विठू माऊली
विठू माऊली
अभंग
विठू माऊली तू। धाव घेई आता।।
भेट कृपावंता। देई देवा।।१।।
कटेवरी हात। उभा विटेवर।।
दिसते सुंदर। रूप तुझे।।२।।
खोली दर्शविते। भव सागराची।।
भीती साधकाची। घालविशी।।३।।
युगे अठ्ठावीस। उभा जगजेठी।।
पुंडलीका साठी। पांडुरंग।।४।।
जाता पंढरीशी। माय बाप सेवा।।
मनी आठवावा। पुंडलिक।।५।।
सावळे स्वरूप। सगुण सुंदर।।
भासे मनोहर। नयनाशी।।६।।
विठू माऊलीचे। करावे दर्शन।।
घालवावा शीण। संसाराचा।।७।।