बीच का रास्ता
बीच का रास्ता
अतीत यानि बीता हुआ समय।आज हम अतीत पर चर्चा करेंगे। मेरी इस चर्चा पर आप भी अपने सहमति और असहमति के विचार ज़रूर साझा करें।
हमारा अतीत जितना पुराना होता है, उससे हमें उतनी ही लगावट होने लगती है। और वो अतीत उतनी ही परिपक्वता से हमारे अंदर एक जगह बना लेता है। हमारा इतिहास भी अतीत का ही परिणाम है, भविष्य भी अतीत की उपज और वर्तमान अतीत का स्वरूप है। जब हम जीना नहीं छोड़ सकते तो अपने अतीत को क्यों छोड़ दे। अतीत हमारे ग़लतियों पर प्रकाश डालती है और हमारे सोच विचार के कमियों की तरफ हमारा ध्यान इंगित करती है।अतीत हमारे व्यक्तित्व के विकास में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
लोगों का मानना है कि अतीत के गर्त में डूब कर भविष्य को नहीं सुधारा जा सकता है। लेकिन वास्तविकता तो ये है कि अतीत के बिना भी भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती है। अतीत एक आईने की तरह होता है, हिम्मत करो और अपने आप को इस आईने में देखो। और इसे देख कर अपने भविष्य को सवारों और संभालो तथा भविष्य के लक्ष्य को प्राप्त करो। क्योंकि बुरा से बुरा अतीत भी अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकता है। इतिहास भी साक्षी है कि जितने लोगों ने महानता को प्राप्त किया है वे अपने अपने अतीत के काफी नज़दीक रहे है।
कुछ अतीत काफी कड़वे होते है जो दिल पर काफी चोट पहुँचाते है, हम उस अतीत के निशान को मिटा नहीं पाते। वो लम्हे हमें सिर्फ कड़वी याद ही दे पाते है। ऐसे अतीत से निपटने के लिए हमें समझौतावादी नीति का अनुसरण करना चाहिए। क्योंकि समझौतावादी नीति हमें उस अतीत से भागने की नहीं बल्कि उस अतीत से निपटने का बीच का रास्ता अपनाने का सुझाव देता है।