बिड़ला विद्या मंदिर नैनीताल १२
बिड़ला विद्या मंदिर नैनीताल १२
हम जुलाई १९६७ से मार्च १९७३ तक 5th क्लास से 10th क्लास तक बिड़ला में रहे। हमारे सामने ही फील्ड नंबर ३ व् जिम्नेजियम हाल बना और बॉक्सर गुरु जी (श्री निर्वाण मुख़र्जी) बिड़ला में आये।
बिड़ला में छात्र-बच्चों को सिखाने के लिए कभी कभी उनसे श्रमदान भी करवाया जाता था, फील्ड नंबर ३ बनाया मजदूरों ने ही, लेकिन थोड़ा बहुत बच्चों के श्रमदान का योगदान भी था।
बॉक्सर गुरु जी बात कम करते थे, गुद्दे (मुक्के) ज्यादा मारते थे, लेकिन सिर्फ सिखाने के लिए। बॉक्सर गुरु जी अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग जगत में एक मानी हुई शख्सियत हैं।
कभी कभी नैनीताल में भीषण बारिश होती थी, ओला वृष्टि के साथ, लगातार काफी देर तक।
बिड़ला में ढालदार टिन की छतें थी, उनपर ताबड़ तोड़ बारिश और ओले गिरने की बहुत भयंकर आवाज़ होती थी। बिड़ला में जगह जगह ओले जम जाते थे, जो कई दिनों में पिघलते थे।
बिड़ला में पानी नीचे (मल्लीताल) से आता था, मल्लीताल से पहले चुंगी से थोड़ा ऊपर एक पानी की टंकी तक और फिर ऊपर बिरला तक। कई बार टंकी से ऊपर पानी चढ़ाने की व्यवस्था खराब हो जाती थी, तो बिरला में पानी की समस्या हो जाती थी। फिर टूथ ब्रश करने और मुँह धोने के लिए छात्र-बच्चों को पानी की टंकी तक जाना पड़ता। छात्र-बच्चों को साल में एक बार हाईकिंग (hiking) (पिकनिक) पर ले जाया जाता था, ज्यादातर पाइंस (PINES), बिड़ला से लगभग ४ किलोमीटर, सारे रास्ते चीड़ या देवदार के बहुत लम्बे लम्बे बहुत सारे पेड़ मिलते थे। वहां बच्ची राम व् जीत राम बावर्चियों की टीम खाना बनाती थी, वो लोग वहां पूरे लाव लश्कर, बर्तन भांडे, राशन पानी के साथ, बच्चों के साथ जाते थे। काफी सारे गुरु जन भी साथ जाते थे, वहां घने जंगल में ज़मीन पर बैठ कर पत्तल पर खाने का मज़ा कुछ और ही होता था। PINES की तरह ही और भी बहुत सारे पिकनिक स्पॉट थे, जैसे की हनुमानगढ़ी, कैमल'स बैक, नैना पीक, टिफ़िन टॉप, आदि...
क्रमशः ...