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बख्शीश

बख्शीश

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अरे घोष जी ! अगर पूजा के कंट्रीब्युसन में आपको पैसे की कमी लग रही है तो मुझे बोलियेगा। मै एक्स्ट्रा पैसे दे दूंगा।पर सोसाइटी में पूजा होनी चाहिए। "- शर्मा जी सोसाइटी के सेकेट्ररी साहब से बात कर रहे थे। कमरे में पोछा लगा रही कमला मन ही मन शर्मा जी के बारे में सोच रही थी - "कितनी उदार सोच है। पैसे की भी चिंता नही है।पूजा के लिए ज्यादा पैसे भी दे देंगे।भगवान ने तो इसीलिए हर चीज में संपन्नता दी है। चलो अच्छी बात है।हम भी इस बार बख्शीश और महीना पहिले ले लेंगे। पूजा में दो दिन की छुट्टी ले कर मायके जाकर अपनी भाभी से जाकर मिल आवेंगें।"

कमला अपनी धुन में पोछा लगाते हुए सोच रही थी।तभी शर्मा जी की पत्नी बोली - " कमला,पोछा लगाने के बाद जरा ये कमरा साफ करवा देना। और बच्चों के लिए ये कुछ कपड़े है लेते जाना।"

कमला पोछा कर कमरे की सफाई करवांने लगी। और सोची बख्शीश के लिये आज ही बोल देती हूँ। कमला थोड़ी देर में मिसेज शर्मा से बोली -" मैडम जी , वो मै पूजा में दो दिन के लिए अपनी भाभी से मिलने जाने का सोच रही हूँ।जब से उसका छोटा लड़का हुआ ,जा न पाई हूँ देखने। "

"हा हा ,तो चली जा!देखने मना किसने किया है तुझे ?"- मिसेज शर्म

ा बोली।

"वो मैडम जी, इस बार पूजा की बख्शिश के साथ इस महीने का भी मेहताना पहले ही मिल जाता तो अच्छा होता।"- कमला ने अपने मन की बात कही।

बख्शीश ? - सवालिया नजर देखते हुए शर्मा जी बोले।जो बहार कमरे में चाय पी रहे थे। 

"हा साहब ,यहाँ का नियम है कि पूजा में हमे दो दिन छुट्टी और महीना ,जितना रकम बख्शीश में मिलता है।" - कमला संमझाते हुए बोली।

शर्मा जी के परिवार को सोसाइटी में आये अभी एक साल ही हुए थे।तो कमला ने सोचा शायद इन्हें पता न हो।

"लेकिन बख्शीश में महीना जितना रकम तो बहुत ज्यादा है।"- शर्मा जी झल्लाते हुए मिसेज शर्मा को बोले।

"हाँ साहब,पर हमलोगों को यहाँ सोसाइटी की हर घरों से इतना ही मिलता है। आप सबसे पुछ लीजियेगा।" - कमला दलील दी।

तभी मिसेज शर्मा बोली - "अरे कमला, तुम्हे तो मेरी साड़िया काफी पसंद आती है। उन्ही सब में से कोई ले लो।एक नई भी दे दूँगी।

कमला जो अब तक शर्मा जी की पूजा में खर्चे करने की बात को सुनकर उदारता के बारे में सोच रही थी।अभी उनकी बख्शीश को लेकर मोल-मोलाई (बार्गेनिंग ) को देख कर उसे साल भर में एक बार मिलने वाले बख्शीश रूपी उम्मीद पर भी संकट दिख रहा था।


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