मेरा चाँद
मेरा चाँद
अक्सर मेरी खिड़की से झाँककर,
कुछ फुसफुसाता है मेरा चाँद।
आधी अंधेरी रात में छुपता-छुपाता
चाँदनी मेरे मुख पर बिखरा जाता है मेरा चाँद।
मुझसे मेरी ही मुलाकात करा कर
अपने साथ खूब हँसता-हँसाता है मेरा चाँद।
मैं भी मायूसी में अमूमन उसी के
आगोश में छुप जाया करती हूँ।
उसी के शीतल स्पर्श में
रात भर खूब बतियाया करती हूँ।
कह देती हूँ बेझिझक सब हाल दिल का
कह देती हूँ बेझिझक सब हाल दिल का
"ये मुश्किल है, ये कश्मकश,
ये जद्दोजहद और ये तन्हाई।"
मुस्कुराकर चाँद भी
कुछ यूँ मुझे संभाल लेता है
मेरी आँखों से टपकते आँसुओं को
शबनम सा परोसकर,
मीठी बयार से
बालों को सहलाता हुआ,
अपनी कहानी से जिंदगी का
फलसफा समझाता है।
कहता है कि, रोज घटता-बढ़ता हूँ मैं,
कितना कुछ कहता हूँ मैं।
जिंदगी के रास्तों पर
यूँ ही चलना सिखाता हूँ मैं।
ऊँची-नीची राह की पगडंडियों पर
मुस्कुरा कर आगे बढ़ते रहना सिखाता हूँ मैं
फिर चाहे ! खुद तुम ना भी हो कोई हस्ती,
खुद तुम ना भी हो कोई हस्ती....
सूरज की रोशनी से ही सही,
पर चमकते रहना सिखाता हूँ मैं,
चमकते रहना सिखाता हूँ मैं.....