चिराग
चिराग
चिराग,
स्वयं जलकर भीतर,
प्रज्जवलित करता संसार को,
जिस तरह हर मनुष्य,
रचता है संसार को,
हर एक दीये की अपनी ही,
एक अलग पहचान होती है,
कि जिस तरह मनुष्य के कर्मों से,
उसकी शख्सियत महान होती है।
जब मिल जाते हैं हर दीये,
तब रोशन होता ये जहान,
कि जैसे मनुष्य के अथक प्रयासों से,
हर चेहरे आती है मुस्कान,
कि जब हम कितने फूलों को,
अंधेरे से उजियारे में लाते हैं,
तभी उनकी असल सुंदरता,
महसूस हम कर पाते हैं।
ठीक वैसे ही -
जब हर आँगन ज्ञान की रोशनी छाएगी,
हर ओर दीये जलेंगे,
हर घर, दीवाली मन जाएगी।।