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Madhu Vashishta

Inspirational

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Madhu Vashishta

Inspirational

बुढ़ापा

बुढ़ापा

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मुश्किल है उठाना, बुढ़ापे का बोझ।

केवल वही देते हैं बुढ़ापे को दोष।

जिन्होंने जवानी में केवल की है मौज।

जिम्मेदारियां निभाई नहीं।

कुछ माया कमाई नहीं।

अहंकार में उलझे रहे।

दोस्तों से यूं ही लड़ते रहे।

जब तक माता पिता का सहारा था।

जब तक उनका राज दुलारा था।

तब तक मेहनत कुछ करी नहीं।

यहां तक कि बच्चों की फीस भी भरी नहीं नहीं।

अब जब समय हाथ से फिसल गया।

माता पिता का साया सर पर से उठ गया।

आज जब शरीर रोगों का घर बन गया।

बच्चों को भी अपना रास्ता मिल गया।

उनके लिए तो वास्तव में बुढ़ापा बहुत भारी बोझ बन गया।

जिन्होंने जिम्मेदारी सही से निभाई थी।

कसरत करके अपने शरीर की नींव मजबूत बनाई थी।

सकारात्मकता फैलाकर बहुत बड़ी मित्र मंडली बनाई थी।

माया अपनी जिंदगी में बुढ़ापे के लिए भी बचाई थी।

उनके लिए तो बुढ़ापा ही मौज बन गया।



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