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Ajay Singla

Thriller

4.2  

Ajay Singla

Thriller

आधा - अधूरा सपना; भाग ७ (आखिरी)

आधा - अधूरा सपना; भाग ७ (आखिरी)

5 mins
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विपिन की एम बी बी एस अब पूरी हो चुकी थी और वो पोस्ट ग्रेजुएशन एग्जाम में भी पास हो गया था।उसे दिल्ली में ही एम डी मेडिसिन में एडमिशन मिल गयी थी।उधर अनु को भी एम डी में दिल्ली के उसी कॉलेज में एडमिशन मिल गयी थी।अब दोनों रोज मिलते थे।दोनों का प्यार परवान चढ़ रहा था।कॉलेज में भी सबको उनके प्यार के बारे में पता था और सब उन दोनों को लव बर्ड्स के नाम से चिढ़ाने लगे थे।वो अक्सर कॉलेज में मोटरसाइकिल पर घूमते रहते थे। अब दोनों शादी करने की भी सोच रहे थे।जब उन्होंने अपने घर वालों से बात की तो उन्हें भी कोई एतराज नहीं था।उनकी सगाई की तारीख भी पक्की हो गयी।


अगले दिन सगाई के लिए उन दोनों को घर जाना था।दिन में वो मार्किट से जरुरत की चीजें खरीदते रहे।वो काफी थक गए थे।दोनों अपने अपने हॉस्टल में सोने के लिए चले गए।दोनों कल के दिन के लिए काफी खुश थे।थके होने के कारन विपिन को लेटते ही नींद आ गयी और सपना शुरू हो गया।अनु नदी में गिरी हुई है और विपिन किनारे पर खड़ा उसे बचाने की कोशिश कर रहा है।उसने अनु का हाथ पकड़ा हुआ है और बार बार अनु से कह रहा है कि अनु हाथ मत छोड़ना।नदी में और भी कई लोग गिरे हुए हैं और ट्रेन के क्षतिग्रस्त दो तीन डिब्बे भी नदी में पड़े हैं।अनु की पकड़ ढीली पड़ती जा रही है।बहुत कोशिश करने पर भी वो विपिन के हाथ को पकडे रखने में असमर्थ लग रही है।विपिन भी अपनी पूरी कोशिश कर रहा है की उसे बाहर खींच ले पर पानी का वहाव तेज होने के कारन उसे भी मुश्किल हो रही है।तभी अनु का हाथ विपिन के हाथ से छूट जाता है और वो नदी के वहाव में बहने लगती है।विपिन नदी के किनारे पर खड़ा उसे देख रहा है।तभी सपना टूट जाता है।


विपिन अनु अनु कहता हुआ घबराया हुआ उठता है।अगले दिन उन दोनों का ट्रेन से जाने का प्रोग्राम था पर वो ठान लेता है कि कुछ भी हो जाये वो ट्रेन में नहीं जायेगा।वो सोच रहा है क्या कल अनु उससे बिछुड़ जाएगी।उस की आँखों में आंसू हैं।सुबह जब अनु जाने के लिए उसके कमरे में आई तो वो उसे झूठ ही कह देता है कि ट्रेन कैंसिल हो गयी।वो दोनों टैक्सी बुक करके अपने गांव की और चल पड़ते हैं। विपिन कुछ नहीं बोल रहा।अनु ने उससे पूछा " तुम इतने परेशान क्यों हो?" विपिन कहने लगा कि "मैं रात में सो नहीं पाया शायद इसी लिए तुम्हे परेशान लग रहा हूँ , बाकी कोई और बात नहीं है।" थोडी देर में जब वो नदी के पुल के ऊपर से गुजर रहे थे तो अनु ने देखा की एक गाडी का एक्सीडेंट हुआ पड़ा है और गाडी के डिब्बे भी नदी में गिरे पड़े हैं।काफी सारे लोग भी पानी में मदद की गुहार लगा रहे है।अनु ने ड्राइवर को तुरंत गाडी रोकने के लिए कहा।


वो गाडी से जल्दी से उतरी और विपिन को भी उतरने को कहा।विपिन हिचकिचा रहा था।वो जिस चीज से बचना चाहता था वो उस के सामने मुँह बाएं खडी थी।अनु को समझ नही आ रहा था कि ऐसी इमरजेंसी में विपिन गाडी से बाहर क्यों नहीं आ रहा है।वो अकेले ही लोगों की मदद करने के लिए चल दी।विपिन भी उस के पीछे पीछे चल दिया।वो दोनों एक औरत को पानी से निकल ही रहे थे कि अनु ने देखा एक बच्चा पानी में डूब रहा है।वो उस बच्चे को बचाने के लिए भागी।उस बच्चे को नदी से निकाल कर वो विपिन की तरफ आ ही रही थी कि उसका पांव फिसल गया और वो नदी में गिर गयी।विपिन एक दम से अनु की तरफ लपका और उसका हाथ पकड़ लिया।उसके बाद सब कुछ वैसे ही हो रहा था जैसे की सपने में हुआ था।`


विपिन नदी में बहती जा रही अनु को देख रहा था।उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।उसकी आँखों से आंसू टपकने लगे।वो सोच रहा था कि आज उसने अनु को खो दिया है।तभी उसने थोड़ी दूरी पर देखा कि एक युवक ने अनु की तरफ हाथ बढ़ाया और उसे नदी से निकल लिया।उस युवक ने विपिन की तरफ देखा और मुस्करा दिया।देखने में वो युवक बहुत तेजस्वी लग रहा था।अनु को सही सलामत देख कर विपिन की जान में जान आई।जब तक वो अनु के पास पहुंचा वो युवक गायब हो चूका था।विपिन सोच रहा था की भगवान हर बार पहले उसे डरा कर उसकी परीक्षा लेते हैं और फिर उसे बचा भी लेते हैं।उसे लग रहा था जैसे कि वो युवक भगवान का ही कोई रूप हो।

 

घर पहुँच कर अगले दिन उनकी सगाई हो गयी।शादी की तारीख भी दो हफ्ते बाद तय हो गयी।दोनों बहुत खुश थे।शादी की रस्मों में दो हफ्ते कैसे बीत गए पता ही नहीं चला।फिर शादी का दिन भी आ गया।उस रात अनु और विपिन जब बातें कर रहे थे तो विपिन के मन में आया कि जो ये सपने वाला बोझ उसने बचपन से मन के ऊपर डाला हुआ है उसे आज वो उतार देगा।उसने सारी बातें अनु को विस्तार से बता दीं।एक बार तो अनु को विश्वास नहीं हुआ पर उसे पता था विपिन उससे कभी ऐसा झूठ नहीं बोल सकता।उस ने हसीं में विपिन को कहा अच्छा तुम इसीलिए गाडी में से उतरने के लिए हिचकिचा रहे थे।ये कह कर अनु ने अपना सिर विपिन के कंधे पर रख दिया।विपिन को लग रहा था कि आज उसके मन से एक बड़ा भारी बोझ उतर गया है और भगवन ने उसे आज सब कुछ दे दिया है।

समाप्त           



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