Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Priyanka Gupta

Drama Inspirational

4.5  

Priyanka Gupta

Drama Inspirational

बुढ़ापे में तो बेटा ही काम आयेगा न !

बुढ़ापे में तो बेटा ही काम आयेगा न !

6 mins
653


सुभद्रा की बड़ी बहू निशा ऑफिस जा चुकी थी। महिला मंडल की आज प्रस्तावित मीटिंग में भाग लेने के लिए सुभद्रा निकलने ही वाली थी कि दरवाज़े की घंटी बजी। मन ही मन में भुनभुनाते हुए उन्होंने दरवाज़ा खोला। दरवाज़ा खोलते ही सामने देखा तो बेटी वृंदा खड़ी हुई थी। बेटी को देखते ही उनकी नाराज़गी दूर हो गयी थी और उसे गले लगाते हुए बोली "व्हाट ए सरप्राइज ?"

"अरे मम्मी, आज आपने दरवाज़ा खोला? शांता दी कहाँ हैं?" वृंदा ने अंदर आते हुए पूछा।

"अरे, उसे बाज़ार से कुछ सामान लाने के लिए भेजा है" सुभद्रा ने जवाब दिया।

"आप कहीं जा रही थी क्या ?",वृंदा ने अपनी मम्मी को ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा।

"हां बेटा, वही महिला मंडल की मीटिंग में जा रही थी। तुम्हें तो पता ही है आजकल हम कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध काम कर रहे हैं। ",सुभद्रा ने लापरवाही से कहा।

"लेकिन तुम आज इतनी उदास क्यों लग रही हो ?सब ठीक तो है न। ",सुभद्रा ने वृंदा की तरफ देखते हुए कहा। 


"चलो बैठो, तुम्हारी पसंद की चाय बनाकर लाती हूँ। ",सुभद्रा ने वृंदा के कुछ बोलने से पहले ही कहा। 

"नहीं मम्मी, आप यहीं बैठो। कहीं मत जाओ। ",वृंदा ने सुभद्रा जी का हाथ पकड़ते हुए कहा।

"मम्मी, आप नानी बनने वाली हो। ",वृंदा ने धीरे से कहा। 

"अरे बेटा, यह तो बड़ी ख़ुशी की खबर है। क्या कमजोरी फील हो रही है ?सान्वी के समय तो तुम इतनी कमजोर नहीं हुई थी। डॉक्टर को दिखा लिया या चलो अभी चलते हैं। ",सुभद्रा जी ने एक के बाद एक कई प्रश्न कर डाले। 

"मम्मी, मैं ठीक हूँ। लेकिन एक बड़ी प्रॉब्लम है। ",वृंदा ने कहा।

"क्या समस्या है ?पहेलियाँ मत बुझा। मुझे बता तो सही। दुनियाभर की औरतों की समस्यायें सुलझाती फिरती हूँ। अपनी बेटी की हर समस्या का चुटकी में समाधान कर दूँगी। ",सुभद्रा ने कहा। 

"मम्मी, विनय और उनके घरवाले चाहते हैं कि एक बेटी तो पहले से है ही तो, इस बार बेटा ही होना चाहिए। ",वृन्दा ने सुभद्रा से आँखें चुराते हुए कहा। 


सुभद्रा के दो बेटे तन्मय और चिन्मय तथा एक बेटी वृंदा है । तन्मय उनका छोटा बेटा है जो कि बैंगलोर में अपनी बीवी के साथ रहता है। तन्मय का विवाह माधवी से हुआ था। माधवी एक समझदार, पढ़ी लिखी, उच्च पद पर कार्यरत अपने माता पिता की एकलौती बेटी है। माधवी ने विवाह से पूर्व ही तन्मय को बता भी दिया था कि विवाह के बाद उसके मम्मी पापा की जिम्मेदारी वही उठाएगी। वह उनकी एकलौती बेटी है तो उनकी देखभाल करना उसकी ज़िम्मेदारी है। तन्मय को इसमें कोई समस्या नहीं दिखी थी।

चिन्मय और चिन्मय की पत्नी निशा सुभद्रा और उनके पति स्वदेश के साथ उदयपुर में रहते हैं । चिन्मय का उदयपुर में अपना बिज़नेस है।

वृंदा की शादी भी उदयपुर में ही हुई है। वृंदा के पति विनय और उनका पूरा परिवार ही सुलझे हुए ख्यालों वाला है। वृंदा को ससुराल में प्यार के साथ-साथ भरपूर सम्मान भी मिलता है। सुभद्रा, वृंदा की तरफ से पूरी तरह निश्चिंत रही हैं। 

लेकिन आज वृंदा के मुँह से यह बात सुनकर सुभद्रा जी की त्यौरियां चढ़ गयी थी। उन्होंने कहा, " वृन्दा बेटा, तुम ज़रा भी फ़िक्र मत करो ;अभी फ़ोन करके विनय और उसके घरवालों की खबर लेती हूँ। देखती हूँ, मेरे होते वे लोग कन्या भ्रूण हत्या के बारे में कैसे सोच सकते हैं ?"

"मम्मी मैं तो आपको यह बोलने आयी हूँ कि मैं तो खुद भी दूसरा बेटा ही चाहती हूँ। एक बेटी तो पहले से ही है। अब बुढ़ापे में तो बेटा ही काम आयेगा न। ",वृंदा ने कहा। 

"कैसी बातें कर रही है तू ? बेटा और बेटी सब एक समान है। बेटी को भी अच्छे से पढ़ा -लिखाकर आत्मनिर्भर बनायेंगे और फिर वह भी अपने माँ-बाप का ख्याल रखेगी। ",सुभद्रा ने कहा। 

"लेकिन मम्मी शादी के बाद हम माँ -बाप अपनी बेटी के पास जाकर थोड़े न रह सकेंगे। बेटी के सास-ससुर को बुरा लगेगा। बेटे के माँ -बाप अपने बेटे के साथ रहें तो किसी को बुरा नहीं लगता, लेकिन वहीँ बेटी के माँ -बाप शादी के बाद उसके साथ जाकर रहें तो सभी को बुरा लग जाता है। " वृन्दा ने कहा।

"अरे बेटा, तू कहाँ सदियों पुरानी बात कर रही है। अब ऐसा कहाँ होता है ?",सुभद्रा ने कहा। 

"कैसे नहीं होता मम्मी ?आप खुद भी तो तन्मय भैया को माधवी भाभी के लिए ताने मारती रहती हो। ",वृन्दा ने कहा। 

 माधवी ने अपने मम्मी पापा को अपने पास बैंगलोर ही रहने को बुला लिया था क्यूंकि उसके पापा सेवानिवृत भी हो गए थे, दूसरा उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था । फिर माधवी के मम्मी पापा ने भी तो उसे पढ़ाया लिखाया है और उनकी मेहनत और प्रोत्साहन से ही माधवी उच्च पद पर कार्यरत है। बेटा -बेटी एक समान का पुरजोर समर्थन करने वाली सुभद्रा को तन्मय के सास-ससुर का उसके साथ रहना कुछ खास सुहाता नहीं है और गाहे बेगाहे वह तन्मय के सामने अप्रत्यक्ष रूप से अपनी नाराज़गी भी दर्ज करवाती रही हैं। 

तन्मय ने सुषमा जी को कई बार समझने की कोशिश भी की कि, " जैसे आपने हमें पढ़ा लिखाकर काबिल कहीं न कहीं यह सोचकर बनाया कि आपके बुढ़ापे में हम बेटे आपकी देखभाल करेंगे, तो वैसे ही यदि माधवी अपने मम्मी पापा की देखभाल करे तो बुराई क्या है ?"

लेकिन अपने आपको अति आधुनिक मानने वाली सुषमाजी इस बात को पचा ही नहीं पा रही थीं। वृंदा की बातों ने सुभद्रा को एकदम से सकते में ला दिया था।

तब ही वृंदा ने कहा, "मम्मी क्या सोचने लगी ?जो आप बार -बार कन्या भ्रूण हत्या रोकने की बात करती हो न ;कभी सोचा है कि लोग कन्या भ्रूण हत्या क्यों करते हैं ? छोटा परिवार रखने की चाह में और दूसरा शिशु भी कहीं लड़की ही न हो, लोग कन्या भ्रूण हत्या करते हैं। उन्हें यही लगता है ;उनकी बुढ़ापे में तो देखभाल बेटा ही करेगा। लोग ये सोच ही नहीं सकते कि बेटी भी बुढ़ापे में देखभाल कर सकती है। अगर ये उनकी सोच में शामिल हो जाए तो कन्या भ्रूण हत्या रुक ही जाए। " 

"बेटा, तू कह तो सही रही है। ", सुभद्रा ने कहा।

"इतना ही नहीं, कुछ लोग तो बेटी की शिक्षा पर भी खर्च करना नहीं चाहते। क्यूंकि बेटी की शिक्षा पर किया गया निवेश उन्हें वापस थोड़ी न मिलेगा। बेटे को अच्छा पढ़ाएंगे तो वह उनका बुढ़ापे में अच्छे से ध्यान रखेगा। अगर हम अपनी ये सोच बदल सकें और ये माने कि माँ बाप की देखभाल करने की जिम्मेदारी बेटे और बेटी दोनों की ही है। दोनों को ही ये जिम्मेदारी निभानी होगी, तो बेटियों की शिक्षा पर भी बराबर से ही ध्यान दिया जाएगा। जैसे जब किसी के दो बेटे होते हैं तो मम्मी पापा किसी एक बेटे के साथ रहते हैं । वैसे ही ये मम्मी पापा पर छोड़ दो कि, उन्हें बेटे के साथ रहना है या बेटी के साथ। जिस किसी के भी साथ रहे बेटे या बेटी,इसमें शर्म जैसी कोई बात नहीं होनी चाहिए। " वृंदा ने कहा। 

"हाँ, बेटा। ",सुभद्रा ने कहा। 

"मम्मी, मैं कोई प्रेगनेंट नहीं हूँ। तन्मय भैया ने मुझे बताया था कि आप माधवी भाभी के पेरेंट्स को लेकर बहुत अपसेट हो। इसलिए आपको समझाने के लिए मैंने प्रेगनेंसी वाली बात बोली थी" वृंदा ने कहा। 

"समझ गयी बेटा, अब से मैं माधवी के मम्मी पापा के प्रति अपना मन कड़वा नहीं रखूंगी। मेरी बेटी तो मेरी भी माँ निकली। ",सुभद्रा ने हँसते हुए वृंदा को गले से लगा लिया था। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama