोनी में किसी की भी इंसानियत नहीं जागती है। तभी अचानक वो कुत्ता रोने लगा, तेज और तेज। अचानक एक-एक कर कॉलोनी के लोग दरवाजा खोलने लगते हैं, उस कुत्ते को भगाने के लिए क्योंकि कुत्ते का रोना अपशगुन होता है।