माँ शक्ति
माँ शक्ति
माँ शक्ति देदो गुण गा सकूँ मैं
गीतों की माला पहना सकूँ मैं
निवेदन करूँ शुद्ध कोमल स्वरों में
भक्ती की शक्ती को मन में भरूं मैं
प्रशंसा करूँ मैं मधुर गीत गा कर
भव बंधनों को हृदय से भुला कर
पड़ूँ पाँव तेरे मैं अभिमान खो कर
समर्पित करूँ मैं स्वयं को चरण में
करूँ स्मरण तेरा अन्तःकरण में
मनोचित्त हों पूर्ण तेरे मनन से
नमित शीश तेरा नमन कर सकूँ मैं
के महिमा की तेरी कथन कर सकूँ मैं
मनोभाव हों निष्कपट दूर छल से
प्रमादादि, आलस्य, भ्रम और तम से
मनोशुद्धि, शुचिता, अमलता धरूँ मैं
सहज भाव से अर्चना कर सकूँ मैं.