"पहला प्यार"
"पहला प्यार"
मुझे तो खुद पहले प्यार कि परिभाषा भी पता नहीं हैं।
क्योंकि मेेेरे माता-पिता ने ही मेरी शादी तय नहीं की।
मेरी शादी मेरे दादा-दादी जी ने मेरे दादा-दादी
ससुरजी ने मेरे जन्म से पूर्व ही तय कर दी थीं।
मेरे दादाजी के चार बेटे थे।
मेरे दादाजी ससुर के एक बेटा था।
और दोनों ने यह तय कर रखा था।
किआपके मेरे पोती पोता होगा।
उसकी शादी मेरे पोती पोता होगा।
उससे करवा दी जायेंगी।
वादेनुसार मेरे दादाजी के मैं पोता पैदा हुआ।
उधर मेेेेरे ससुरजी के लड़की पोती मेरे होनेे
वाली पत्नी पैैदा हुई।
दोनों का तय शुदा विवाह करवा दिया गया था।
अबआप बताओ क्या मुझे भी पहले प्यार की
परिभाषा समझआती है।
जिसकी खुद कि शादी पैदा होने से पहले तय हुई हों।
यह मेरे अकेले कि नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में करीब करीब
सत प्रतिशत हकीकत सच्ची कहानी हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों कि शादी माता-पिता दादा-दादी
नाना-नानी रिश्तेदार ही तय करते हैं।
जो सामाजिक शादीयां बहुत टिकाऊ भी होती हैं।
अभी ग्रामीण क्षेत्रों में भी पाश्चात्य संस्कृति कल्चर
हावी होने लगा हैं।
पढ़ें लिखे युवाओं में लव मैरिज का
एवं अंतर्जातीय विवाह का प्रचलन बढ़ा हैं।
आज़ कल कि शादीयां टिकाऊ नहीं होती हैं।
इसलिए पति-पत्नी में बहुत विवाह विच्छेद हो रहें हैं।
जिसकी खुद कि शादी पैदा होने से पहले तय हुई हों
उसे भल्ला कैसे पता हों सकता हैं।
कि पहला प्यार क्या होता हैं।
पहले प्यार कि परिभाषा भी पता नहीं होती हैं।