प्रोफेशनल लाइफ
प्रोफेशनल लाइफ
कल ऑफीस में अपने सीनियर के फ़ोन पर आए मैसेज को देखकर फ़ाइल में लिखते हुए उसके हाथ कुछ देर के लिए रुक गए। उसने झट से मैसेज देखा। मैसेज में कोई डॉक्यूमेंट अटैच्ड था। थोड़ी देर में देखती हुँ कहते हुए वह झट झट फ़ाइल में नोटिंग करती रही। काम पूरा होने पर फ़ाइल को साइड में रखकर पानी के घूँट लेते हुए वह मैसेज में अटैच्ड डॉक्यूमेंट पढ़ने लगी।केस की नज़ाकत समझते हुए वह झट से अपने सारे ऑब्जरवेशन्स एक पेपर पर लिखने लगी।
थोड़ा रुक कर उसने दोबारा उन पॉइंट्स को पढ़ना शुरू किया। पेपर को टेबल पर रखकर वह कंप्यूटर पर उन सारे पॉइंट्स को टाइप करना शुरू किया।
इण्टरकॉम की आवाज से उसके हाथ रुक गए। एक कलीग चाय के लिए पूछ रहा था। क्योंकि काम ज्यादा था तो उसने मना कर दिया और फिर से टाइप करने लगी।
टाइप होने के बाद प्रिंट कमांड दिया। हुश, चलो, ये इम्पोर्टेन्ट काम भी हो गया। अभी सर नही है... कल उनको दे दूँगी कहते हुए उस पेपर को अलमारी में रख दिया।
प्यून एक नोट ले कर आया। देखा तो उसमें किसी कमिटी की मीटिंग के बारें में
इनफार्मेशन थी... उसको एज ए स्पेशल इन्वायटी बुलाया गया था... उसको वंडर लगा की काम तो उसके डिपार्टमेंट का है लेकिन चेयरपर्सन किसी और को बनाया गया है। उसको एज ए स्पेशल इन्वायटी बुलाया... सारा खेल उसकी समझ में आ गया...
क्योंकि जिन्हे चेयरपर्सन बनाया गया उनको शायद उसके चेयरपर्सनशिप में मेंबर बनने से प्रॉब्लम था या फिर असहजता के कारणों से सीनियर को ये फैसला लेना पड़ा। कारण जो भी हो... उसे लगा जैसे किसी ने उसके प्रोफेशनल स्किल्स, हार्डवर्क और एक्सपेरिएंस को एकदम ज़ीरो कर दिया है।
एक पल लगा कि जाकर अपने सिनिअर से बात करें कि यह सब क्या हो रहा है? क्यों हो रहा है? लेकिन फिर उसे अपनी पोजीशन का ध्यान आया और वह रुक गयी।
शाम को घर मे भी वह सारे काम अनमनी होकर करती रही...उसे लगा कि ऐसे तो काम नही चलेगा। अपनी बात तो कहनी होगी।
खाना खाने के बाद उसने व्हाट्सप्प मैसेज देखा। उसके लिए सर का मैसेज था। उनको कोई डेटा चाहिए था अर्जेंटली। मैंने गूगल ड्राइव में सेव की हुयी शीट शेयर किया। रिप्लाई में सर का ओके वाला जवाब आया। वही थम्स अप वाला इमोजी....
अभी वह अपनी बात मैसेज में तो कह ही सकती है... इस विचार के आते वह झट झट लिखने लगी और सेंड करने लगी। देखकर की सर टाइप कर रहे है वह रुक गयी। उनका रिस्पांस आया वही अपनी बात को सही साबित करने के घिसेपिटे तर्क के साथ।
लेकिन उसने झट से उस तर्क से ज्यादा स्ट्रॉन्ग पॉइंट लिखकर रिप्लाई किया।उनका वैसे ही कुछ फीका से जवाब आया। बेटी की आवाज से वह चौंक गयी। बेटी को मैथ्स के होमवर्क मे कोई प्रॉब्लम समझ नही आ रहा था... कुछ ही मिनटों में उसने बेटी को सलूशन निकाल कर दे दिया।
सर को जवाब देना ही था। उसने फिर अपनी बात लिख डाली। सर का फिर मैसेज आया... विल डिसकस धिस ऑन टुमारो मॉर्निंग...
बात ख़त्म हो गयी। उसने सोच लिया अब इस बारें में कोई बात नही करनी है..न आज और न टुमारो मॉर्निंग में ही...
यह कोई अंत नही है.. बल्कि शुरुआत है... क्योंकि वह जान चुकी थी कि जो प्रोफेशनल स्किल्स और नॉलेज उसके पास है...उन्हें प्रूव करने का आज नही तो कल मौका जरूर आएगा।
प्लैंनिंग और एग्जेक्युशन में उसको महारत हासिल थी। कल ऑफीस में होनेवाली उस मीटिंग में उसके लिए ही ज्यादा काम था...
एक बार उसने झट से व्हाट्सअप में मीटिंग वाला वह मैसेज पढ़ लिया। सब कुछ उसके टिप्स में था।
रोज़ की तरह कल सुबह की तैयारी के लिए सोने से पहले वह सब्जी काटने के लिए जुट गयी... पति महोदय पानी लेने किचन में आये। हँसते हुए कहने लगे आज चाकू चलने की आवाज़ कुछ ज्यादा नही है? क्यों इस गोभी के फूल पर इतने जोर से चाकू चला रही हो? कत्ल करने के लिए ये बंदा तुम्हारे सामने हाज़िर है... चाकू नही बस तुम्हारे नज़रों के ये तीर ही काफ़ी है...
अरे, नही कहते हुए वह गोभी हाथों से तोड़ने लगी और अनायास ही पति की
हँसी में शामिल हो गयी...
ऑफिस में आये दिन होने वाले डिफरेंस ऑफ ओपिनियन को उस हँसी ने जैसे भूला दिया।
ऑफिस में कल का कल देखा जाएगा सोचते हुए वह सोने के लिए जाने लगी...
