चुड़ैल वाला मोड़ पार्ट 4
चुड़ैल वाला मोड़ पार्ट 4
संकेत सिहर सा गया था, ऐसा एहसास था कि जैसे ये कोई इशारा सा हो । एक उपस्थिति भी मौजूद थी उस कमरे में । फारुखी चाचा की श्राप वाली बात को मज़ाक में टाल गया था संकेत और औघड़ भी उसकी नज़र में किसी पागल से ज्यादा कुछ था नहीं ।
पर सोचने वाली कुछ बातें ज़रूर थीं, चुड़ैल वाले मोड़ का उस 12 साल पुरानी घटना से सम्बन्ध क्या है? "12, यहाँ भी 12 का नंबर पीछा छोड़ नहीं रहा और उस एक्सीडेंट वाले दिन तारीख क्या थी.........? अरे हाँ 12 ही तो थी l" संकेत खुद से ही बातें कर रहा था ।
बहुत दिमागी कसरत के बावजूद भी इन दो बातों का खुद में कोई रिश्ता पकड़ नहीं आ रहा था l सबसे बड़ी परेशानी थी उसका बोलने में असमर्थ होना । इंतज़ार था तो सिर्फ जल्दी ठीक होने का ।
माँ हमेशा सर के पास बैठी अपने बेटे को निहारा करती हैं । खाती भी कम ही हैं , पापा वैसे तो ज़ब्त दिखते हैं पर संकेत जानता था कि उम्र के तीसरे पड़ाव पर खड़ा पिता थोड़ा कमज़ोर तो हो ही जाता है ।
इतने दिनों में सुशान्त भी ऑफिस से वक्त निकाल कर हॉस्पिटल आता रहा । स्कूल की थर्ड क्लास से लेकर 12 तक हर कदम साथ ही पड़ा करता था संकेत और सुशान्त का । उसके बाद सुशान्त इंजीनियरिंग करने देहरादून चला गया और संकेत बी. एससी. करने के लिए यहीं रुक गया ।
दिन गुज़रे जा रहे थे , 2 महीने का वक़्त दिया था डॉक्टर्स ने और आज पूरा एक महीना हो चुका था उस अस्पताल के 2.5X6 के बेड पर ।
"बस तीस दिन और... फिर घर जाकर माँ के हाथ की बनी कचौड़ियां खाऊंगा । कार की क्या हालत हुई होगी ! और उस लड़की का हुआ क्या होगा !"
सुशान्त पिछले तीन दिन से आया नहीं था । चुड़ैल वाली बात माँ या पापा से करना नहीं चाहता था संकेत । आवाज़ भी अब निकालना आसान हो रहा था l इंतज़ार था तो सुशान्त के आने का l
शेष अगले अंक में .........