जादू प्यार का..
जादू प्यार का..
अपनी चाबी से दरवाजा खोल कर रिया जैसे ही घर के अंदर आई, पूरा घर अस्त-व्यस्त पड़ा था। हाँ बिल्कुल वैसे ही जैसे वह सुबह छोड़ कर गई थी। लगता है आज सुधा (कामवाली) नहीं आई है। हे भगवान ! नहीं वह समझती है कि सुधा भी इंसान है। उसे भी छुट्टी लेने का अधिकार है। पर उसी दिन क्यों ? जिस दिन उसकी तबीयत खराब होती है। वह भी तो इंसान है। वह आज ऑफिस से छुट्टी लेकर जल्दी घर आई क्योंकि उसका सिर दर्द हो रहा था। आँखे जल रही थी। बुखार सा, कमजोरी सी लग रही थी। वह सोच कर आयी थी कि घर जाकर सुधा को बोलकर अच्छी सी खूब कड़क अदरक, काली मिर्च वाली चाय बनवा कर पियूंगी। फिर सो जाऊंगी। अगर ठीक नहीं हुआ तो शाम को डॉक्टर को दिखा दूंगी। पर यहाँ चाय मिलना, आराम करना तो दूर अभी पहले सारे काम, रात के बर्तन समेटने होंगे। झाड़ू पोछा तो ना बाबा, उसकी हिम्मत नहीं पड़ रही है।
चाय तो जाने ही दो। वह पर्स एक ओर रखकर दवाई खा कर लेट गयी, ऐसा सोचकर कि काम का क्या है, काम तो कभी खत्म नहीं होता। पहले अपना स्वास्थ्य देखना चाहिए। वह लेटे-लेटे बस सोच रही थी काश उसके पास कोई जादू की छड़ी होती है उसका सारा काम छड़ी हिलाते ही हो जाता । कोई जिन्न होता जो चुटकी बजाकर काम कर देता। क्या जिन्न बीमारी भी ठीक कर सकते हैं, चुटकियाँ बजा कर ? यही सब सोचते सोचते वह दवाई के प्रभाव से या बुखार के कारण सो गई । वह सपना देख रही है शायद। कोई जिन्न उसके पैरों को हल्के हल्के नाजुक हाथों से दबा रहा है । उसके माथे पर गीला गीला लग रहा है। कोई हल्के हाथों से माथे पर पानी की पट्टी रख रहा है। उसके बालों को सहला रहा है। क्या जादुई दुनिया, या जिन्न या जिनी सच में होते हैं ?
नहीं यह सपना नहीं है, शायद सच्चाई है । उसने उस स्पर्श पर अचकचा कर आँखें खोल दी। उसका बेटा उसका पांव दबा रहा था। बेटी सिर पर पानी की पट्टी रख रही थी। उसे आँखें खोलता देखकर दोनों ने उसके पास आकर उसकी आँखों को चूम कर पूछा, "मम्मा अभी आपको कैसा लग रहा है"?
"अरे तुम दोनों स्कूल से आ गए । चलो मैं तुम्हारे लिए कुछ बना देती हूँ ", रिया ने उठते हुए बोला।
दोनों ने उसे पकड़कर अधिकारपूर्वक लिटा दिया । "मम्मा हमने खा लिया है। आप लेटी रहो" । रसोई से कुछ आवाज आ रही थी । उसने पूछा, "क्या सुधा दीदी आई है "?
बेटी ने बोला, "नहीं मम्मा, पापा है"।
"पापा ! तुम्हारे पापा, क्या कर रहे हैं रसोई में", रिया ने आश्चर्य से पूछा ?
तब से रिया के पति रितेश ट्रे में चाय, बच्चों का दूध, नाश्ता लेकर आ गए और बोले, "अपनी पत्नी के लिए चाय नाश्ता बना रहा था"।
रिया आश्चर्य से बोली, "आपको चाय नाश्ता बनाना आता है" ?
"हाँ प्रिय पत्नी जी! (रितेश की इस बात पर दोनों बच्चे खिलखिला कर हंसने लगे) आप भूल गयी कि मैं हॉस्टल में रह कर पढ़ाई किया हूँ", एक छोटी चौपाई बिस्तर पर रख कर उस पर ट्रे रख कर, रिया को बैठने में मदद करते हुए रितेश ने कहा।
"पर आपने आज तक कभी कुछ किया नहीं", रिया ने हल्की सी नाराजगी के भाव से कहा।
चाय का कप उसे पकड़ाते हुए रितेश ने कहा, "क्योंकि आपने करने का मौका ही नहीं दिया। मेरी सुपरवुमन सब संभाल रही थी तो मुझे जरूरत ही नहीं लगी। वैसे भी मैं आलसी हूँ, तुम जानती तो हो। काम करना पड़े तो ही करता हूँ । वैसे तुम आराम से चाय पियो मैंने और बच्चों ने मिलकर रसोई और घर तो साफ और व्यवस्थित कर दिया है"।
रिया चाय का घूँट पीते हुए सोच रही थी। वह बेकार में ही जादू या जिन्न के बारे में सोच रही थी । उसके पास इतना प्यारा पति, इतने प्यारे बच्चे हैं। जो किसी जादू से कम नहीं है। उसने बच्चों को गले से लगाया तो पति ने भी उन तीनों को गले से लगा लिया। सच में प्यार से बड़ा जादू और कोई भी नहीं है।
