होली
होली
हर इंसान अपने रंग में रंगा हो तो,समझ लेना होली है।
हर रंग कुछ कहता ही है,हर रिश्ते में हँसी ठिठोली है।
जीवन रंग महकाती, आनंद उमंग उल्लास से।
जीवन महक उठता है,एक दूसरे के विश्वास से।
प्रकृति की हरियाली,मधुमास की राग है।
नवकोपलों से लगता,कोई लिया वैराग्य है।
हर गले शिकवे को मिटा दो,फैलाओ ये प्रेम रूप झोली है।
हर इंसान..................
आग से राग तक,राग से वैराग्य तक।
चलता रहे यूँ ही,परंपरा ये फाग तक।
होलिका दहन की आस्था,युगों युगों से चली आ रही।
आग में चलना,राग में गाना,प्रेम की गंगा जो बही।
परंपरा ये अनूठी,होती कितनी हर किसी से हँसी ठिठोली है।
हर इंसान........................