उनके दिल पर राज हमारा है
उनके दिल पर राज हमारा है
"अरे रितु ! तुमने तो घर में खाना बनाने वाली लगा रखी है. तू खुद खाना नहीं बनाती...? और तब भी तेरे पति तेरी हर बात मानते हैं। तेरे आगे पीछे घूमते रहते हैं। ऐसा क्या जादू कर रखा है...? "
रितु की सहेली रजनी जब उसके घर आए तब उसने उसके घर में खाना बनाने वाले को देख कर कहा।
"क्या बोलूं रजनी! मुझे बिल्कुल टाइम नहीं मिलता। ऑफिस से आने के बाद इतना थक जाती हूं कि ना तो इतना टाइम होता है और ना ही इतनी एनर्ज़ी होती है कि मैं खाना बनाऊं। इसलिए मैंने खाना बनानेवाली को रखा है!"
"ओह... पर हमने तो सुन रखा था कि...पति के दिल का रास्ता उनके पेट से होकर जाता है। फिर तुम अपने पति के दिल पर कैसे राज करती हो ?"
रजनी ने पूछा तो रितु मुस्कुरा कर बोली,
"अरे यह सब पुराने जमाने की बातें हैं।आज की स्त्री अगर पति के ऑफिस के काम में हाथ बंटाए,बच्चों की परवरिश में सक्रिय भूमिका निभाए।और जीवन के संघर्ष में उसके साथ कंधा से कंधा मिलाकर चले। तभी उसके दिल में उसके लिए जगह होती है। खाना बनाने से ही सिर्फ पति के दिल तक नहीं पहुंचा जा सकता!"
रितु की बात पर रजनी भी सहमत होकर बोली,
"तुम ठीक कहती हो रितु!अब समय बदल गया है…
अब पति को पत्नी के रूप में एक दोस्त की जरूरत होती है,
तभी वह उनके दिल में जगह बना पाती है !"

