नुक्कड़ वाली
नुक्कड़ वाली
बलदेव सदन, ९ – डी, नई मंडी, मुज़फ्फरनगर (ऊ.प्र.), बिल्लू के बाबा जी श्री मुरारी लाल जी का घर.
श्री मुरारी लाल जी सपत्नी श्रीमती प्रकाशवती जी व उनके ६ लडकों का निवास स्थान.
उनमें से कुछ लड़कों की शादी हो चुकी थी, उनके बच्चे भी थे, बिल्लू भी उन्हीं पोते-पोतियों में से एक था. बिल्लू अक्टूबर १९५९ में पैदा हुआ.
बिल्लू के मानस पटल पर कुछ यादें शेष है. उम्र ६ वर्ष से १४ वर्ष यानिकि सन १९६५ से १९७३ के बीच की.
बाबा जी सरकारी ठेकेदार होने की वजह से ज्यादातर अन्य उन जगहों पर ही रहते थे, जहाँ काम चल रहा होता.
श्रीमती प्रकाशवती जी (बिल्लू की दादी) की देख रेख में ही ९ – डी का संचालन होता. लेकिन उन्हें कोई भी इस नाम से नहीं जानता था. सभी रिश्तेदार और मुज़फ्फरनगर मंडी व शहर के सभी जानने वाले उन्हें ‘बड़ी अम्मा’ बुलाते.
९ – डी से चौड़ी गली, मंडी की ओर २० कदम चलने पर, चौराहे पर, बाएं नुक्कड़ पर एक अल्प आय दम्पति रहती. पत्नी को आस-पास के सभी लोग ‘नुक्कड़ वाली’ कह कर बुलाते.
नुक्कड़ वाली दिन में कम से कम चार-पांच बार बड़ी अम्मा के पास आती थी.
९ – डी के बाहर के आंगन में दो तीन खटिया पड़ी रहती थी. उन्हीं पर बड़ी अम्मा, परिवार की बहुएं, अन्य मोहल्लेवाली स्त्रियाँ व नुक्कड़ वाली बैठती.
नुक्कड़ वाली बड़ी अम्मा से दही जमाने के लिए जामन मांगने के लिए भी आती थी और भी छोटी-मोटी चीजें, शायद लगभग रोज.
९ – डी में गाय – भैंस भी थी. बड़ी अम्मा जामन की जगह ज्यादातर खूब सारी दही ही दे देती थी, जिससे की नुक्कड़ वाली कढ़ी बना लेती. बड़ी अम्मा ने नुक्कड़ वाली को कभी खाली हाथ नहीं लौटाया.
हम बच्चे भी वहीँ आंगन में क्रिकेट खेलते. बिल्लू बहुत शैतान था. वह यही कोशिश करता कि उसके बैटिंग करते वक़्त उसके बैट से मारी गई बॉल नुक्कड़ वाली को लगे. कभी कभी बॉल नुक्कड़ वाली को लगती, बिल्लू व अन्य खेलने वाले बच्चे तालियाँ बजाते.
आज ६० वर्ष की उम्र में बिल्लू को यह याद करके पश्चाताप होता है कि बॉल से दादी की उम्र की स्त्री को चोट पहुँचाना गलत था.
नुक्कड़ वाली हमारी बड़ी अम्मा की सखी (सहेली) थी, यानिकि नुक्कड़ वाली दादी. बिल्लू अब उन्हें आदर से ही याद करता है.
प्रायश्चित के लिए नुक्कड़ वाली दादी को नमन.